पुनर्मिलन – तृप्ति शर्मा

#बेटी_हमारा_स्वाभिमान

आज उसे अनमना सा देख रोहित ने पूछा तो उसने कह तो दिया कुछ नही पर क्या सच मे कुछ नही था। जीवन की भेंट की हुई बहुत सी उथल पुथल के बावजूद बचपन, जवानी के बाद आज उस पड़ाव पर खड़ी थी जहां उसके पास सब कुछ था पर अकेलेपन का डर भी साथ साथ चलता रहता था ।

उसकी दोनों बेटियां बड़ी हो चली थी,उनका मन जो सपने देखता वो उनकी आंखों में चमक बन कर उसे दिखाई देता था। बहुत नाजों से पाला था उसने अपनी दोनो बेटियों को ।उन्हें पाकर ममत्व पाया था उसने। पर आस पड़ोस और रिश्तेदार हमेशा कह देते कि एक लड़का और होता तो अच्छा होता । बुढ़ापे की लाठी और उम्मीद होता है लड़का ,बेटियों का क्या है चली जायेगी ससुराल तब तुम्हे कौन देखेगा।

पहले राधिका पर इन बातों का कुछ असर नहीं होता था लेकिन उम्र बड़ने के साथ ये बाते उसे सच लगने लगी थी। अक्सर अकेले बैठ के सोचती रहती थी वो कि सही बात तो है हमारा बुढ़ापे मे क्या होगा ।कई दिन से उसे ये बाते तंग कर रही थी इतना तंग कि दिन रात उठते बैठते सोते जागते अब उसके दिमाग मे यही सब  चल रहा होता था । नतीजन उसकी तबियत खराब रहने लगी।उसकी बडी बेटी जो कि बचपन से ही बहुत समझदार थी । बड़े जतन से अपनी मां की सेवा में लगी हुई थी ।

एक दिन आंखों मे आंसू भर कर बोली

” मां आपको अगर इस बात का दुख है कि आपके कोई बेटा नही है तो मां ,आपके और पापा की हम दोनो को सारी सुख सुविधा देने की कोशिश भी अधूरी रह गई समझो। क्योंकि एक कमी तो हमे भी जिंदगी भर रहेगी एक भाई की।पर मां ये भगवान की मर्जी और हमारी किस्मत है।इसके लिए जो हमारे पास है वो तो हम नही खो सकते न।आपको क्या लगता है मां मै दिन रात पागलों की तरह जो पढ़ाई मे लगी रहती हूं किसलिए ,अपने पैरो पर इस कदर खड़े होने के लिए कि भविष्य में आपको और पापा को वो सब दे पाऊ जिसके आप हकदार हो।आप को फिर भी विश्वास नहीं होता तो मैं आज आपकी ही कसम खाती हूं मै कभी शादी नहीं करूंगी”

अपनी इतनी चुपचप रहने वाली बेटी को आज इस तरह देख कर उसे यकीन ही नही हुआ कि ये उसी की बेटी है।उसे अपने ऊपर शर्म आने लगी और उठ कर अपनी लाडली को गले लगा कर अपनी सोच के लिए माफी मांगने लगी। सुबकती हुई सोनू को भी आज कई दिन बाद अपनी मां वापस मिली थी।दोनो मां बेटी देर तक गले लग कर लाड़ लड़ाती रही। रोहित दूर खड़े ये पुनर्मिलन देख रहे थे,और हौले-हौले मुस्कुरा रहे थे।

तृप्ति शर्मा।

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