पिता की ममता – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : दो दो बच्चियां… बिन मां के कैसे पालोगे इन्हें..? ना तो इसकी दादी है और ना ही कोई बुआ.. फिर कैसे संभालेगा तू इन्हें..? रमन की बुआ मीना जी ने कहा…
रमन की पत्नी शारदा जुड़वा बेटियों को जन्म देकर चल बसी… शारदा अनाथ थी… रमन के पिता तो बचपन में ही गुजर गए थे, और पिछले साल मां भी चल बसी और आज शारदा के यूं अचानक मृत्यु से रमन के सामने उसकी दो नवजात बच्चियों को बड़ा करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई थी…

मीना जी: मैं तो कहती हूं बेटा, तू फिर से ब्याह कर ले… तेरी भी इतनी उम्र नहीं है कि अकेले पूरा जीवन बिता सके, ऐसे में तुझे एक जीवन साथी और इन बच्चियों को मां मिल जाएगी
रमन: बुआ..! यह बच्चियां मेरे और शारदा की बेटियां हैं और इन्हें मेरे और शारदा के अलावा कोई तीसरा प्यार नहीं दे सकता… मैं इन्हें मां पापा दोनों का प्यार दूंगा… मैं अकेला ही पालूंगा अपनी बेटियों को
मीना जी: पर यह इतना आसान भी नहीं होगा… बच्चों को बड़ा करना, पैसे कमाना, घर संभालना, यह सब तू अकेले कर लेगा..? देख रमन कहने में और करने में काफी फर्क होता है… ऐसे तो तू हर काम बिगाड़ लेगा… मेरी बात मान ले

रमन: नहीं बुआ, जो मैं कह रहा हूं पूरे होश में कह रहा हूं… जब पति मर जाता है तो पत्नी भी तो सब कुछ अकेले संभाल लेती है.. फिर मैं क्यों नहीं कर पाऊंगा..?
इसके बाद रमन ने हमेशा वर्क फ्रॉम होम किया.. जिसकी वजह से उसकी कभी प्रमोशन नहीं हुई… पर वह फिर भी खुश था, क्योंकि वह अपनी बेटियों को अपनी आंखों के सामने बढ़ते हुए देख पा रहा था… वह घर से काम करते हुए, घर को भी संभालता और अपनी बेटियों को भी.

समय बितता गया और रमन की दोनों बेटियां अब बड़ी हो गई थी.. पर वह दोनों बिल्कुल अलग स्वभाव की थी… उन्हें रमन की टोका टोकी बिल्कुल भी पसंद नहीं आती… वह रमन को बिना बताए ही कभी भी घर से चली जाती थी… रमन अगर कुछ भी पूछता तो वह कहती, के पापा, आप हमारी मम्मी बनने की कोशिश मत कीजिए… अब हम बड़े हो गए हैं.. मेरी किसी भी फ्रेंड के पापा यूं औरतों की तरह घर पर बैठे उनकी निगरानी नहीं करते… पता नहीं आप जब हम पर इतना रोक-टोक लगाते हैं, मम्मी को तो कैद में ही रखते होंगे

रमन दिव्या और शिव्या की बातों पर सिर्फ मुस्कुरा देता है… पर अंदर ही अंदर उसका दिल बहुत दुखता था और उसे अपनी बुआ की बातें याद आ जाती थी, कि अकेले घर बच्चे संभालने में तू सब बिगाड़ लेगा… और वह सोचता के कहीं सच में सब कुछ बिगड़ तो नहीं गया ना..?

एक दिन दिव्या और शिव्या अपने किसी दोस्त के जन्मदिन की पार्टी में गए थे… रात काफी हो गई, पर ना तो वह फोन उठा रहे थे और ना ही घर वापस आ रहे थे… तो इस पर रमन परेशान होकर उनको लेने उनके दोस्त के घर ही चला गया… रमन उन्हें लेकर सीधा घर की ओर आने लगा.. वह बिल्कुल ही खामोश था

शिव्या: क्या हम कोई छोटी बच्ची है..? जो हमें लेने आ गए आप..?

दिव्या: हमारी कितनी बेज्जती करवा दी दोस्तों के सामने और अब ऐसे खामोश है, जैसे पता नहीं हमने कितना बड़ा गुनाह कर दिया..?

रमन उनकी बातों का कोई जवाब नहीं देता और अगली सुबह जब दोनों उठती है तो उन्हें रमन कहीं भी नहीं दिखता.. वह परेशान होकर अपनी बुआ दादी के यहां फोन करती है और कहती है.. दादी, पापा आए हैं क्या वहां..? एक तो गलती करते हैं ऊपर से खुद ही नाराज होकर घर से चले जाते हैं… तंग आ गए हैं हम तो पापा से… जब देखो हमारी मम्मी बनने की कोशिश करते हैं

मीना जी: हां सही कहती हो तुम दोनों… है ही वह अड़ियल.. कितना कहा था कि कर ले शादी दूसरी… बच्चियों को तू अकेले संभाल नहीं पाएगा… पर उसने कहा, नहीं सौतेली मां मेरी बेटियों को परेशान करेगी… अरे परेशान करती तो करती… कम से कम अभी बेटियां तो परेशान नहीं करती उसे… जिनके लिए कभी अपना प्रमोशन नहीं लिया… सारे शौक मार डाले… उनके मुंह से ऐसी बातें सुनने को तो ना मिलती… अब गुस्सा करके क्या होगा..? उसे उसके किए की सजा तो मिलनी ही थी ना..? अब तुम दोनों आजाद हो… जाओ, खुशियां मनाओ… अब कोई तुम्हारी मम्मी नहीं बनेगी

बुआ दादी की बातें सुनकर दोनों बहने उनके यहां पहुंच जाती है… और बुआ से सारी बातें जानकर रोते हुए कहती है… दादी, हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई… हमने उनका बहुत दिल दुखाया है… पर अब हम पापा को कहां ढूंढे..? वह हमारा फोन भी नहीं उठा रहे…

मीना जी: अरे पगली, उसे अब तक नहीं पहचाना तुम लोगों ने उसे..? वह तुम लोगों की बातों से परेशान होकर कहीं चला गया है… थोड़ी देर में ही वापस आ जाएगा… आखिर जान बसती है उसकी तुम दोनों में… तुम लोग घर पर जाओ.. वह भी आ जाएगा और तुम लोगों को वहां ना देखकर फिर परेशान हो जाएगा..

दिव्या और शिव्या घर पर रमन का इंतजार करने लगे… थोड़ी देर बाद रमन आ जाता है और उसके आते ही दोनों उससे लिपटकर माफी मांग कर रोने लगती है… जिस पर रमन कहता है.. रो मत मेरी लाडो… आंखें सूज जाएगी

शिव्या: पापा, आप अभी भी हमारी ही चिंता कर रहे हैं..?

दिव्या: पापा, हम आपकी अच्छी बेटियां नहीं है ना..? पता है पापा हमें हमेशा लगता था कि हमारी मम्मी क्यों नहीं है..? आप शायद ऐसे नहीं होते जो हमारी मम्मी होती, पर हमने यह कभी नहीं सोचा कि हम तो कितने खुशकिस्मत है जो हमारी मम्मी ना होते हुए भी हमारे पापा ने कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी… हर कोई बस मां की ममता की बातें करता है…

पर कभी किसी ने एक पिता की ममता की बात की ही नहीं और यहां एक पिता चुपचाप अपना संघर्ष करता रहता हैं… औरत का संघर्ष सबको दिख जाता है पर एक पुरुष का संघर्ष बहुत कम ही देख पाते हैं.. अरे उनके लिए तो ममता जैसा कोई शब्द बना ही नहीं..

शिव्या: पापा, बहुत बन लिया आप हमारे मम्मी पापा दोनों… अब अब हमारी बारी… आपके संघर्ष को हम ज़ाया नहीं होने देंगे… अबसे आप आराम से बैठकर फरमाइसे करेंगे और आपकी बेटियों उन्हें पूरा करेंगी…
रमन मुस्कुराकर मन ही मन सोचता है… चलो मैंने आखिरकार अकेले सब कुछ संभाले ही लिया… बिगड़ते बिगड़ते ही सही सब कुछ बचा लिया…

दोस्तो… आप ही बताइए, हैं कोई शब्द जो पिता के ममता को व्याख्या करें..?
धन्यवाद
रोनिता कुंडु
#ममता

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