नरेंद्र जी हाल ही में आर्मी से रिटायर होकर अपने घर आए थे। अपने ज़िंदगी के बाकी के दिन वह अपने परिवार के साथ गुजारना चाहते थे इस वजह से उन्होंने दोबारा कोई नौकरी ज्वाइन नहीं किया जब कि उनके साथ के ही कई दूसरे दोस्तों ने कहीं कहीं पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर लिया था।
इसी साल नरेंद्र जी का बड़ा बेटा भी आर्मी में ज्वाइन किया था। नरेंद्र जी की एक छोटी बेटी थी वर्षा जो कि शादी के लायक हो गई थी। नरेंद्र जी अपनी बेटी का रिश्ता भी आर्मी वाले से ही करना चाहते थे लेकिन उनकी पत्नी सरोज जी उनके खिलाफ थी क्योंकि वह आर्मी पति होने का दर्द जानती थी। कितनी रातें विरह में गुजारनी होती है।
नरेंद्र जी के लिए आर्मी में होना शान की बात थी इसलिए वह अपनी बेटी का रिश्ता भी किसी आर्मी मैन से ही करना चाहते थे।
काफी भागादौड़ी के बाद आखिर एक लड़का मिल ही गया जो आर्मी में था। नरेंद्र जी लड़का से मिले लड़का उन्हें पहली नजर में ही पसंद आ गया था।
कुछ दिनों के बाद लड़के के परिवार वाले वर्षा को देखने के लिए नरेंद्र जी के घर पर आए थे। नरेंद्र जी बिल्कुल ही ओपन माइंड के थे वह नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी का रिश्ता एक ऐसे लड़के से हो जिसे बेटी बिल्कुल ही पसंद ना करें।
वर्षा का जिससे शादी होने वाला था उस लड़के का नाम अरविंद था। सब लोग बैठक खाने में बैठे हुए थे।
वर्षा चाय लेकर आई और सब को पैर छूकर प्रणाम की। पहली नजर में ही सब को लड़की पसंद आ गई थी।
कुछ देर के बाद ही नरेंद्र जी ने वर्षा को बोला वर्षा अरविंद को ले जाओ अपना घर घुमा कर लाओ।
अरविंद और वर्षा छत के ऊपर चले गए थे कुछ देर तक तो दोनों चुपचाप थे उसके बाद अरविंद ने चुप्पी तोड़ते हुए वर्षा से बोला। “अच्छा यह बताओ तुम्हें मैं पसंद तो हूं ना कहीं यह तो नहीं कि तुम अपने पिताजी के कहे में आकर जबरदस्ती मुझसे रिश्ता कर रही हो” वर्षा चुप थी। “बोलो वर्षा मैं तुम्हें पसंद हूँ न” वर्षा ने हां में सिर हिला दिया था।
अरविंद मजे लेते हुए वर्षा से बोला वर्षा एक आर्मी वाले से शादी करना आसान नहीं होता है साल के 8 महीने अकेले ही गुजारना होता है। वर्षा ने बोला मैं भी एक आर्मी मैन की बेटी हूं मुझे पता है इसके बारे में मुझे गर्व होता है कि मेरे पापा और मेरे भाई देश की सेवा करते हैं एक आर्मी मैन की बीवी बनकर मुझे भी गर्व महसूस होगा।
कुछ देर के बाद दोनों नीचे चले गए थे।
कुछ दिनों के बाद सगाई थी और उसके बाद शादी हो गई थी। इतने कम दिनों में ही अरविंद और बरसा एक दूसरे को इतना जानने लगे थे ऐसा लगता था उनकी पहचान बरसों से हो वर्षा भी अरविंद को दिल से चाहने लगी थी। वह यह सोच कर डर जाती थी कि अरविंद जब वापस ड्यूटी पर चला जाएगा तो कैसे वह उसके बिना रह पाएगी.।
धीरे-धीरे अरविंद की छुट्टियां समाप्त हो गई वह अपने रेजीमेंट में जाने के लिए तैयार था। उसकी पोस्टिंग बांग्लादेश सीमा पर था। जिस दिन अरविंद अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा था उस दिन वर्षा और अरविंद आपस में इतना रो रहे थे जैसे लग रहा हो कि वह कभी मिलेंगे कि नहीं।
वर्षा फूट-फूट कर रो रही थी। अरविंद के जाने के बाद वर्षा ने पूरे 1 दिन तक कुछ भी नहीं खाया दिन भर अरविंद के यादों में रोती रही वर्षा के सास ने अपनी बहू से हिम्मत बांधने को कहा बेटी अब तुम एक आर्मी मैन की बीवी हो इतना रोओगी तो काम कैसे चलेगा हम भी तो अपने दिल पर पत्थर रखकर बेटे को कुछ दिनों के लिए भूल ही जाते हैं।
सुबह होते ही पूरे दिन वर्षा को अरविंद के फोन का इंतजार होता था कब अरविंद का फोन आए। 1 दिन पूरे दिन अरविंद का फोन नहीं आया घरवाले और वर्षा भी सब परेशान हो गए थे उसके अगले दिन भी अरविंद का फोन नहीं आया तो घर वालों ने उसके हेड ऑफिस में पता किया तो पता चला किअरविंद और 2-3 उसके साथी का दो-तीन दिनों से कोई भी पता नहीं चल पा रहा है कि वह लोग कहां है पता लगाया जा रहा है कि वे लोग कहां चले गए हैं।
कुछ दिनों के बाद खबर आती है कि नक्सलियों के हमले में अरविंद की शहादत हो चुकी है।
यह खबर सुन घर में मातम छा जाता है अरविंद की मां को यह खबर सुनते ही हार्ट अटैक आ गया और अगले दिन ही अरविंद की मां भी चल बसी।
सारे रिश्तेदार जुटने लगे थे वर्षा के मायके से भी सब लोग आ चुके थे। अगले दिन ही अरविंद के लाश आई और उसे सम्मान के साथ गांव में ही जलाया गया और गांव वालों ने फैसला किया उस जगह पर स्मारक बनाया जाएगा जिसका नाम सहित अरविंद स्मारक रखा जाएगा।
वर्षा बिल्कुल टूट गई थी उसके मम्मी पापा उसे अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन वह जाने से मना कर दिया उसने बोला कि मैं चली जाऊंगी तो मेरे ससुर को कौन संभालेगा।
एक दिन अचानक से वर्षा की तबीयत खराब हुई उसके ससुर उसे जल्दीबाजी में हॉस्पिटल ले गए तो डॉक्टर ने उनको बधाई दिया और बोला आपकी बहू मां बनने वाली है।
ससुर जी के चेहरे पर कितने दिनों बाद आज खुशी लौटी थी। अरविंद के पापा ने अपनी बहू को बोला की कुछ दिनों के लिए तुम मायके चले जाओ यहां पर तुम्हारा देखभाल कौन करेगा लेकिन वर्षा नहीं मानी।
आखिर में वर्षा की मां को ही यहां पर आना पड़ा कुछ दिनों बाद वर्षा ने एक एक फूल सी बच्ची को जन्म दिया।
वर्षा का अब घर में अकेले मन नहीं लगता था और बेटी को भी आगे पढ़ाना था इस वजह से वह चाहती थी कि कोई जॉब कर ले। उसने जॉब की बात अपने ससुर से की लेकिन उन्होंने अपनी बहू को जॉब करने से मना किया बेटी अभी बच्ची छोटी है अगर तुम्हें जॉब करना ही है तो 3 साल बाद कर लेना वर्षा मान गई।
वर्षा की बेटी 3 साल की हो गई तो वर्षा ने शहर के ही एक कुरियर कंपनी में जॉब कर लिया वहां पर जो भी कुरियर आते थे वह उसका कंप्यूटर में इंट्री करती थी।
उनके घर के ऊपर का एक कमरा खाली था इस वजह से उसके ससुर सोच रहे थे उसको किराए पर लगा दिया जाए ताकि घर में कुछ पैसे आ जाएंगे।
कुछ दिनों बाद रमेश नाम का एक किरायेदार रख दिया गया वह पास के सरकारी स्कूल में टीचर था और स्वभाव से बहुत ही अच्छा इंसान था। धीरे-धीरे उसकी दोस्ती वर्षा के ससुर से हो गई स्कूल से आने के बाद उसके ससुर जी के साथ काफी देर तक बैठता था और उसकी बच्ची नेहा के साथ भी काफी देर तक खेलता था।
धीरे-धीरे रमेश का लगाव इस फैमिली से बहुत ज्यादा ही हो गया कई बार तो वर्षा रमेश को अपने घर पर ही खाना खिला देती थी। बोलती थी अब क्या जाकर खाना बनाओगे आखिर मैं तो खाना बनाऊँगी ही तुम्हारे लिए भी बना दूंगी।
रमेश स्वभाव का अच्छा लड़का था इस वजह से उसकी दोस्ती वर्षा के साथ भी गहरी हो गई थी वह दोनों काफी देर तक घर पर एक दूसरे से बात किया करते थे बहू को रमेश के साथ खुश देख कर। उसके ससुर भी खुश हो जाते थे सोचते थे चलो किसी बहाने बहू के चेहरे पर मुस्कुराहट तो वापस लौटी ।
धीरे धीरे रमेश वर्षा को पसंद करने लगा था लेकिन इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने दिल की बात करे। कहने की वह सोचता था पर फिर सोचता अगर मैं अपनी बात वर्षा से कहूंगा क्या पता उसे पसंद ना आए और हमारी दोस्ती भी टूट जाए इसी बहाने अपने दिल की बात अपने दिल में ही दबा लेता था।
रमेश नेहा से भी बहुत ज्यादा ही प्यार करने लगा था नेहा को भी अब अपने पिता की कमी महसूस नहीं होती थी वह उसके साथ जब मर्जी जहां जाती थी।
भगवान जब दुख देता है एक साथ ही एक ही लोगों को सारे दुख दे देता है और यही हुआ वर्षा के साथ भी एक दिन रमेश जब अपने स्कूल से वापस आ रहा था तो रोड पर देखा कि भीड़ लगा हुआ है देखा कि 2 लोग एक छोटी बच्ची और एक बुजुर्ग आदमी का एक्सीडेंट हुआ पड़ा है सब लोग नजारे देख रहे हैं सब अपने मोबाइल से वीडियो बनाए जा रहे हैं कोई भी उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाने की नहीं सोच रहा है।
रमेश जाकर देखा तो देखा कि यह तो वर्षा के ससुर और नेहा है उसने तुरंत एंबुलेंस को कॉल किया और उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया नेहा के ससुर हॉस्पिटल पहुंचते पहुंचते ही दम तोड़ चुके थे। नेहा भी पूरी तरह से घायल हो
चुकी थी। जल्दी से नेहा को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया ऑपरेशन होने के बाद डॉक्टर ने बोला बहुत कम ही चांस है बच्ची को भी बचने का फिर भी हम कोशिश पूरा करेंगे।
रमेश ने वर्षा को फोन कर दिया था रमेश अपने ऑफिस से ही सीधे हॉस्पिटल पहुंची रमेश से मिलते ही उसके गले रखकर रोने लगी कैसे हो गया यह सब रमेश ने बताया नेहा को स्कूल से उसके ससुर लेकर आ रहे थे तभी पीछे से एक ट्रक ने उनका टक्कर मार दी और उनका एक्सीडेंट हो गया।
कुछ देर के बाद वर्षा और रमेश नेहा के पास थे वर्षा नेहा को देख कर रोए जा रही थी।
नेहा ने बस इतना ही कहा मम्मी क्यों रो रही हो मुझे तो कुछ नहीं हुआ है दादा जी कैसे हैं वर्षा ने बोला मेरी बच्ची दादा जी ठीक हैं वह बाहर तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।
वर्षा ने झूठ बोल दिया था। नेहा ने रमेश को अपने पास बुलाया और अपने मम्मी का हाथ रमेश के हनथो मे देकर उसने बस इतना ही बोला कि रमेश अंकल आप मेरी मम्मी का हमेशा ख्याल रखना, “रखेंगे ना” रमेश हां हां जरूर रखूंगा मैं तुम्हारी मम्मी को कभी भी तकलीफ नहीं होने दूंगा नेहा ने बस इतना ही कहा मम्मी मैं फिर आऊंगी। इतनी देर में नेहा के प्राण पखेरु उड़ गए हैं वर्षा रोने लग गई थी डॉक्टर आए और उन्होंने घोषणा कर दिया कि नेहा अब नहीं रही।
वर्षा बिल्कुल टूट चुकी थी रमेश उसे हाथ पकड़ कर बाहर ले गया । कुछ देर बाद ही वर्षा के मम्मी पापा भी हॉस्पिटल पहुंच चुके थे वर्षा अपने मम्मी से लग कर खूब रोए लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। वर्षा के माँ बाबूजी वर्षा को अपने घर ले जाने लगे चलो बेटी अब तुम्हारा यहां कौन है।
वर्षा ने जाने से साफ मना कर दिया था उसने बोली मैं अपना घर छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी ।
अब तो मेरे यहाँ से अर्थी ही उठेगी। रमेश वर्षा के पापा से वर्षा से शादी करने के लिए बात की लेकिन उनके पापा ने बोला बेटा जब तक वर्षा नहीं मानेगी हम कैसे कर सकते हैं।
अंकल आप उसकी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिए वर्षा को मैं मना लूंगा। कौन बाप नहीं चाहता है उसकी बेटी हमेशा खुश रहे उसने हां बोल दिया।
रमेश ने वर्षा से शादी की बातचीत की वर्षा भी मन-ही-मन रमेश को चाहती थी उसने भी हां बोल दी।
एक सादे शादी समारोह में रमेश और वर्षा की शादी हो गई।
कुछ महीनो के बाद उनके घर में एक प्यारी सी फूल सी बच्ची का जन्म हुआ उन्होंने इसका नाम भी नेहा ही रखा उनको ऐसा लग रहा था कि सचमुच में नेहा का पनर्जन्म हुआ है।