ओहो मां……! क्या हर वक्त बस, शादी शादी करती रहती हो। मैंने कहा ना, मुझे नहीं करनी कोई शादी-वादी। फिर भी रिश्ते लेकर चली आती हो। अनामिका चिल्लाते हुए अपनी मां से बोली।
मां: तेरे कह देने भर से क्या होता है…? हर लड़की को शादी तो करनी ही पड़ती है।
अनामिका: करती होगी हर लड़की, मुझे उससे क्या…? मैं तो बिना शादी के ही खुश हूं। अपनी मर्जी से कहीं भी आती जाती हूं, अपने पैसे कमाती हूं, जो चाहे खर्च करती हो। कोई पाबंदी नहीं चाहिए मुझे….
मां: शादी का मतलब पाबंदी तो नहीं होता है। बेटा, अभी तो तू जवान है, इसलिए यह सब कह रही है, पर बुढ़ापे में एक जीवनसाथी की कितनी जरूरत होती है, यह तुझे नहीं पता। जिंदगी बहुत लंबी है बेटा…! इसे अकेले जीना बहुत मुश्किल है।
अनामिका: तो बुढ़ापे के लिए चाहिए जीवन साथी…? तो फिर बुढ़ापे में ही कर लूंगी शादी…!
मां: बस कर अब…! कल तेरी बुआ एक रिश्ता लेकर आ रही है। तू बस घर पर रह कर, मुझ पर एहसान कर देना।
अनामिका: यह बुआ भी ना..! अगुवाई करते करते थकती भी नहीं। देखिए मां, मैं घर पर तो रह लूंगी, पर मुझसे वह देखने दिखाने का ड्रामा नहीं होगा। मैं जैसी रहती हूं, वैसे ही मिलूंगी उससे। फिर मत कहिएगा, कि बताया नहीं…..
मां: हां, मेरी मां…! यह सब तेरे पापा के ज्यादा लाड का नतीजा है, जो इतनी मुंह फट हो गई है।
अगले दिन अनामिका की बुआ और वह लड़का वरुण आता है। यह लोग अपने समय से 1 घंटे पहले ही आ जाते हैं।
अनामिका की बुआ: इसे कहीं काम से बाहर जाना था, इसलिए मैंने ही कहा चलो मेरा अपना ही तो घर है..! थोड़ी जल्दी चले जाने से कुछ नहीं होगा। वैसे भाभी…! अनु बेटा घर पर ही है ना….?
मां: हां कमला…!आप लोग बैठिए , मैं अभी चाय लेकर आती हूं। अनामिका की मां दौड़ती हुई अनामिका के कमरे में जाती है जहां अनामिका चादर ओढ़ कर खराटे ले रही थी।
मां: अरे उठ जा, अनु…! वे लोग आ गए हैं । 12:00 बज रहे हैं और तू अभी तक सो रही है। क्या सोचेंगे वह तेरे बारे में….?
अनामिका: आपने तो कहा था 1:00 बजे आने वाले हैं और अभी तो बस 12:00 ही बजे हैं।आप के कहने पर आज छुट्टी ली थी, तो क्या चैन से सो भी नहीं सकती…?
मां: चैन से सोने का मतलब 12:00 बजे तक सोना नहीं होता चल उठ अब और नहा धोकर बाहर आ….
अनामिका: उठ रही हूं…! दो घड़ी चैन भी नहीं लेने देता कोई। और इस महासय को शादी की इतनी जल्दी पड़ी है, करवाती हूं इसकी शादी….! बड़बड़ाते हुए, अनामिका बाथरूम में घुस गई।
कुछ देर बाद अनामिका, अपने नाइट ड्रेस में ब्रश करती हुई अपने बालों को समेटते हुए बहार आई….
सब हैरान भरी नजरों से देख रहे थे….।
अनामिका की बुआ: क्या भाभी…?यह कैसे आ गई है बाहर। आपने इसे नहीं बताया कि, हम आए हैं।
मां: हां कमला बताया तो था….! पर आप तो जानती है ना, अनु को…!
बुआ: ये आपके और भैया के प्यार का नतीजा है, जो अनु इतनी जिद्दी हो गई है।
मां: अरे बेटा…! ब्रश तो करके बाहर आती…।
अनामिका: पर मुझे इसके लिए टाइम ही कहां मिला…?मुझे लगा इनको बहुत जल्दी है, तो ब्रासिंग में इनका टाइम क्यों वेस्ट करना..? आप लोग थोड़ा वेट कीजिए, मैं अभी अपना मुंह धो कर आती हूं ….
यह सब देख कर, वरुण मुंह दबाए हंसे जा रहा था। थोड़ी देर के बाद अनामिका वापस आती है वही नाइट ड्रेस में।
बुआ: वरुण बेटा…! तुम्हें कुछ बात करनी हो तो कहो…!
वरुण: जी…!
बुआ: अनु…! इसे अपने कमरे में ले जा।
वरुण, अनामिका कमरे में जाते हैं….
अनामिका: तुम्हें क्या बात करनी है पता नहीं…? पर पहले मैं अपनी बात कह देती हूं। मुझमे संस्कारी बीवी वाले कोई गुण नहीं है। ना तो मुझे खाना बनाना आता है, ना तो सुबह उठा जाता है और भी बहुत कुछ बोलने हीं जा रही थी….
वरुण: अरे रुको भी…! मुझे भी कुछ बोलने दो। दरअसल शादी तो मुझे भी नहीं करनी…। पर मेरी मां के जबरदस्ती के कारण मैं यहां आया हूं। तो तुम्हें इतनी दूर की सोचने की कोई जरूरत नहीं है।
अनामिका खुश होती हुई, वैसे तुम मेरे टाइप के लगते हो जिसे अपनी आजादी प्यारी है ।तो क्या हम दोस्त बन सकते हैं…? वरुण: ओके…! अब मैं चलता हूं।
दोनों एक दूसरे को अपना नंबर देते हैं और वरुण वहां से चला जाता है।
फिर कुछ दिनों के बाद वरुण अनामिका को फोन करता है…
वरुण: हेलो अनामिका…! क्या तुम बिजी हो…?
अनामिका: बिजी तो हूं…! पर कहो।
वरुण: शाम को मेरे साथ चलोगी…?
अनामिका: पर कहां…?
वरुण: लॉन्ग ड्राइव पर..! असल में मुझे लॉन्ग ड्राइव पर जाना, प्रकृति की सुंदरता देखना और अपने बिजी शेड्यूल से ब्रेक लेना बहुत पसंद है। और मैं यह वीक में एक या दो बार कर ही लेता हूं। तो इस बार भी प्लान हुआ, सोचा तुम्हें भी साथ लेते चलूं…!
अनामिका: अरे वाह…! यह सब तो मुझे भी पसंद है। ठीक है चलूंगी….
दोनों लॉन्ग ड्राइव पर जाते हैं। बहुत सारी बातें होती है ।अब यह उनका हर वीकेंड का रूटीन बन जाता है। धीरे-धीरे दोनों को एक दूसरे की आदत सी हो रही थी।
अनामिका, अब जब भी वरुण से मिलने जाती तो, सज सवर के जाती। उसे उसके साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था। फिर 1 दिन…,
अनामिका: वरुण, मुझे ना तुमसे कुछ बात करनी है….! पर….?
यह वही लड़की है, जो कोई भी बात, मुंह पर फट से कह देती थी। पर आज उसके शब्द मुंह से जैसे बाहर ही नहीं आ रहे थे।
वरुण: पर क्या अनु….?
वरुण के मुंह से अनु सुनना उसे बहुत पसंद आया।
अनामिका: वरुण, मुझे लगता है मुझे तुमसे प्यार हो गया है…!
वरुण: पर अनु…!तुमने तो कहा था हम बस दोस्त है। और भले ही तुम्हें मुझसे प्रेम हो गया है, पर मैं वही पहले वाला वरुण ही हूं और मुझे अपनी आजादी बहुत प्यारी है….
यह बोलकर वरुण जैसे ही पीछे मुड़ा, उसने देखा अनामिका जा चुकी है। उसके बाद से अनामिका ने वरुण से बात करना ही बंद कर दिया। ना ही उसका फोन उठाती थी, और ना ही उसके मैसेज का जवाब देती थी।
छुट्टी का दिन था, क्यों मैं प्यार के चक्करों में पड़ी…?और अभी वरुण से बात करने में भी शर्म आ रही है। वह तो बस, मुझे अपना दोस्त ही मानता है…बिस्तर पर पड़े पड़े अनामिका यही सोचते-सोचते सो गई। अचानक उसकी आँख एक स्पर्श से खुली। देखा तो सामने वरुण खड़ा था। उसे देख अनामिका सोचने लगी कहीं ये कोई सपना तो नहीं…?
अनामिका: वरुण तुम…?
वरुण: हां मैं….! चलो मेरे साथ….।
अनामिका: कहां…?
वरुण: कुछ मत बोलो…! बस चलो।
वरुण, अनामिका को लेकर दूर एक झील के किनारे गया….वहां की सजावट देख कर अनामिका हैरान हो जाती है।
अनामिका: यह सब क्या है वरुण..?
वरुण: जिस दिन तुम्हें मैंने पहली बार देखा, प्यार तो उसी दिन हो गया था और ठान भी लिया था, अगर शादी करूंगा तो इस पगली से ही..! बस तुम्हारे हां का इंतजार कर रहा था।
अनामिका: पर तुमने तो कल…..!
वरुण: याद है मैंने कहा था…? मैं वही पुराना वाला वरुण हूं। बहुत तड़पाया है तुमने मुझे, थोड़ा हक तो मेरा भी बनता था।
अनामिका: तो तुम नाटक कर रहे थे..? और मेरी यहां जान निकली जा रही थी।
वरुण: ऐसे कैसे निकलेगी तुम्हारी जान….? मेरी अनु…!
यह बोलकर वरुण अनामिका का हाथ पकड़कर अपनी और खींच लेता है।
शादी के नाम से चिढ़ने वाली अनामिका,आज वरुण का प्रेम भरा स्पर्श पाकर, प्रेम दिवानी बनकर अपनी शादी के सपने बुनने लगी थी।
#प्रेम
धन्यवाद
स्वरचित/मौलिक
रोनिता कुंडू