तीन साल से चल रहा रिश्ता नहीं….. चल नहीं खुशी से चल रहे रिश्ते, को आज विराम लग गया था । आज संजना को रोना नहीं अपनी गलती पर पश्चाताप हो रहा था। आज से चार साल पहले वो अपने प्रेमी विवेक के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी ,उसने पापा से भी साफ कह दिया था ,शादी तो विवेक से ही करेगी । दोनों एक ही कॉलेज से एमबीए करने के बाद एक ही कंपनी में जॉब कर रहे थे ।
संजना बहुत खुश थी,दोनों के परिवार वालों ने भी बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी समझकर शादी करवा दी ।
वैसे भी संजना के पिता अक्सर उसकी मम्मी से कहते हमारी बिटिया बहुत जिद्दी है। किसी की नहीं सुनती ।
दोनों अपने नए जीवन में लग गए थे।
सब कुछ सामान्य था ,विवेक फ्लैट की ई.एम. आई देता ,संजना घर के खर्चे में मदद करती ।
फरवरी माह में अचानक संजना को अमेरिका जाने का ऑफर मिला ,दोनों ही खुश थे । शादी लगभग तीन साल ही हुए थे। रविवार को संजना के लिए जब विवेक चाय लेकर गया ,तो वो उठ नहीं पाई,उसे चक्कर आ रहे थे,घबराया हुआ विवेक हॉस्पिटल लेकर गया , सारे चेकअप के बाद पता चला वो मां बननेवाली है,
हालांकि ये खुशी की बात थी ,किंतु संजना रोती हुई बोली नहीं विवेक, मुझे अमेरिका जाना है, मैं जाऊंगी। विवेक तभी से परेशान हो गया,उसके समझाने का कोई असर नहीं हुआ,बार — बार संजना बोले जा रही थी, मैं इसके लिए बहुत मेहनत की हूं ,मुझे जाने दो विवेक । बस पाँच साल की तो बात है , तुम समझती क्यों नहीं संजू ?
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ये हमारा पहला बच्चा है,।किंतु संजू अपनी जिद्द पर अड़ी रही,इसलिए बात अलग होने की हो गई। विवेक को अपनी गृहस्थी बिखरती हुई लगी । वह बहुत समझाया , संजू नौकरी के कई अवसर आयेंगे, किंतु अबॉर्शन सही नहीं है। किंतु वो नहीं मानी।
दोनों ने अलग होने का फैसला लिया।
आज दो महीने हो गए कोर्ट का आज फैसला भी आ गया ,आखरी बार संजना अपने घर आई थी ,विवेक तो शून्य में देखता रहा,उसकी जीने की इच्छा ही नहीं रही।
विवेक पलंग पर सिर झुकाए बैठा था ,रवि संजना का भाई बाहर ही कार लेकर खड़ा था, संजना ने कहा ,विवेक मैं शादी का एलबम ले जाऊं ? विवेक रो रहा था ,संजना को उसकी हालत देखी नहीं गई ,उसने कहा ,आखरी बार गले लगा लो विवेक ….
विवेक बिलखता हुआ उसे गले लगा लिया, फिर लंबी खामोशी के बाद सिर्फ सिसकियाँ गूंजने लगीं ….संजना ने कहा , विवेक मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती , मुझे माफ कर दो । वो पागलों की तरह अपने ऑफर लेटर और तलाक़ के प्रमाण के टुकड़े — टुकड़े कर दी । विवेक बोला संजू प्लीज मुझे छोड़कर कभी मत जाना । इतने में रवि बाहर से आकर देखा तो उसे सारी बात समझ आ गई , उसने हँसते हुए कहा , मैं जा रहा हूँ, दी ,अब मेरी यहां जरूरत नहीं है। उसने भावुक होकर फोन पर कहा, अम्मा प्रेम रंग लाया , प्रेम की जीत हुई जिद्द हार गया , अम्मा बोली सब ईश्वर की मर्जी है ।
सिम्मी नाथ
राँची।