जब किसी को किसी से प्रेम होता है, तो बाकी रिश्ते उसके लिए मायने नहीं रखते “जब दिलो के तार जुडते हैं, सब बेमानी लगता है सिवा, उसके जिससे रूह जुडी हो “”””
अलका “प्रभास की आँखों की गहराई मे कुछ ढूढँने लगी,
क्या हुआ अकू, प्रभास अलका को प्यार से अकू बोलता था। मै आपको छोडकर चली जाऊँ तो क्या आप मेरे वगैर
जी लोगे प्रभु “प्रभास की आँखे नम हो गई “
ऐसे हालात मे भी तुम अच्छा मजाक कर लेती हो प्रभास
की आवाज़ में वेदना थी।
सच्ची पूछ रही हूँ,प्रभास के गले मे बाहे डालते हुऐ अलका बोली, बिल्कुल चुप अलका के होंठ पर ऊँगली रखते हुए बोला प्रभास, अब तक असुँओ का सैलाब बाँध तोड आँखो के कोरो तक आ पहुँचा था। प्रभास के, “”””
प्रभु “”””हू “”कुछ बोलो न “””क्या बोलू “”””जो मुझे ,अचानक एक जोर की खाशी के साथ अलका वाशरूम की तरफ भागी जो उसके रूम मे ही अटैच था।
पीछे से सुभास अलका को आवाज देता रहा, अकू क्या हुआ “अलका ने अन्दर से कुण्डी लगा ली “और फिर “””वाशवेशिन मे मुंह से ढेर सारा खून ऊगल दिया “
अकू क्या प्रबाल्म है मुझे बताओ प्लीज “कुण्डी क्यू लगाई “
अलका ने जल्दी से नल चालू कर दिया “और मुँह धोने लगी “अकू”””””कुछ नहीं हुआ है “मै ठीक हूँ। ठसका लगा था, बस “अपनी रुलाई को दबाते हुऐ अलका बोली “
सच मे तुम मुझे डरा ही देती हो,
अलका जबाब मे कुछ न बोली बस हिचकियो के साथ रोती रही “उसकी सिसकी पानी की आवाज मे खो गई “
कुछ देर बाद वो नल बन्द कर बाहर निकली “बाहर कोई नहीं था ।उसने राहत की साँस ली “सुभास शायद किसी काम से बाहर चला गया था।
वो पलँग की तरफ बढी उसे चक्कर आने लगे “वो खुद को सम्हाल न पायी और वही फर्श पर गिर गई “अचानक से प्रभास रूम मे दौडकर आया। वो बहुत घबराया हुआ था।
अकू “वो अलका को गले लगाकर रोने लगा “
अलका की आँखों के आगे अन्धेरा छाने लगा “वो उस अन्धेरे मे खो गई “
अलका ने हौलै से आँखे खोली “उसे बहुत सारे अजनबी
चेहरे नजर आऐ “उसने महसूस किया “वो किसी हास्पिटल के बेड पर है। उसकी नजरे प्रभास को तालाश रही थी।
वो पुछना चाहती थी ‘प्रभास को पर शब्द उसके हलक मे ही फँसक़र रह गये “
उसे होश मे देख डाक्टर के चेहरे पर सन्तोष के भाव थे।
डाक्टर ने उससे पूछा कि आप फैमिली वालो से मिलना चाहते हो “अलका ने आँखो से ही “हाँ, की स्वीकृति दे दी,
माँ पापा “सासू माँ ससूर ननद बहेन भाई सब उसके पास आकर उससे लिपट गये “पर प्रभास कहा है।
प्रभु तुम कहा हो “जाने से पहले एक बार तो आ जाओ”
और फिर दवाइयों के असर की वजह से उसकी आँखें बोझिल होने लगी “
मन्दिर की चौखट पर माथा रगडते हुऐ “प्रभास मातारानी से अकू के जीवन की भीख माँग रहा था। उसे खुद का होश न था। दो दिन से वो दस चक्कर लगा चुका था। माँ के दरबार में “
प्रभास माथा टेक कर उठा और सिढियो के पास ही दीवार से टेका लेकर बैठ गया।
उसकी आँखो में उसके और अलका के सारे प्यार भरे लम्हे चलचित्र की तरह चलने लगे “
उससे मिलना “उसका अल्हड़पन उसकी हँसी “,सब “हे ज़िन्दगी हम दोनों को एक मौका और दे दे “
जब हमे दूर करना था तो मिलाया क्यू “मेरा जीवन अकू के वगैर बेमानी है।
सुभास उठा और हास्पिटल की ओर कदम बढा दिऐ हास्पिटल मे कदम रखते ही बहेन की आवाज उसके कानो मे गूँजी “माँ भईया “सुभास तू कहा था। बेटा ,बहू होश मे आने पर तुझे ही ढूँढ रही थी। माँ बोली “
प्रभास के चेहरे पर खुशी छा गई “वो इमरजेन्सी रूम की ओर भागा, अलका सो रही थी। कितनी प्यारी लग रही थी।
वो उसके पास चला गया। अकू “उसने धीरे से उसे पुकारा
अलका के शरीर मे कँपन हुई और उसने आँखे खोल दी सुभास पर नजर पडते ही उसकी आँखो में चमक आ गई “वो धीरे से मुस्कुराई “अस्पष्ट सा एक शब्द प्रभु और बस सुभास को देखती रही “उसके चेहरे की लाली और सुहाग की चमक से उसकी सास समझ गई की अब वो कुछ समय की मेहमान हैं।
वो सुभास को अकेले छोड बाहर आ गई “अलका की माँ को गले लगा कर सुबक पडी “तभी सुभास इमरजेन्सी रुम से बाहर आया और बिना कुछ बोले “बाईक स्टार्ट कर अकेला ही कही चला गया ।
नर्स दवा की पर्ची लिए बाहर आयी ।और बोली सुभास सर जल्दबाजी में पर्ची अन्दर ही भूल गये “इमरजेन्सी है। ऐ दवा अभी चहिऐ “तभी काफी लोग हास्पिटल के बाहर दौडकर जाने लगे “सुभास की माँ बाहर सुभास को देखने आयी।
बाहर बहुत भीड थी। उन्होने वार्डवाँय से पूछा “कोई एक्सीडेंट हुआ है। वो आगे बढी तभी नर्स ने बताया की अलका इस दुनिया मे नहीं रही “वो वही बैठ गई “
तभी स्ट्रेचर पर खून से लथपथ बाडी उनके सामने से गुजरी
वो धक से रह गई “उनकी साँसे रुक गई “वो बांडी सुभास की थी।
अलका और सुभास को कोई अलग न कर पाया। उनका अन्त जरुर दुखदायी था। पर वो प्रेममिलन था। अगले दिन
दोनो के शरीर एक साथ पंचतत्व मे विलीन हो गये।
उनका प्रेम मिलन “आत्ममिलन मे तबदील हो गया।
रीमा महेन्द्र ठाकुर