शहर की लाल बत्ती का बड़ा सा चौराहा वही सड़क किनारे शाम 4:00 बजे एक आइसक्रीम की रेहड़ी अपने समय पर आकर खड़ी हो जाती आइसक्रीम बेचने वाला शिव कुमार 3 सालों से अपने चुने हुए स्थान पर समय पर आ जाता सर्दी हो या गर्मी वह हमेशा एक कलर की ही कमीज पहने दिखाई देता पैरों में पुरानी चप्पल एक बटन वाला मोबाइल जो उसकी शर्ट की ऊपर वाली जेब में पड़ा दिखाई देता रात 11:00 बजे तक आने-जाने वालों को आइसक्रीम बेचकर जो रुपए कमाता उससे उसका गुजर बसर हो जाता था
वहीं पास में एक पुलिस बूथ है रात 10:00 बजे के बाद वहां का एक हवलदार प्रतिदिन अपनी नाइट शिफ्ट में हमेशा उसके पास आता और एक आइसक्रीम मुफ्त की खा जाता शिव कुमार ने हमेशा की तरह एक बढ़िया सी कुल्फी अलग रख दी जब रात के 10:00 बज गए तब
एक मोटा तगड़ा सा पुलिस वाला हाथ में डंडा लिए आता दिखा शिव कुमार गौर से देखने लगा और सोचने लगा यह वह पुराना पुलिस वाला नहीं लग रहा है तभी वह पुलिस वाला रेहड़ी पर आकर खड़ा होते हुए बोला मेरा चेहरा गौर से देख ले सामने पुलिस बूथ है उसी में मेरी नाइट शिफ्ट आज से शुरू हो चुकी है उसने दो आइसक्रीम उठाकर खड़े-खड़े ,, खा ,, ली
शिव कुमार एक गरीब परिवार से था घर में पत्नी उमा और दो बच्चे थे पास की कच्ची बस्ती में रहकर अपने दिन काट रहा था ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था शहर जब आया था तब किसी ने आइसक्रीम की रेहड़ी लगाने की सलाह दी थी तब से आज तक आइसक्रीम ही बेंच रहा है
पुलिस वाले ने डंडा जमीन पर पटकते हुए कहा दो आइसक्रीम और दे दे पु
लिस बूथ में बैठकर आराम से खाऊंगा शिव कुमार ने कहना तो चाहा सर आपके चालिस रूपए हो चुके हैं मगर कह नहीं पाया पुलिस वाला चला गया
रात 11:00 बजे शिवकुमार घर लौट आया रोज की तरह शिव कुमार की पत्नी उमा ने रुपए गिने तो तीस रूपए कम निकले तब शिवकुमार ने बताया आज कोई नया पुलिस वाला आया था नाइट शिफ्ट में चार आइसक्रीम खा गया तब उमा गर्म होते हुए बोली हम भी तो कंपनी से आइसक्रीम लाते हैं कमीशन पर ,,
एक हजार रूपए की आइसक्रीम बेचने पर केवल सौ रुपए ही हमारे होते हैं बाकी रुपए कंपनी में जमा करवाने होते हैं दस रुपए का घाटा तो हम पहले ही झेल रहे थे अब पूरे चालिस रूपए का घाटा कैसे सह पाएंगे पुलिस वालों को सरकारी सैलरी मिलती है फिर यह अपनी दादागिरी हम जैसे गरीब लोगों को क्यों दिखाते हैं
शिवकुमार जानता था पत्नी का गुस्सा जायज है ,, फिर भी,,
शिव कुमार ने अपनी पत्नी उमा को धैर्य का पाठ पढ़ाते हुए कहा अब फिलहाल तुम साठ रुपए से ही घर का गुजारा करो हम गरीब आदमी उन बड़े लोगों से लड़ नहीं सकते मैं सुबह से शाम के 4:00 बजे तक खाली रहता हूं सोच रहा हूं दिन में बड़े लोगों के घर में रंग रोगन का काम शुरू कर दूं पड़ोस के कई लोग यही काम करते हैं तब हमारा घाटा पूरा हो जाया करेगा
शिव कुमार ने अपने पड़ोसी शंभू से बात की तब शिवकुमार को शंभू ने एक पता दे दिया शिव कुमार सुबह 7:00 बजे ही शंभू के बताएं पते पर चल पड़ा 1 घंटे पैदल चलने के बाद शिवकुमार बड़ी-बड़ी इमारतों के बीच आ गया वहीं पास में एक शानदार कोठी थी गेट पर पहरेदार बैठा था शिव कुमार ने पहरेदार से कहा मैं कोठी में रंग रोगन के लिए आया हूं पहरेदार बोला यह कोठी एक पुलिस वाले की है
मजदूरों से काम करवा कर मजदूरी नहीं देता है कोई ना कोई गलती निकाल कर मजदूरों को खाली हाथ भगा देता है मैं पिछले 3 महीने से यहां नौकरी कर रहा हूं अभी तक सैलरी देखने को नहीं मिली यह बड़े लोग बड़े जालिम होते हैं गरीबों से कसकर काम लेते हैं और सैलरी देने के समय हमारी सौ गलतियां निकाल कर हमारा मुंह बंद कर देते हैं तुम भले व्यक्ति जान पड़ते हो मेरी बात मानो तुम यहां काम मत करो वरना तुम्हारे पैसे भी डूब जाएंगे
तब शिव कुमार बोला मुझे काम की जरूरत है इसलिए इतनी दूर से चलकर यहां तक पहुंचा हूं पहरेदार ने शिव कुमार के उदास चेहरे के भाव पढ़ लिए थे वह जान गया था इसे नौकरी की सख्त जरूरत है शिव कुमार का नाम डायरी में लिख लिया और शिव कुमार को कोठी के भीतर जाने की अनुमति दे दी कोठी में एक गार्डन था वहां एक माली को कोई व्यक्ति बुरी तरह डांट रहा था
शिव कुमार ने ध्यान से देखा यह तो वही रात वाला पुलिस वाला है जो कल रात मेरी चार आइसक्रीम खा गया था यहा लुंगी पहनकर घूम रहा है शायद यही इस घर का मालिक होगा
,,,, तुम्हें पौधे में पानी छिड़कना भी नहीं आता सारे पौधे सूख गए तुम्हें माली किसने बना दिया तुम्हारी 4 दिन की सैलरी काटूंगा इतना कहकर वह कमरे के भीतर चला गया ,,,
शिव कुमार पौधों के पास पहुंचकर माली से पूछने लगा यह कौन थे जो तुम्हें फटकार रहे थे तब माली ने बताया सारे पौधे अच्छे से खिले हुए हैं जगह-जगह फूल खुशबू दे रहे हैं लेकिन यह पुलिस वाला हर महीने गलती बता कर 5 दिन की सैलरी काट कर केवल 25 दिन की ही सैलरी हाथ में थमाता है क्या तुम रंग रोगन के लिए आए हो कोठी के सबसे ऊपर वाले माले की दीवार का रंग रोगन झड़ गया है सफेदी उखड़ सी गई है वहीं चले जाओ सीढ़ी वह रही सामने शिव कुमार सीढ़ी के रास्ते से कोठी के ऊपर पहुंच गया वहां दो मजदूर पहले से ही बैठे थे
तब एक ने कहा मैं रंग रोगन करवाने वाला ठेकेदार हूं एक हेल्पर तो मेरे पास है एक और चाहिए था तब शिवकुमार ने कहा मैं हेल्पर के लिए ही आया हूं मुझे शंभू ने भेजा है ठेकेदार ने शिव कुमार को काम समझा दिया शिव कुमार अपने काम में लग गया शाम के 4:00 बजने से पहले ही शिव कुमार घर जाना चाहता था शाम 4:00 बजे उसे आइसक्रीम बेचने का धंधा भी करना था ठेकेदार ने शिवकुमार से कहा मुझे शंभू ने बताया था कि तुम्हें शाम 4:00 बजे से पहले घर जाने दूं
किंतु यह रंग रोगन का काम एक दिन का ही था तुम अपनी मेहनत के पचास रुपए लो और घर चले जाओ तब शिवकुमार ने कहा मगर शंभू ने तो एक दिन की सौ रूपए दिहाड़ी बताई थी तब ठेकेदार बोला तुम नए हो और 2 घंटे पहले भी जा रहे हो अब बचा खुचा काम है रात तक यह दूसरा हेल्पर पूरा कर देगा उसके बाद यहां का काम समाप्त हो जाएगा फिर किसी कोठी में काम होगा
तो तुम्हें मैं शंभू से कहलवा कर बुलवा लूंगा
शिव कुमार पचास रुपए लिए सीढ़िओ से नीचे उतरने लगा तभी उसे एक चिल्लाने की आवाज आई वह उस और तेज कदमों से दौड़ा आवाज किसी बच्चे की थी शिव कुमार ने सीढ़ी की दीवार में बनी खिड़की से बाहर झांका तो एक छ सात बर्ष का बच्चा 20 फीट ऊंचे तार पर झूल रहा था उसकी आंखें बंद थी उसी तार के नीचे 15 फुट की ऊंचाई पर पावर वाले करंट के नंगे तार थे बच्चा धीरे-धीरे फिसल कर नीचे की ओर हो रहा था
शिव कुमार ने तेज नजरे दौड़ाई सीढ़िओ की दीवार में मीटर लगा था शिव कुमार ने देर ना करते हुए बिजली की सप्लाई को तुरंत मैन पॉवर गिराकर रोक दिया शिवकुमार सीढ़िओ से उतरकर बाहर आंगन में पहुंचा
,, जहां बच्चा झूल रहा था अब वह पावर वाले करंट के तार में फंसा पड़ा था पहरेदार माली वहां उसे बचाने में लगे थे
शिव कुमार गेट से बाहर तेजी से आया और बस पकड़ के घर पहुंचा आइसक्रीम की रेहड़ी लेकर समय पर अपने ठिकाने पहुंच गया चार रोटियां साथ ले आया था शिव कुमार के कुछ ग्राहक 4:00 बजे नियम से आ जाते थे लेकिन आज शिव कुमार पूरे 15 मिनट लेट हो चुका था शिवकुमार को आइसक्रीम बेचते बेचते 5 घंटे हो गए रात के 9:00 बज चुके थे शिवकुमार को भूख लगी तो अपने स्टूल पर बैठकर प्याज के साथ रोटी खाने लगा तभी शिव कुमार का छोटा बेटा डब्बू किसी आदमी का हाथ पकड़े चले आ रहा था
वह आदमी रेहड़ी के पास आकर खड़ा हो गया और उसने शिव कुमार को बताया शाम 3:45 बजे मैं टेलीविजन देख रहा था तभी कुछ देर बाद हमारे बेटे हर्ष के चिल्लाने की आवाज आई मैं अपनी पत्नी और मां के साथ बगीचे में पहुंचा तो हमारा बेटा ऊपर वाले तार पर छत से गिर गया वह खेलते खेलते छत वाले कमरे पर चला गया था रंग रोगन की वजह से वहां बहुत फिसलन थी हर्ष का पैर स्लिप हो गया वह छत से गिरकर एक तार में जा लटका तब तक हम बगीचे में आ चुके थे
पहरेदार सीढ़ी का इंतजाम करने के लिए दौड़ा हम दुआं कर रहे थे कि वह नीचे वाले पावर करंट के नंगे तारों पर ना गिरे लेकिन पलक झपकते ही वह करंट वाले तारों में जा फंसा उसकी आंखें बंद थी हमें लगा हमने अपने बेटे हर्ष को खो दिया है पहरेदार सीढ़ियां ले आया सीढ़िओ पर चढ़कर हर्ष को छुआ तो उसमें करंट नहीं था तारों को छुआ तो उसमें भी करंट नहीं था यह करिश्मा देख सब सोचने लगे सही समय पर भगवान ने बिजली की सप्लाई बंद कर दी हर्ष को उतार लिया गया
जब हर्ष को लेकर कमरे में पहुंचे तो वहां अंधेरा ही अंधेरा था बिजली विभाग वालों को बुलाया गया उन्होंने छानबीन के दौरान कहा बिजली की सप्लाई को रोकने का काम भगवान ने नहीं किसी इंसान ने किया है क्योंकि मीटर के सारे स्विच ऑफ कर दिए गए हैं वह देखो दीवार पर एक कैमरा लगा है जो सीधा मीटर को ही देख रहा है सीसीटीवी कैमरा देखा तो उसमें तुम्हारी तस्वीर दिखाई दी अगर तुम एक सेकंड भी लेट हो जाते तो न जाने क्या हो जाता
,, कहते कहते उसकी आंखें भर आई
लेकिन उसने कहना जारी रखा ठेकेदार ने बताया यह शिवकुमार है एक दिन के लिए यहां दिहाड़ी पर आया था शंभू ने भेजा था मैं शंभू का पता लेकर शंभू के घर पहुंचा तो शंभू ने तुम्हारे घर का पता दे दिया लेकिन तुम वहां नहीं मिले तुम्हारी पत्नी उमा ने बताया वह रेहड़ी लेकर शाम को ही निकल गए थे
तब मैंने कहा मुझे जरूरी उनसे मिलना है तब तुम्हारी पत्नी ने डब्बू को आवाज लगाते हुए कहा अंकल जी को पापा के ठिकाने पर ले जाओ
सीसीटीवी के कैमरे में शक्ल तुमसे मिलती-जुलती सी लग रही थी मुझे ऐसा लगा शिवकुमार शायद कोई और व्यक्ति है लेकिन डब्बू जब मुझे तुम्हारे पास ले आया तब मुझे अपने आप से बड़ी घृणा हुई कल रात मैंने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया था मेरी पत्नी और मेरी मां ने तुम्हें आशीर्वाद भेजा है
घर के सभी लोग तुमसे मिलना चाहते हैं
मेरा बेटा हर्ष तुमसे दोस्ती करना चाहता है
शिव कुमार ने कहा मेरा हर वह शख्स दोस्त है जो मुसीबत में है
इस समाज में हम सब अलग नहीं है कौन कहां कब कैसे काम आ जाए इसलिए जीवन जीने के लिए सबका साथ जरूरी है
शिव कुमार की बातें सुनकर दरोगा जी ने कहा माली और पहरेदार को अभी जाकर उनकी रुकी हुई पगार दूंगा और मुझसे हुई गलतियों की उनसे क्षमा मांगूंगा तुमसे मुझे जीने की एक नई सीख मिली है
इतना कह कर वह चला गया
एक महीना बीत चुका था उस पुलिस बूथ से फिर कोई आइसक्रीम लेने नहीं आया ।
,, समाप्त ,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना