पुरानी बातें – नीरजा कृष्णा : Moral Stories in Hindi

” पापा, मेरा मन बहुत घबड़ा रहा है। रजत को मैं अपने कड़वे अतीत से अवगत करा देना चाहती हूँ।”

रजत से रिश्ता तय होने के बाद से उसका चेहरा सूखता जा रहा था। उन लोगों से उसके मम्मी पापा ने सच्चाई छुपा ली थी और उसे डांट दिया था,

“भोलेपन में अपने सुख को दियासलाई मत दिखाओ। जो तुम्हारे साथ घटित हुआ, वह किसी को पता नहीं है। उसे खराब सपना समझ कर भूल जाओ।”

उस समय सबने उसके मुंह पर टेप लगा दिया था। वह चुप रह गई थी पर आज  वह रजत की पत्नी बन कर आ गई है। उसकी आत्मा उसे धिक्कार  रही है। वह क्या करूं और क्या न करूं….के भंवरजाल में फंसीं थी। तभी एक खटका हुआ और रजत मुस्कुराते हुए अंदर आया। वो संकोच से सिमट कर बैठ गई। रजत पास में आकर बैठा ही था, वह एक दृढ़ निश्चय के साथ सीधी बैठ कर बोली,

” मेरे माता-पिता ने मेरे काले अतीत के बारे में आपको कुछ नहीं बताया है पर मेरी आत्मा मुझे धिक्कार रही है। मैं पहले अपना दिल खोल कर रख देना चाहती हूं। “

रजत ने शीघ्रता से उसके मुंह पर हाथ रख दिया और प्यार से बोला,

” मेरा तुम्हारे अतीत पर कोई अधिकार नहीं है। तुम्हारा और मेरा कल बीत चुका है। हमें अपने वर्तमान पर फ़ोकस करना है। और मेरा मानना है कि तुम्हारे जैसे निर्मल मन की स्वामिनी कभी कलुषित हो ही नहीं सकती।”

रजनी भावावेश में रो पड़ी और उसके रुंधे कण्ठ से अस्फुट स्वर निकले,

“आप तो साक्षात् फरिश्ता हैं।”

वो खिलखिला पड़ा,

” आज के युग में फ़रिश्ते कहां मिलते हैं …हम इंसान ही बन जाए तो बहुत  है…”

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कहते हुए उसने रजनी के हाथ कस कर पकड़ लिया.

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“अहसास”

आज सुबह से ही पारुल की छह साल की बिटिया क्रेच न जाने की जिद पाले बैठी थी। हार कर पारुल ने गहरी नींद में सोए अजय को आवाज देकर जगाया”अजय, आज मुझे ऑफिस की मीटिंग के लिए जल्दी निकलना है और यह तुम्हारी लाडली बेटी क्रेच जाने में नखरे कर रही है।आज से इसके स्कूल में भी दस दिन की छुट्टियां हो गईं हैं,प्लीज तुम इसे क्रेच छोड़ते हुए ऑफिस निकल जाना, मैं तब तक तुम्हारा और खुशी का टिफिन तैयार कर देती हूं “।

अजय ने नन्ही खुशी के गाल पर किस करते पूछा”क्या बात है,आज मेरी नन्ही परी को क्रेच क्यों नहीं जाना है?वहां तो अच्छे अच्छे खिलौने हैं,गेम्स हैं और क्रेच वाले आंटी अंकल तो तुम्हे प्यार भी कितना करते हैं “। “नहीं, मुझे नहीं जाना पापा”,खुशी ठुनकते हुए बोली,”क्रेच वाले अंकल मुझे bad touch करते हैं “।”क्या”? अजय सुन्न रह गया।किचन में काम करती पारुल भी बाहर निकल आई,”ये तुम्हें किसने बताया खुशी बेटा”?

“पापा,कल हमारी टीचर ने हम सब बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताया था।मुझे तो कल ही पता लगा क्रेच वाले अंकल इतने दिनों से मुझे bad touch कर रहे थे,मुझे पहले से ही अच्छा नहीं लगता था”, कहकर खुशी रोने लगी।अजय की आंखें गुस्से से लाल हो गई,”आज मैं उन अंकल की अच्छे से खबर लूंगा,तुम रोओ मत,मेरी जान”।खुशी ने कातर निगाहों से पापा की ओर देखा।जाने क्या था,उन आंखों में कि अजय को अपनी सेक्रेटरी सपना की आंखें याद आ गईं।

कुछ महीने पहले ही उसकी कंपनी में सपना ने ज्वाइन किया था।कंपनी के एम.डी.ने बताया था,बड़ी जरूरतमंद है बेचारी ,पिता की असमय मृत्यु हो जाने पर मां और छोटे भाई बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी मात्र 20-21वर्ष की आयु में उस पर आन पड़ी है।सपना को देखकर जाने क्या हो जाता था अजय को,वो डिक्टेशन देने के बहाने, फाईलों का काम करते हुए या कंप्यूटर पे लेटर टाइप करते हुए करेक्शन के बहाने उसके कंधों पर झुक जाता और सपना के हाथों एवम वक्ष को छू लिया करता।

ये सब करते हुए वह ऐसे जताता जैसे अनजाने में उससे ऐसा हो गया हो। यह जानते हुए कि वो सीधी सादी लड़की नौकरी चले जाने के डर से उससे या किसी सीनियर से उसकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं करेगी,अजय की हिमाकत बढ़ती जा रही थी।हालांकि कुछ दिनों से उसे लगने लगा था कि सपना उसकी ओछी हरकतों को भांप गई है,उसकी कातर निगाहें उसकी बेबसी को बयां करती नजर आतीं।

“अजय,आज तुम छुट्टी लेकर इसके क्रेच का मामला निपटा कर खुशी और घर को संभालो, मैं ऑफिस पहुंच कर एक महीने की चाइल्ड केयर लीव एप्लाई कर देती हूं “

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पारुल ने ख्यालों में खोए अजय को झिझोड़ा।

आज अजय को अपनी गलती का अहसास हो रहा था।वह कैसे भूल गया था कि वह भी एक बेटी का बाप है।

आज उसे खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी। “आई एम सॉरी सपना” वह बुदबुदाया और खुशी की आंखों से बहते आंसू पोंछने लगा।

नीरजा कृष्णा

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