प्रेम पुष्प – रश्मि वैभव गर्ग  : Moral Stories in Hindi

आलीशान कोठी, नौकर चाकर, अपार संपत्ति.. बड़ी कंपनी की मालकिन.. सबकुछ तो था सोना के पास। यथा नाम तथा काम..। मिट्टी को हाथ लगाती सोना बन जाता। बस कमी थी तो.. साथी की। एकाकी पन उसे कसक देने लग गया था। अपने माँ बाप की इकलौती संतान होने के बावजूद सोना को विरासत में तो ज़्यादा संपत्ति नहीं मिली थी,लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके वह कब नौकरी करते करते एक बड़ी कंपनी की मालकिन बन गई पता ही नहीं चला।

उसके कुशल हाथ और प्रबल बौद्धिक बल उसे सीढ़ी दर सीढ़ी ऊँचा उठाता जा रहा था।बस शारीरिक सौन्दर्य से ईश्वर ने उसे पूर्णतः वंचित ही रखा था । जीवन के पैंतालीस बसंत पार कर चुकी सोना को कभी कभी स्त्री तुल्य स्त्रियों से रश्क होता था कि ईश्वर उसे सौंदर्य देना ही भूल गए।स्त्री कितनी ही बुलंदियों को छू ले उसका स्त्री सुलभ मन सौंदर्य का सदैव ही आकांक्षी रहता है।

एक दिन ऑफिस में सोना अपने काम में व्यस्त थी ,अचानक एक नवयुवक हाथ जोड़ता हुआ आया और बोला मैडम मुझे जॉब की बहुत ज़रूरत है ,मेरी माँ का अभी कुछ दिन पहले निधन हुआ है ।घर में और कोई नही है। मेरी जीविका का कोई भी साधन नहीं है।अगर आप मुझे कुछ रोज़गार दे देंगी तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी।

उस युवक की बातों में सोना को कुछ सत्यता लगी और उसने उसकी योग्यता के अनुसार उसे जॉब पर रख लिया। घर आने पर उस सुदर्शन युवक का चेहरा सोना की आँखों में बार बार आ रहा था। अगले दिन सोना ने उसे बुलाकर उसका नाम पूछा तो ज्ञात हुआ कि आकाश नाम है उसका। क़रीब पैंतीस वर्षीय आकाश सोना की नज़रों से ओझल नहीं हो रहा था।

कुछ समय विचलित रहने के बाद सोना ने अपनी उम्र से छोटे आकाश में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया। धीरे धीरे दोनों की नज़दीकी बढ़ती गई और एक दिन सोना ने आकाश के सामने विवाह प्रस्ताव ही रख दिया। मौजूदा हालत को देखते हुए आकाश ने भी विवाह के लिये रज़ामंदी दे दी। सोना के तो मानो शुष्क जीवन में सुरम्य बहार आ गई हो।

विवाहोपरांत सोना ने बरसों से दबी अपनी इच्छाओं को साकार करने के लिए बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया। आकाश भी जीवन के अभावों से लड़ते लड़ते मानो सुख के सागर में आ गया हो। सोना ने अपनी कुरूप काया को बाज़ार के महँगे से महँगे सौन्दर्य प्रसाधनों से सजाना शुरू कर दिया।

सोना को तो मानो संसार की सारी ख़ुशियाँ मिल गई हों। छह महीने कब गुजर गये पता ही नहीं चला। एक दिन रविवार को आकाश अपनी बालकनी में बैठा तो उसकी नज़र सामने एक युवती पर गई जो धूप में अलमस्त बैठकर अपने केश सूखा रही थी। उसका अप्रतिम सौंदर्य और युवावस्था आकाश को बेचैन कर गई। सोना की प्रौढ़ावस्था उसे अब कुछ विमुख करने लगी थी।आकाश कुछ अनमना सा रहने लगा।

एक दिन सोना को कंपनी के काम से बाहर जाना पड़ा। अचानक दरवाज़े की घंटी बजी .. तो सामने उस सुंदर चेहरे को देखकर आकाश हतप्रभ सा हो गया। नीलम नाम है मेरा .. मुझे दही लेना था ..आपके यहाँ से। आकाश नीलम को एकटक देखता रहा.. फिर अचानक उसकी तंद्रा टूटी और उसने दही दिया।

नीलम और आकाश ने एक दूसरे का परिचय दिया। कुछ समय बाद उनकी थोड़ी थोड़ी बात होने लगी । दोनों एक दूसरे से मिलने के बहाने ढूँढने लग गये और दोनों का आकर्षण बढ़ने लगा।दोनों के बीच हंसी ठिठोली होने लग गई।एक दिन अचानक नीलम ने आकाश से कहा तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो .. आकाश ने नीलम से कहा मैं विवाहित हूँ ..लेकिन उसके अंदर का कमजोर पुरुष उसे नीलम की ओर आकर्षित करने लगा।

आकाश और नीलम दोनों अक्सर मिलने लग गये। दोनों की नजदीकी बढ़ने लग गई। एक दिन सोना कंपनी के काम से बाहर गई थी। नीलम मौक़ा देखकर आकाश के पास आ गई थी। अचानक दरवाज़े की घंटी बजी , सामने सोना को खड़ी देखकर नौकर ने पूछा ,अरे मेमसाब… आप एक दिन पहले ही आ गईं।

हाँ रामू , मीटिंग कैंसिल हो गई थी इसलिए मैं जल्दी आ गई।सोना ने कहा । रामू ने तुरंत सोना को नीलम के अंदर होने की खबर दी। सोना ,नौकर रामू को शांत करते हुए तुरंत घर से बाहर चली गई । सोना की अनुभवी नज़रें सब समझ चुकीं थीं ,लेकिन वो आकाश से सच्चा प्यार करती थी और अपने प्यार को बदनाम नहीं करना चाहती थी।

अगले दिन सोना नियत समय पर घरआई और उसने आकाश के सामने ऐसा व्यवहार किया जैसे उसे कुछ पता ही नहीं। एक दिन सोना और आकाश बैठे थे तो नीलम का फ़ोन आया, कि मेरी तबियत सही नहीं। सोना भी आकाश के साथ नीलम के घर चली गई। दोनों नीलम को हॉस्पिटल ले गये।वहाँ पता चला कि नीलम माँ बनने वाली है।

आकाश के चेहरे की रंगत उड़ गई तो सोना ने आकाश से पूछा कि तुम इतना क्यों घबरा रहे हो.. मुझे सब पता है.. तुम परेशान मत हो.. मैं कोई उचित हल निकालूँगी। सोना की बात सुनकर आकाश हैरानी से सोना को देखने लगा, उसकी नज़रें शर्म से झुकी जा रहीं थीं ,वो कुछ कह नहीं पा रहा था।

सोच रहा था सोना को कैसे पता चला? सोना उसकी मनःस्थिति को समझ गई ,फिर उसने सब बताया कि रामू काका ने उन दोनों के बारे में पहले ही बता दिया था। सुनकर आकाश के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि सबकुछ जानने के बावजूद सोना ने कितने संयम से काम लिया वो सोना के सामने बोल नहीं पा रहा था …लेकिन सोना ने उसे गले से लगा लिया ,और कहा कि इसमें किसी का कोई दोष नहीं ..शायद हालात ही इस सबके लिए ज़िम्मेदार हैं।

नीलम ने कहा मैं इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती । समाज में मेरी क्या इज्जत रह जाएगी। नीलम की बात सुनकर सोना ने दोनों से कहा कि मेरी तुम दोनों से एक गुज़ारिश है कि तुम इस बच्चे की हत्या मत करो,बच्चे को जन्म दो और उसे मुझे दे दो। अपने प्यार की निशानी मानकर मैं मातृत्व सुख भी महसूस कर लूँगी और किसी जीव को जीवन दान भी मिलेगा

लेकिन.. लोग क्या कहेंगे?नीलम ने कहा। तुम दोनों को विवाह करना होगा सोना ने कहा। कैसी बात करती हो सोना? आकाश बोला। मैं ठीक ही कह रही हूँ ,आकाश ..तुम दोनों अपनी दुनियाँ बसाओ ,बस मुझे एक जीने की वजह दे दो , ममता से सूखे मेरे स्तनों को मातृत्व का सुख भी मिल जाएगा.. मेरे प्रेम पुष्प से ,मेरा जीवन महकता रहेगा,साथ ही मेरी जीवन संध्या का वारिस भी.. मुझे मिल जाएगा…कहते हुए सोना रोने लग गई। नीलम और आकाश ने सोना को गले से लगा लिया। सोना के त्याग और प्यार से दोनों के आँखों से अश्रुधारा बह रही थी।

  ( अप्रकाशित)

रश्मि वैभव गर्ग 

कोटा

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