रामचंद्र जी की तीन पुत्रियों में मंजू सबसे छोटी थी। उन्होंने अपने दो पुत्रियों की शादी बहुत पहले ही कर दी थी।
रामचंद्र जी की कमाई भी इतनी ज्यादा नहीं था कि वह अपने लड़कियों की शादी बहुत बड़े घर में कर सकते थे। अपनी दोनों बड़ी बेटियों की शादी भी साधारण घर में ही किया था।
मंजू की शादी थोड़े अच्छे घर में करना चाहते थे क्योंकि वह उनकी आखिरी बेटी थी लेकिन जो भी लड़का मिलता था, वह इतना ज्यादा दहेज का डिमांड करता था कि रामचंद्र जी चाहते हुए भी उस लड़के से मंजू की शादी नहीं कर सकते थे।
रामचंद्र जी को जो लड़का पसंद आता था वह मंजू को या इनके घर वाले को पसंद नहीं आता था ऐसे में लड़का खोजते हुए एक साल से भी ज्यादा हो गया था कोई भी अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था मंजू को शादी करने के लिए इस वजह से घर में सब परेशान थे।
एक दिन तो मंजू की मां ने यहां तक कह दिया कि इस बार जो भी लड़का मिलेगा बिना सोचे समझे उससे हम मंजू का हाथ पीला कर देंगे। लेकिन कहा जाता है कि जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती है पृथ्वी पर तो हम सिर्फ उसे मिलाते हैं बस यही सब मंजू के साथ भी हुआ एक दिन अचानक मंजू के बड़े मामा मंजू के घर पर आए हुए थे। उन्होंने एक रिश्ते के बारे में अपने जीजा जी से बात करी।
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मंजू के मामा ने मंजू के पापा से बताया कि जीजाजी एक लड़का है दिल्ली में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है परिवार भी बहुत छोटा है सिर्फ लड़का और उसके पिताजी यानी कि घर में कुल 2 सदस्य हैं। मंजू के पापा ने अपने साले का बात काटते हुए बोला कि साले साहब लड़का इंजीनियर है तो वह हमारे मंजू से शादी क्यों करेगा ।
आपको तो पता है कि हम इतना ज्यादा दहेज भी नहीं दे सकते हैं मंजू के मामा ने बोला जीजा जी आपको दहेज एक रुपए नहीं देना है बल्कि शादी का खर्च भी लड़के वाले ही उठाएंगे।
बस जीजाजी लड़के में एक ही कमी है कि लड़का की शादी आज के 2 साल पहले एक लड़की से हुई थी और लड़की कँसर बीमारी की वजह से मर गई है। लड़का बहुत अच्छा है काफी संस्कारी है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है दिल्ली में उनका अपना खुद का फ्लैट है इससे अच्छा रिश्ता तो हमारी मंजू के लिए हो ही नहीं सकता मंजू के मामा ने इस रिश्ते पर जोर देते हुए कहा।
लड़का की दूसरी शादी है यह जब मंजू के मां को पता चला तो मंजू की चिड़ गई, “मैं अपनी बेटी की शादी किसी गरीब घर में कर दूंगी लेकिन किसी शादीशुदा लड़के से नहीं करूंगी क्या पता वह लड़की कैसे मरी है हमें तो यह भी नहीं पता है कि वह मरी है या उन लोगों ने ही उसे मार दिया है नहीं बाबा नहीं मैं अपनी बेटी की शादी ऐसे घर में तो कतई ही नहीं करूंगी।”
लेकिन यह रिश्ता मंजू के पापा को पसंद था वह मंजू की मां को कन्वेंस करने मे लगे हुए थे कि मंजू की मां एक बार हमें लड़के से मिलने में क्या बुराई है हो सकता है कि हमारे मंजू को वही नापसंद कर दे और फिर लड़के में क्या बुराई है लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है अब क्या किसी व्यक्ति की बीवी मर जाएगी तो क्या उस लड़के की शादी नहीं होती है?
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और ऐसा भी नहीं है कि लड़के बहुत ज्यादा उम्र दराज है मुझे तो लगता है कि मंजू के लिए लड़का सही है।
मंजू भी देख रही थी उसके मां पिताजी कई सालों से उसकी शादी को लेकर परेशान थे इस वजह से जब उनसे पूछा गया कि क्या कह रही हो उस लड़के से तुम्हारी शादी कर दिया जाए उसने बस इतना ही बोला कि आप लोगों को अगर ठीक लग रहा है तो मुझे कोई एतराज नहीं है।
अगले सप्ताह लड़के वाले मंजू को देखने के लिए मंजू के घर पर ही आगरा आए हुए थे आपको बताते चलें कि लड़के का नाम मनोज था और उसके पिताजी का नाम श्री हरि था। मंजू देखने में खूबसूरत थी इस वजह से लड़की को उन्होंने पहली नजर में ही पसंद कर लिया है
उस दिन मंजू के मामा के मामा भी आए हुए थे मंजू के मामा ने लड़के और उसके पिताजी से लड़की देखने के बाद बोला कि क्या आप लोगों को लड़की पसंद है अगर हां बोले तो बात को आगे बढ़ाया जाए मनोज और मनोज के पिता जी दोनों ने मंजू के मामा को हां में जवाब दिया कि भाई साहब आप बात को आगे बढ़ाएं हमें लड़की पसंद है।
मनोज के पापा ने मंजू के मामा से बोला कि आप से एक रिक्वेस्ट है अगर आप लोग इसे मान जाएंगे तो ठीक है वरना हमें कोई एतराज नहीं है उनका कहना था कि हम शादी अगर किसी मंदिर में करते तो अच्छा होता क्योंकि दोबारा घोड़ी चढ़ कर शादी करने का मनोज का मन नहीं है।
मंजू के मामा ने बोला कि ठीक है मैं अपने जीजा जी से बात करके आपको बताता हूं। मंजू के मां पिताजी लड़के वालों की बात मान गए और मंजू की शादी एक सादे समारोह में हो गई। मंजू वहां से सीधे ही अपने ससुराल चली गई। ससुराल में सास तो थी नहीं तो दरवाजे पर स्वागत करने के लिए मंजू की बड़ी ननद जिसकी शादी बहुत पहले ही हो गई थी खड़ी थी और साथ में मनोज के कुछ रिश्तेदार मौजूद थे।
शादी के 1 सप्ताह तक तो घर में बहुत चहल पहल था। जैसे ही सारे रिश्तेदार अपने घर को चले गए कि घर बिल्कुल ही सुनसान और वीरान हो गया है। क्योंकि मनोज भी ऑफिस चला जाता था और उसके पिताजी भी बहुत कम ही बात करते थे वह दिन भर अपना कोई न कोई बुक पढ़ने में लगे रहते थे।
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मंजू भी क्या करती अब तो शादी होने के बाद उसका भी यही घर था अब चाहे जैसा भी रहना पड़े रहना तो पड़ेगा ही वह अपना दिन भर का काम निपटाती बाकि टाइम में घर की साफ सफाई करती और कुछ टाइम अपने टीवी देखने में बिताती थी।
मनोज घर आने के बाद भी मंजू से कोई खास बात नहीं करता था बस काम की बातें ही एक-दूसरे में होती थी। शुरु में तो मंजू को लगा कि नया नया शादी हुआ है धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा हम दोनों एक दूसरे को जान जाएंगे फिर आपस में जैसे पति-पत्नी रहते हैं वैसे रहने लग जाएंगे।
लेकिन शादी के 6 महीने से भी ज्यादा हो गया था, बस मनोज और मंजू के सिर्फ खाने-पीने के दौरान ही बात होती थी। मनोज भी ऑफिस से आता और खाना खाने के बाद सीधे सो जाता था। यह भी नहीं पूछता था कि मंजू कैसी है दिनभर उसने क्या किया।
कई बार तो मंजू यही सोचती थी कि अगर मुझे सिर्फ खाना बनाने खिलाने के लिए और घर में पोछा बर्तन करने के लिए शादी करना था तो फिर शादी करने की क्या जरूरत थी इससे अच्छा कि यह लोग एक बाई ही रख लेते।
एक शाम को मंजू ने आलू के परांठे बनाए थे मंजू को आलू के पराठे बहुत पसंद थे इस वजह से उसने बड़ी प्यार से बनाया था। अपने मनोज को उसने बोल दिया कि आप लोग खाने की टेबल पर बैठिए मैं गरमा गरम पराठे आप को परोस रही हूं।
पराठे खाकर वह दोनों लोग खा कर चुपचाप अपने कमरे में चले गए। उसके बाद मंजू ने भी अपने लिए दो परांठे बनाए और खाने के लिए बैठ गई । जब खाने बैठे तो उसने पराठे टेस्ट किया तो पता चला यार इसमें तो उसने नमक डालना भूल ही गई।
मन ही मन सोचने लगी मेरे पति और ससुर ने तो एक बार भी नहीं बोला इसमें नमक है ही नहीं वह बहुत चिंता में हो गई सीधे अपने कमरे में गई और मनोज से बोला कि अगर नमक नहीं था तो आपने बोला क्यों नहीं। मनोज का जवाब इतना ही था कोई बात नहीं टेबल पर नमक रखा हुआ था हमने उसी के साथ खाना खा लिया था आखिर तुम भी तो इंसान हो गलतियां इंसान से ही तो होती है।
उस दिन से मंजू सच में बहुत परेशान हो गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने ससुराल को मैनेज करें उसे कोई अपने पति में कमी भी नजर नहीं आती थी। अगर वह कभी बाजार जाने के लिए अपने पति से सो रुपए मांगते तो मनोज उसे ₹200 देकर चला जाता था।
एक दिन जब मनोज अपने ऑफिस गया हुआ था मंजू ने अपने ससुर जी से बात करते हुए पूछा कि मनोज क्या बचपन से ऐसा ही है। उन्होंने भी मंजू के बातों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया बस उन्होंने इतना ही कहा कि ऑफिस में काम का वर्क लोड ज्यादा होता है इस वजह से वह तुमसे ज्यादा बात नहीं कर पाता होगा.
मंजू ने अपने ससुर से मनोज के खाने पीने की पसंद और नापसंद के बारे में पूछा क्या खाने में पसंद करता है। बातों के दौरान ही मंजू के ससुर ने बताया कि मनोज को खाने में बैंगन बिल्कुल भी नहीं पसंद है बैंगन को देखकर वह इतना गुस्सा हो जाता है कि बैंगन ने उसका क्या बिगाड़ दिया हो। मंजू को याद आया कि 1 दिन तो वह सब्जी में बैंगन ही बनाई थी और उस बैंगन को बड़ी प्यार से मनोज खा गया था एक शब्द भी नहीं बोला कि उसे बैंगन नहीं
पसंद है उसके बाद तो उसने कई बार बैंगन बनाई थी लेकिन मनोज एक बार भी नहीं बोला कि बैंगन उसे पसंद नहीं है।
अब तो मंजू सच में बहुत ज्यादा परेशान होने लगी थी कि आखिर मनोज ऐसा क्यों करते हैं अगर उनको बैंगन पसंद नहीं था खाने में तो मुझे बता देते मैं उस दिन के बाद से बैंगन नहीं बनाती कुछ तो बात जरुर है जो वह मुझसे शेयर नहीं करना चाहते हैं लेकिन मैं भी कम नहीं हूं मैं पता लगा कर रहूंगी कि आखिर मनोज ऐसा मेरे साथ क्यों करते हैं।
मंजू ने कितनी बार मनोज से कुछ पूछने की कोशिश की कि आप हंसते क्यों नहीं हो आप मुझसे ज्यादा बातें क्यों नहीं करते हो। बस मनोज मुस्कुराकर मंजू के बातों को टाल देता था।
मंजू एक दिन सुबह सुबह सब को नाश्ता कराकर न्यूज़पेपर पढ़ रही थी तो उसमें एक बगल के ही स्कूल में टीचर की वैकेंसी निकली हुई थी मंजू ने सोचा कि क्यों ना मैं जाकर इंटरव्यू दे दूंगी मेरा भी टाइम पास हो जाएगा दिनभर बैठे-बैठे बोर होती रहती हूं।
शाम को जब मनोज घर पर आया मंजू ने इंटरव्यू वाली बात मनोज से शेयर की मनोज बोला देख लो अगर हो जाता है तो अच्छी बात है तुम्हारा भी दिन अच्छे से कट जाएगा और पढ़ाना भी कौन सा खराब काम है यह तो बहुत अच्छा काम है।
सुबह मनोज को ऑफिस भेज कर और अपने ससुर जी को दवाई और नाश्ता खिलाकर मंजू इंटरव्यू के लिए स्कूल में चली गई वहां गई तो और तीन चार लड़किया इंटरव्यू के लिए आई हुई थी। सब ने बारी-बारी से इंटरव्यू दिया लेकिन फाइनल सिलेक्शन मंजू का ही हुआ।
अगले 1 तारीख से मंजू स्कूल में पढ़ाने जाने लगी। स्कूल में जाते जाते धीरे-धीरे सारे टीचरों से उसकी दोस्ती हो गई। उसे बाद में पता चला कि उसके स्कूल में जो एक टीचर पढ़ाती है वह उसके घर के जस्ट बगल में ही रहती है फिर उस दिन से तो दोनों साथ ही स्कूल जाते और साथ ही स्कूल के छुट्टी के वक्त घर आते थे।
एक दिन मंजू जब अपने टीचर्स दोस्त के साथ घर वापस आ रही थी तो बातों-बातों में उसने पूछा की मंजरी तुम कब से यहां पर रहती हो। मंजरी ने जवाब दिया भाभी हम तो पैदा भी यहीं पर हुए हैं। मंजु ने फिर पूछा फिर तो आप मेरे पति यानी कि अपने भैया मनोज को भी आप बचपन से जानती होंगी। हां हां भाभी क्यों नहीं जानती हैं उनको मैं क्या पूरा मोहल्ला उनको जानता है वह कमाल के सिंगर हैं पहले कोई भी मोहल्ले में जागरण या कोई भी गाने का फंक्शन होता था तो मनोज भैया को उसमे जरूर बुलाया जाता था और मनोज भैया जब गाते थे तो ऐसा लगता था कि बिल्कुल मोहम्मद रफी गा रहे हैं उनकी आवाज मोहम्मद रफी से काफी मिलती जुलती है।
लेकिन जब से भैया की पहली वाली भाभी गुजरी है तब से भैया इन सब चीजों में भाग लेना छोड़ दिया है अब तो वह बहुत कम लोगों से मिलते जुलते भी हैं और बातें भी करते हैं।
उसी समय मंजू ने मंजरी से एक और सवाल दाग दिया एक बात बताओगी आप मुझे अभी पूछो क्या पूछना चाह रही हो। मंजरी आप मुझे क्या बता सकती हैं कि मनोज की पहली बीवी कैसे मरी थी। मंजरी ने बोला भाभी हमें भी उतना तो पता नहीं बस इतना पता है कि भाभी घर में खाना बना रही थी तो कुकिंग गैस लीकेज हो गया और भाभी जलकर मर गई।
अब तो मंजू बिल्कुल ही सहम गई क्यों ना हो दाल में जरूर कुछ काला है क्योंकि उसे तो यह बताया गया था कि उसकी पहली बीवी को कैंसर था इस वजह से वह मर गई लेकिन यहां तो मंजरी बता रही है कि आग लगने से उसकी पहली बीवी की मौत हुई है।
मंजू को भी शक होने लगा कि कहीं यह लोग मिलकर अपनी पहली बीवी को जला तो नहीं दिए अगर सही नहीं है तो फिर हम लोगों से झूठ क्यों बोले कि हमारी पहली बीवी को क़ैसर होने से मौत हो गई।
घर आने के बाद ही मंजू ने सीधे अपनी मां को कॉल मिलाया। और सारी बातें अपनी मां से शेयर किया है। अब तो मंजू के घर वाले भी डरने लगे थे कि कहीं हमारी बेटी के साथ भी कुछ ऐसा ही दुर्घटना ना हो जाए।
मंजू का मन बिल्कुल ही बेचैन हो रहा था उसका मन अपने ससुराल में बिल्कुल ही नहीं लग रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उससे हर बात छुपाई गई है पता नहीं और क्या-क्या बात उससे छुपाई जाती है।
शाम को जैसे ही मनोज ऑफिस से घर आया मंजू ने बोला कि कल मुझे मेरे मायके पहुंचा दो मेरा अभी मन नहीं लग रहा है कुछ दिनों के बाद मुझे लेने आ जाना। मनोज का एक बार में ही मान जाना मंजू को बिल्कुल ही अजीब सा लगा एक बार भी इसने नहीं कहा कि अभी क्यों जाओगी बाद में चले जाना उसने हां में सिर हिला दिया है ठीक है कल मैं पहुंचा दूंगा।
अगले दिन मंजू अपने मायके पहुंच गई थी। शाम की ट्रेन से उसी दिन मनोज वापस दिल्ली आ गया था।
घर में अब सारे परेशान थे लेकिन मंजू के पापा ने बोला कि देखो बेटी जो होना था वह तो हो गया अब मनोज तुम्हारा पति है पहले क्या हुआ क्या नहीं हुआ उससे हमें कुछ लेना-देना नहीं होना चाहिए तुम यह देखो कि तुम्हारे साथ मनोज कैसा व्यवहार करता है।
पापा यही तो परेशानी है मनोज मुझसे कुछ कहता ही नहीं है सिर्फ मुझसे रिश्ता खाना-पीने तक का ही है उसके बाद वह अपने ऑफिस के कामों में व्यस्त रहता है मैं चाहती हूं कि मेरे से हंसे बोले लेकिन पता नहीं ऐसा क्यों। मंजू के पापा बोले हां यह बात सोचने वाली है। मंजू के पापा बोले कि बेटी एक काम करो मनोज की बहन कृतिका मथुरा में ही रहती है कल उसके घर चलते हैं और उसी से जानने की कोशिश करते हैं कि फिर सच क्या है कुछ तो बताएंगे।
उसी समय मंजु ने अपनी ननद कृतिका के पास फोन लगाया और बोला दीदी कल हम लोग मथुरा घूमने आ रहे हैं तो टाइम मिलेगा तो हम आपके घर भी आएंगे। कृतिका को मंजू ने यह नहीं बताया कि वह स्पेशली उसी से मिलने मथुरा जा रही है क्योंकि अगर ऐसा बताती तो उसे शक हो जाता वह चाहती थी कि कृतिका को शक भी ना हो और बात भी उसे पता चल जाए।
अगली सुबह मंजू और उसके पापा कृतिका के घर पहुंच गए थे कृतिका ने भाभी और उसके पापा को खूब अच्छी तरह से मेहमान नवाजी की। कृतिका ने बातों बातों में ही पूछा कि भाभी आपके और भैया में सब कुछ ठीक तो है ना आप अचानक से अपने मायके चली गई। मंजू ने बोला नहीं जी ऐसा कुछ नहीं है बस मन नहीं लग रहा था तो मैं मनोज को बोला कि आप मेरे मायके कुछ दिनों के लिए पहुंचा दीजिए।
कृतिका मंजू के चेहरे को भाँप लिया था। उसने बोला कि भाभी आप इतना परेशान क्यों दिख रही हैं कोई बात है तो आप मुझसे बेहिचक करिए जितना भी हो सकेगा मैं आपकी मदद करूंगी। यह बात सुनते ही मंजू ने अपनी ननद कृतिका के गले लिपट गई और रोते हुए बोली दीदी मुझे आपसे मनोज के बारे में सब कुछ जानना है। अगर आप मुझे अपनी भाभी मानती हैं तो आप मुझे कोई भी बात नहीं छुपाएंगी। हां भाभी बताइए क्या जानना है आपको मनोज के बारे में।
मंजू अपनी ननद से बोली कि जब से शादी हुई है मनोज मुझसे इतना चुप चुप क्यों रहते हैं कोई भी बात मेरे से नहीं करते हैं ऐसा लगता है कि कितने दर्द अपने अंदर समेटे हूं कुछ भी चीज मुझसे अपनी शेयर नहीं करते हैं ना ऑफिस की ना कोई अपनी पर्सनल प्रॉब्लम।
हमें बताया गया था कि मनोज की पहली वाइफ की डेथ कैंसर होने की वजह से हुई थी। जब कि मुझे पता चला है कि उसकी पहली वाइफ की मौत आग लगने से हुई है और मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि सच क्या है और अगर उसकी मौत आग लगने से हुई है तो सच्चाई क्या है।
कृतिका बोली भाभी आप बिल्कुल ही निश्चिंत रहें। भाई बहुत ही अच्छा और नेक लड़का है वह कभी भी आपके साथ गलत नहीं कर सकता है और रही बात आपसे बात छुपाने की तो आज मैं वह सब सच सच आपको बताऊंगी।
दरअसल बात ऐसा है कि मनोज उसकी पहली वाइफ दोनों एक ही कंपनी में जॉब करा करते थे शादी होने के बाद भाई नहीं चाहता था कि भाभी दोबारा से जॉब करें इस वजह से उन दोनों के बीच आपस में लड़ाई होनी शुरू हो गई थी। गुस्से की वजह से भाभी खाना भी सही तरीके से नहीं बनाती थी बस जैसे-तैसे कुछ भी बना कर दे देती थीं।
1 दिन की बात थी खाना बनाते वक्त भाभी शायद सब्जी में नमक डालना भूल गई थी इस वजह से जब उन्होंने खाना परोसा तो भाई ऑफिस वर्क की वजह से टेंशन में भाभी पर गुस्सा कर दिया कि अगर तुम्हें खाना बनाना नहीं आता है तो छोड़ दो यह भी मत बनाओ हम होटल में खा लेंगे।
भाभी भी गुस्से में भैया पर चिल्लाने लगी कि मैं तुम्हारा कोई नौकरानी नहीं हूं मैंने अपनी इंजीनियरिंग इसलिए नहीं कंप्लीट करी थी कि तुम्हारे घर बैठकर तुम्हारा खाना बनाऊंगी तुम्हारे कपड़े साफ करूंगी। भाभी ने बोला कि कल से मैंने एक जगह अपनी नौकरी की बात कर ली है और कल से मैं जॉब करने जाने वाली हूं तुम्हें बुरा लगे या अच्छा मैं कुछ नहीं जानती। भैया ने गुस्से में बोल दिया कि अगर तुम जॉब करने जाओगी तो यह याद रखना तुम्हें इस घर से पहले जाना होगा उसके बाद ही जाओगी।
भैया और भाभी में बात इतनी बढ़ गई थी कि आपस में मारपीट भी होना शुरू हो गया था फिर उसके बाद गुस्से में भाभी किचन में गई और अपने आप को आग लगाकर जल गई। मामले को जैसे-तैसे करके रफा-दफा किया गया।
भाभी इस वजह से भाई आपको ज्यादा नहीं बोलता होगा कि आप भी गुस्से में आकर कुछ भी कर ले आप जॉब भी करने जाती हैं तभी आपको भाई कुछ नहीं बोला क्योंकि मनोज बुरा लड़का नहीं है वह तो यह चाहता था कि हम दोनों जॉब करके क्या करेंगे जब मैं पैसे कमाता ही हूं तो तुम घर में रहो और देखभाल करो।
इस समस्या को बैठकर निपटा जा सकता था लेकिन क्या कहा जाए भाभी ने गुस्से में अपने आप को ही आग लगा दिया। उस दिन के बाद से भाई बिल्कुल ही उदास और चुपचाप रहने लगा हमने भी देखा कि अगर इसे ऐसे ही कुछ दिन रहा तो यह बिल्कुल ही मनो रोग से ग्रसित हो जाएगा।
हमें डॉक्टर ने बताया कि अगर इनकी शादी कर दिया जाए तो शायद या फिर से पहले जैसे हो जाए। मनोज का तो मन बिल्कुल भी नहीं था शादी करने का हमने ही जबरदस्ती मनोज की शादी कराई है। हमें क्या पता था कि आपके साथ भी ऐसे ही रहेगा हमें तो लगा था कि शादी के बाद मैं बदलाव आ जाएगा।
कृतिका की बात सुन मंजू का मनोज के प्रति नफरत नहीं हुआ बल्कि उसके प्रति और भी प्यार बढ़ गया वह अब अपने ससुराल उसी पल जाना चाहती थी और उसी दिन ठान लिया कि वह मनोज को बदल कर रहेगी। मंजू कृतिका से मनोज के सारे पसंद और नापसंद के बारे में पता किया है उसे क्या अच्छा लगता है कहां घूमने पसंद करता है पर वह छोटी-छोटी चीज़ जो मनोज पहले करता था।
मथुरा से ही मंजू बोली पापा मैं अब मायके नहीं जाऊंगी मैं यहां से सीधे अपने ससुराल जाऊंगी। मंजू अपने पापा के साथ सीधे अपने ससुराल पहुंच गई। दिल्ली आते आते मंजू को रात हो गई थी वह जैसे ही अपने घर पर रात को पहुंचे दरवाजा खटखटाया तो मनोज ने दरवाजा खोला मंजू को इतनी रात को देखकर वह काफी डर गया था क्या हो गया इतनी रात को तुम यहां पर वह भी बिना बताए।
मंजू उसको बोली आप चुप रहो अब आपसे कुछ नहीं बोलोगे आप अपने अंदर इतना दर्द समेटे थे और आज तक कुछ भी मुझे नहीं बता रहे थे क्या आप यह नहीं पता कि जब एक लड़का लड़की की शादी हो जाता है तो वह एक दूसरे से सात जन्मों तक एक दूसरे के सुख दुख में साथ निभाने की कसमें खाते हैं और आप यह कैसे भूल गए थे कि आप के दुख दर्द में मैं आपका साथ नहीं दूंगी।
धीरे-धीरे मंजू हर वह चीज करना शुरू कर दिया जो मनोज को पसंद था मनोज को जाने का मन नहीं होता था फिर भी जबरदस्ती उसके पसंद के हीरो रितिक रोशन कि जब भी फिल्म रिलीज होती थी उसे दिखाने ले जाती थी। कुछ दिनों के बाद मनोज और वह घूमने के लिए मनाली भी गए क्योंकि मनोज को बर्फीले जगह बहुत ज्यादा ही पसंद था। और मनोज को भी रियलाइज हो गया था कि वह मंजू के साथ बहुत गलत कर रहा था। किसी और की गलतियों की सजा किसी और को क्यों दिया जाए।
मंजू को जो ससुराल पहले सुनसान और उदास लगता था अब उस ससुराल में रौनक आ गई थी मनोज भी प्यार से मंजू के साथ रहने लगा था। जब भी दोनों को आपस में टाइम मिलता दोनों एक दूसरे को चुटकुले सुनाते इधर-उधर की बातें करते हैं कब टाइम बीत जाता था उन दोनों को पता ही नहीं चलता था।
कुछ दिनों के बाद घर में एक नन्हा मेहमान भी आ गया था परिवार के 3 सदस्य 4 सदस्यों में बदल गया था।
कभी मंजू को अपने पिया का घर जेल लगता था लेकिन अब यही पिया का घर उसे प्यारा लगने लगा था।