देखते ही देखते 30 बरस की हो चली थी वो।उसकी हमउम्र लड़कियाँ शादी करके मातृत्व का रसपान कर रही थी लेकिन सोनाली, शादी और प्यार में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी उसकी। या यूँ समझिये कि कभी कोई ऐसा मिला ही नहीं था जिसे देखकर दिल की धड़कनें तेज़ हो गई हों।स्कूल कॉलेज के दिनों में जब अधिकांश युवक युवतियाँ प्रेम में गोता लगाते हैं, उस समय भी सोनाली प्रेम से अछूती ही रही।
सोनाली एडवर्टाइजिंग कंपनी में क्रिएटिव मैनेजर के पद पर कार्यरत थी। ऑफिस में उसकी छवि बेहद संजीदा और मेहनतकश इंसान के तौर पर थी।नपी तुली बात करना और अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध रहना यही उसका मूल मंत्र था
समीर ने कुछ दिन पहले ही डिज़ाइन डिपार्टमेंट जॉइन किया था।एक ऑफिशियल मीटिंग में सोनाली ने समीर को पहली बार देखा था।
दिलों दिमाग पर जैसा असर समीर ने किया था वो पहले कभी हुआ ही नहीं था।नज़र ही नहीं हट रही थी सोनाली की समीर के चेहरे से।
‘सांवला सा रंग, गंभीर व्यक्तित्व, तकरीबन 6 फीट लंबा और उस पर सोने पे सुहागा की भाँति ब्लू कलर का सूट गले में टाई’ सोनाली समझ ही नहीं पा रही थी कि कोई इतना आकर्षक कैसे लग सकता है कि वो मीटिंग का एजेंडा भूल बस उसके मुख सौंदर्य को ही पिछले आधे घंटे से निहार रही है ।
अपने काम के लिए हमेशा गंभीर रहने वाली सोनाली ने आज पूरी मीटिंग बस दिल और दिमाग की जंग में खोकर ही बिताई। यूँ कोई नौजवान भी नहीं था वो 34 – 35 बरस का होगा। लेकिन कुछ तो था जो सोनाली को अपनी और खींच रहा था।
“क्या अभी तक कुँवारा होगा? ”
“उसकी उम्र को देखकर लगता है पत्नी बच्चे सब होंगे”.. गलत सोच रही हूँ मैं, वो किसी और की अमानत है मुझे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा।सोनाली के मन में विचारों का समंदर हिलोरें मार रहा था। दिल और दिमाग के बीच द्वंद बढ़ता ही जा रहा था कि तभी कैबिन में आहट हुई। देखा तो सामने समीर खड़ा था।समीर को देख सोनाली झटके से यथार्थ में लौट आई।
“अरे तुम! तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी। आओ! बैठो ना” अचानक ही सोनाली के मुँह से निकल गया।
“मेरे बारे में.?” सोनाली को खामोश देख समीर हौले से मुस्कुरा दिया तो सोनाली झेंप गई। धीरे धीरे समीर भी सोनाली का अपनी और झुकाव महसूस करने लगा था।
यूँ ही छुप छुपा कर समीर को देखते 6 महीने बीत गए। दिल कहता शायद यही प्यार है लेकिन दिमाग उसे रोक लेता। सोनाली अब सज संवर कर ऑफिस आने लगी थी। उसका अंतर्मन उससे सवाल करता आखिर क्यूँ और कि्सके लिए ये साज श्रृंगार किया है? लेकिन खुद को भी इस बात का जवाब नहीं दे पाती थी वो। उसकी आवाज अंदर ही घुट कर रह जाती।
सोनाली बस दूर से ही समीर को निहारती जब भी समीर बात करने की कोशिश करता वो बहाने से उससे दूर चली जाती। समीर उसके पास होता तो समीर के प्रेम का जादू उसको अपने आगोश में लेने लगता था,धड़कनें तेज़ हो जाती दिल कहता अपने प्यार का इज़हार कर दे.. खुद को रोकना मुश्किल होने लगता… बस इसलिए सोनाली थोड़ी दूरी बनाए रखती थी।
लाल रंग की कॉटन की साड़ी पहने वो टैक्सी का इंतज़ार कर रही थी। हल्का सा श्रृंगार उसके रूप में चार चांद लगा रहा था। मीटिंग खत्म होने के बाद काम खत्म करके निकलते आज 9 बज गए थे। आसमान में बादल छाए थे,खराब मौसम ऊपर से रात का समय, टैक्सी भी नज़र नहीं आ रही थी कि तभी समीर की गाड़ी आकर रुकी।
“आप बुरा ना माने तो मै आपको छोड़ दूँ”, गाड़ी का शीशा नीचे सरकाते हुए समीर ने पूछा।
“ज्यादा सोचिए मत, मौसम खराब है और दिल्ली में इतनी रात गए अकेले यहाँ खड़ा रहना सेफ भी नहीं है, प्लीज आ जाइये।” थोड़ा सकुचाते हुए सोनाली ने हाँ बोल दिया।
गाड़ी में दोनों अकेले, सोनाली की धड़कनें तेज़ हो रही थी लेकिन मुँह से बोल नहीं फूट रहे थे।
अंदर ही अंदर ढेरों प्रश्न सोनाली के मन में घूम रहे थे।
ये कैसा एहसास है जो इस परिपक्व उम्र में भी दिल को बेचैन कर रहा है।समीर को देख दिल ना जाने क्यूँ बच्चा सा बन जाता है। नवयुवतियों की तरह नादान सी बातें सोचने पर मजबूर कर देता है। तभी समीर की आवाज से खामोशी टूटी। “अपने बारे में कुछ बताओ?..अच्छा चलो मैं ही शुरूआत करता हूँ। मैं होज़ खास में रहता हूँ। मोम डैड बंगलुरु में हैं।” “और आपकी बीवी?”, समीर की बात बीच में ही काटते हुए सोनाली ने उत्सुकता वश पूछा। सोनाली की बात पर जोर का ठहाका लगाया समीर ने.. “भाई वो तो मुझे भी नहीं पता कहाँ रहती है”
” मतलब??”सोनाली ने प्रश्न वाचक मुद्रा में पूछा।
” मतलब ये मोहतरमा, तलाक शुदा हूँ मैं।”
” मेरी पत्नी के साथ मेरा शादी के एक महीने बाद ही अलगाव हो गया था।” समीर अपने रिश्ते के बारे में बताने लगा। उसकी आवाज में संज़ीदगी महसूस होने लगी।
मैं उस समय US में कार्यरत था। शादी के तुरंत बाद ही मैं वापिस US चला गया था। एक महीने बाद उसको साथ ले जाने आया तो पता चला कि उसका किसी और के साथ रोमांस चालू था। वो अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुकी थी।अपने पापा के दबाव में आकर उसने मुझसे शादी तो की लेकिन अपने प्रेमी से लगातार मिलती रही।
शादी को लेकर अरमान सिर्फ एक महिला के नहीं होते, हम पुरुष भी बहुत से अरमान सजाते हैं। मुझे बहुत गहरा सदमा लगा। अपनी नई नवेली दुल्हन, जिसके साथ जीवन बिताने के मैं सुंदर सपने देख रहा था, एक पल में सब बिखर गए। मुझे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने तुरंत उसे घर से बाहर निकाल दिया। बाद में हम दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। तबसे मुझे भी नहीं पता वो कहाँ हैं।”
” वैसे मैं बुड्ढा लगने लगा हूँ क्या? समीर ने फिज़ा में फैली संज़ीदगी को दूर करने के लिए ठहाका लगाया।
“अरे नहीं! मेरा वो मतलब नहीं था।”सोनाली ने कहा।
“और तुमने भी शादी नहीं की.. क्यों?”समीर सोनाली की ओर मुखातिब हुआ।
“कोई मिला ही नहीं ऐसा.. मैं अपने काम में व्यस्त रही, ऐसी कोई शादी की जल्दी भी नहीं थी मुझे बस इसीलिये।
” अभी तक नहीं मिला क्या? “, समीर ने शरारती अंदाज़ में पूछा।
सोनाली कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसकी ओर देखते हुए समीर ने पूछा, “शादी करोगी मुझसे?”
” क्या…” सोनाली अवाक रह गई थी।
“हाँ यार अब तन्हाई काटने को दौड़ती है।मैंने देखा है तुम्हें चोरी चोरी नजरे बचा कर मुझे देखते हुए। अगर तुम्हें मैं पसंद हूँ तो बोलो!
आकर्षित तो मैं पहले ही दिन से था लेकिन अपने एहसास को रिश्ते का नाम देने के लिए मैंने थोड़ा वक़्त लेना सही समझा। तुमसे बात करने की कई बार कोशिश की लेकिन तुम तो मुझसे ऐसे भागती हो कि क्या बताऊं! आज बड़ी मुश्किल से हाथ लगी हो”, समीर ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैडम तुम्हारा नशा है कि उतरता ही नहीं… बोलो करोगी शादी? प्यार तो करती हो ना मुझसे। तलाकशुदा हूँ ये जानकार फैसला बदल तो ना दोगी? तुम्हारे मन में जो भी है खुल कर बता सकती हो। समीर ने सोनाली को सहज करते हुए कहा।
सोनाली को कुछ कह पाने के लिए शब्द ही नहीं मिल रहे थे । पलकें झुका कर बस इतना ही कह सकी, “आप मेरे पापा से मिल लीजिए एक बार।मुझे कोई आपत्ति नहीं है।”
इतना गंभीर सा दिखने वाला समीर असल में इतना रोमांटिक होगा कि एक झटके में उसे प्रपोज़ कर देगा सोनाली ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
बाहर अभी भी जोरों से बारिश हो रही थी लेकिन प्रेम की जिस बारिश में वो अभी अभी भीगी थी उसका एहसास कुछ अलग ही था।प्रेम के एहसास से गुलाबी होते उसके गाल सारा हाल बयां कर रहे थे।
सोनिया निशांत कुशवाहा