moral stories in hindi : ये सब उसका दिल दुखा जाता। जब पानी सर से ऊपर जाने लगा तब उसने अपने पति से इस बारें में बात की। पति से भी बात उसने बहुत संभलकर की क्योंकि कोई भी बेटा अपनी मां के खिलाफ़ कुछ नहीं सुन सकता। जब उसने अपनी समस्या पति के सामने रखी तब उन्होंने कहा कि तुम्हें इस घर में आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ,मेरे माता जी और पिताजी ने अपने ही घर के लोगों संग बंटवारे में बहुत कुछ खोया है।
पिताजी का बना बनाया काम उनके सगे भाई ने हड़प लिया। किसी ने भी हमारा साथ नहीं दिया था। इन सबके पीछे हमारी चाची का बहुत बड़ा हाथ था।हम लोग जो अच्छा जीवन जीते थे उस पर गरीबी की छाप पड़ गईं थी। शायद यही वजह है कि मां अब किसी की अच्छाई पर आसानी से भरोसा नहीं कर पाती सभी को शक की नज़र से देखती हैं।
सिया सारी बातें समझ रही थी। अब उसको समझ आ रहा था कि कहीं ना कहीं उनको सिया से भी भविष्य में उनके बच्चों के बीच बंटवारे को लेकर शक है इसलिए वो उसको अपना नहीं पा रही हैं।
अब सिया ने सारी बातें वक्त पर छोड़ दी पर साथ साथ ये भी सोच लिया कि अपनी तरफ से वो सास और ससुराल के अन्य लोगों के साथ रिश्ते मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी क्योंकि पानी की धार भी अगर मजबूत से मजबूत पत्थर पर निरंतर गिरती रहे तो वो उसको भी पिघला देती है। यहां तो बात मानवीय संवेदना की है।
पूरे घर में सिया का पति निशांत नौकरी करता था और बाकी लोगों व्यवसाय से जुड़े थे। खुद सिया भी अच्छी नौकरी थी। कुछ समय के बाद निशांत और सिया की नौकरी दूसरे शहर में होने पर वो वहां चले गए। नौकरी की छुट्टियों में जब भी सिया अपनी ससुराल जाती तब अपनी तरफ से सबकी पसंद नापसंद का बहुत ख्याल रखती।
सास का रवैए में उसके लिए उन्नीस-बीस का अंतर तो था पर कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं था। ये सब सोचते-सोचते वो वापिस आज के समय में आ गई। उसको अब अपने ससुर जी और देवर के व्यापार को घाटे से निकालने और देनदारी का पैसा लौटने का एक उपाय सूझा।
उसके पति और उसने बेटी के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए जो ज़मीन रखी है अगर उसको बेच दिया जाए तो अभी की समस्या तो दूर हो सकती है। वैसे भी अभी बेटी की मेडिकल परीक्षा में छः महीने का समय है। इन छः महीनों में बहुत कुछ बदल सकता है। बेटी तो मेहनती है ही,अगर अच्छी रैंक आ गई तो हो सकता है कि बहुत ज्यादा खर्चा भी ना हो। फिलहाल तो ससुर जी के व्यापार के घाटे को बचाना और देवर के छोटे-छोटे बच्चों को सहारा देना बहुत जरूरी है।
बस ये सब सोचते हुए उसके चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान आ गई और वो नींद के आगोश में चली गई। सुबह अपने पति निशांत से उसने इस विषय में बात की तब वो बोला कि सोच तो मैं भी ऐसा ही कुछ रहा था पर तुम्हारे और बच्चों के भविष्य का सोचकर चुप था।
सिया ने मुस्कराते हुए कहा कल किसने देखा है,जो भी है वो आज है। पहले जो हमारी आज की जिम्मेदारियां हैं उनको तो सही से निभा लें। वैसे भी ससुराल के सब लोग भी अपने ही हैं उनके दुख पर हम अपने सुखद भविष्य के कल्पना भी नहीं कर सकते। निशांत आज सिया जैसी पत्नी मिलने पर गर्व महसूस कर रहा था।
आज निशांत और सिया ने अपने ऑफिस से छुट्टी ली और जल्द से जल्द ज़मीन को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी।सब काम सुचारू रूप से होने पर जब निशांत और सिया घर पहुंचे तब उन्होंने ज़मीन की सारी रकम सास- ससुर को दे दी। सास की आंखों में सिया के लिए बहुत ही प्यार और आर्शीवाद था।
वो सिया के सर पर हाथ फेरते हुए बस इतना कह पाई कि पता नहीं क्यों कभी-कभी हम सही और गलत में अंतर नहीं कर पाते। अगर किसी ने हमारे साथ छल किया होता है तो उसके साथ तो हम कुछ नहीं कर पाते पर दूसरों को हमेशा शक की नज़र से देखते हैं।
कई बार इन सबमें उनकी अच्छाई भी नज़रअंदाज कर देते हैं। ये सब सुनकर सिया सासू मां के आंसू पोछते हुए उनके गले लग गई और कहने लगी मां आप अपनी जगह बिल्कुल सही थी। वो कहते हैं ना कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है। उसकी ये बात सुनकर सब हंसने लगे। आज सिया और उसकी सासू मां का पुनर्मिलन हुआ था क्योंकि आज सासू मां ने उसको दिल से अपनाया था।
दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी? कई बार हम शक के आधार पर रिश्तों में बहुत दूरियां ले आते हैं। हर जगह सिया जैसी सोच वाली बहू घर में नहीं होती इसलिए आंखें खुली रखनी चाहिए पर किसी की अच्छाई को बिना बात शक की नज़र से नहीं देखना चाहिए ।
पुनर्मिलन (भाग 1) – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral stories in hindi
डॉ. पारुल अग्रवाल,
नोएडा
#शक
Story is excellent, ek Bahu ke taur per itna samjhdari se kadam Lena aur patience rakhna vakai मिसाल se Kam nahi ..