प्रायश्चित..! – कामिनी सजल सोनी

देखो जी मैं कहे दे रही हूं बड़े भैया आ तो रहे हैं लेकिन अगर कुछ पैसों की मदद मांगे तो साफ मना कर देना मैंने सुना है कि इस बार गांव की फसल अच्छी नहीं हुई है…!!

राघव के बड़े भाई सुरेंद्र जी  के आने की खबर सुनकर शीतल का मूड सुबह से ही खराब था राघव के ऑफिस से आते ही वह उस पर बरस पड़ी।

शीतल के इस तरह बोलने पर राघव को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वह शांति से बोला बिना किसी कारण जाने तुम ऐसे कैसे कह सकती हो, कि भाई यहां पैसों की मदद के लिए आ रहे हैं।

हो सकता है हमसे मिलने आ रहे हो या फिर कुछ और बात हो मेरा सर बहुत दर्द दे रहा है एक कप मेरे लिए चाय बना कर लाओ और हो सके तो इस विषय पर अब चर्चा मत करना!!

गुस्से में पैर पटकती हुई शीतल रसोई घर में चाय बनाने के लिए चली गई लेकिन अभी उसका बड़बड़ाना बंद नहीं हुआ था।

शीतल का यह व्यवहार राघव की सहनशीलता से बाहर था जब भी राघव के परिवार से कोई आता शीतल का यही व्यवहार होता और जब शीतल के परिवार से कोई आता तो पलक पांवड़े बिछा देती उनकी राहों में!! राघव की समझ में नहीं आता जब वह भेदभाव नहीं करता तो शीतल दोनों परिवारों में इतना भेदभाव क्यों करती है।

अगले ही दिन सुरेंद्र जी सुबह-सुबह घर आ गए गांव से घर का बना हुआ ऑर्गेनिक गुड़, शुद्ध देसी घी और राधव की भाभी के हाथ के बने मेथी के लड्डू…!!

प्रफुल्लित होकर यह सब उन्होंने शीतल को दिया लेकिन खुशी व्यक्त करने की बजाय शीतल ने बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप सामान रख लिया।

राघव बार-बार यह जताने की कोशिश कर रहा था कि बड़े भैया आप यह सब ले आए तो हमें मिल गया वरना बड़े-बड़े शहरों में कमरतोड़ महंगाई में यह सब कहां नसीब है।

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सुरेंद्र जी राघव से कुछ मदद ना मांग ले इसीलिए शीतल ने उनके चाय नाश्ता करने के बाद ही घर के ऐसे हालातों का दुखड़ा रोना शुरू कर दिया जिनसे राघव का दूर-दूर तक वास्ता नहीं था ।

शीतल के इस तरह के व्यवहार से राघव बहुत दुखी हो गया और मन ही मन सोच रहा था कि आखिर आज वह जो कुछ भी है अपने बड़े भाई की वजह से ही तो है।

याद है उसे आज भी वह दिन जब छोटी उम्र में ही  पिता का साया उनके सर से उठ गया था मां जानकी देवी अपने दोनों बच्चों को सीने से लगाए उनके भविष्य की चिंता में हर पल खोई रहती तब बड़े भैया ने मां को दिलासा दिया था कि राघव को वह कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने देगा!! अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ कर खेती-बाड़ी संभाल कर राघव को उन्होंने उच्च शिक्षा दिलवाई ।

उसे याद है आज भी वह दिन जब पड़ोस के बबलू की साइकिल को देखकर वह घर पर खूब मचला था मुझे भी बबलू के जैसी साइकिल लेना है तब बड़े भैया ने अपना एक बैल बेचकर उसके लिए नई साइकिल खरीदी थी और फिर राघव साइकिल पर अपने दोस्तों के साथ बैठ कर खूब मस्ती करता….!!

राघव की भावनाओं को शीतल कभी नहीं समझ सकती थी।

शीतल के इस तरह से बात करने से सुरेंद्र जी  चिंतित हो गए उन्होंने आश्वासन देते हुए राघव से कहा तेरा बड़ा भाई आज भी जिंदा है तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं बताओ तुम्हें कितने पैसों की जरूरत है।

घर पर काम चल रहा है तुम्हारी भाभी की इच्छा थी ,कि जब तुम लोग छुट्टियों में कुछ दिन के लिए गांव आते हो तो शीतल को बहुत परेशानी होती है इसीलिए रसोईघर अत्याधुनिक तरीके से बनाया जाए, बाथरूम में भी गीजर लगवाना था क्योंकि अब ठंड में पानी गर्म करने की बहुत समस्या होती है, तुम्हें इन सब चीजों का ज्यादा अनुभव है बस इसी के लिए मैं तुम्हारे पास आया था ,कि आधुनिक रसोई घर में लगाए जाने वाले सामान तुम्हारी सहायता से खरीद लूं !!लेकिन हम लोगों का कुछ नहीं है साधारण रसोई घर में भी काम चल जाएगा, इस बार खेत में दो-तीन पेड़ भी सूख गए हैं उन्हीं की लकड़ियों से यह ठंड हम गर्म पानी करके गुजार लेंगे!!

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फिलहाल यह पैसे तुम रखो अभी तुम्हें इन पैसों की ज्यादा जरूरत है इतना कहकर अपने साथ में लाए हुए पूरे तीन लाख रुपए सुरेंद्र जी ने राघव के हाथ पर रख दिए। आज फिर सुरेंद्र जी राघव की जरूरतों के आगे अपनी जरूरतों को पीछे छोड़ चुके!!

अब तक शीतल बड़े भैया की महानता के किस्से राघव के मुंह से सुनती आई थी लेकिन आज प्रत्यक्ष उसने देख लिया कि बड़े भैया की जिंदगी में राघव से बढ़कर कुछ नहीं है ,राघव का सुख-दुख उनके लिए बहुत महत्व रखता है। अपनी ही सोच पर शर्मिंदा होते हुए शीतल बड़े भैया से नज़रें नहीं मिला पा रही थी।

मन ही मन प्रायश्चित की आग में जलते हुए शीतल बड़े भैया के पैरों में झुक गई और उनसे क्षमा मांगते हुए बोली क्षमा कर दीजिए बड़े भैया हमें कोई परेशानी नहीं और अब हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपके घर बनने में किसी भी चीज की कोई कमी ना रहे राघव  अच्छे से अच्छा सामान आपके लिए खरीदेंगे।

सुरेंद्र जी को शीतल का यह व्यवहार अचानक से समझ में नहीं आया लेकिन उसकी आंखों से बहते हुए प्रायश्चित के आंसू बहुत कुछ कह रहे थे। उन्होंने चुपचाप अपना हाथ शीतल के सर पर रखकर कहा सदा खुश रहो बेटी कभी भी किसी बात की कोई चिंता मत करना!!

अब इजाजत चाहूंगा बहुत समय से तुम लोग गांव नहीं आए हो सके तो समय निकालकर घर जरूर आना !!

अब शीतल के दिल में बड़े भैया के लिए इज्जत का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ चुका था।




जी भैया हम सभी जरूर आएंगे कहते हुए शीतल एक बार पुनः बड़े भैया के चरण स्पर्श करने के लिए झुक गई थी।

धन्यवाद 

कामिनी सजल सोनी 

#इज्जत

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