परफेक्ट मैच – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोस्तों कहते हैं जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती है बस हम या आप तो उन्हें मिलाने का जरिया मात्र बनते हैं। कुछ जोड़ियों को देख हमारे मुंह से निकलता है वाह !क्या खूबसूरत जोड़ी है । पर कुछ जोड़ियां खूबसूरत भले ना हों पर उनका सच जान मुंह से यही निकलता है वाह ! इसे कहते हैं परफेक्ट जोड़ी । ऐसी ही एक जोड़ी है तपस्या और मेहुल की। आप कहेंगे इनकी जोड़ी में ऐसा क्या खास है । ये जानने के लिए आपको मेरे साथ चलना होगा उस वक़्त में जब तपस्या और मेहुल की मुलाकात हुई थी।

” अरे आप देख कर नहीं चल सकती सड़क पर अभी कार के नीचे आ जाती तो !” एक पैर से विकलांग मेहुल किसी तरह बेसाखी के सहारे भागता आया और एक लड़की को खींचते हुए बोला।

” माफ़ कीजियेगा मैं देख नहीं सकती …मेरी छड़ी मेरे बैग में थी और बैग स्कूल मे रह गया  !” वो लड़की बोली।

” ओह आईं एम सॉरी!” मेहुल बोला।

” नहीं नहीं कोई बात नहीं आपको थोड़ी पता था !” लड़की मुस्कुराते हुए बोली।

मेहुल उसकी मुस्कुराहट में खो सा गया उसकी मुस्कुराहट थी ही इतनी प्यारी गेरुआं रंग गुलाबी मुस्कुराते होंठ , दो प्यारी सी बड़ी बड़ी आंखे पर अफसोस उन आंखो में रोशनी नहीं थी।

” आपको कहां जाना है चलिए मैं छोड़ देता हूं ….वैसे मेरा नाम मेहुल है पास की बिल्डिंग में मेरा ऑफिस है !” मेहुल उस लड़की से बोला।

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” जी मेरा नाम तपस्या है यहीं पास के अंध विद्यालय में पढ़ाती हूं मैं रोज शाम को और साथ साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रही हूं। रोज मैं अपनी सहेली के साथ स्कूटी पर आती हूं। आज वो आईं नहीं तो मुझे अकेले जाना पड़ा मैं ऑटो लेने को आईं थी सड़क के इस तरफ ।” वो लड़की जिसका नाम तपस्या था बोली।

” आज ऑटो वालों की हड़ताल है चलिए मैं आपको टैक्सी करवा देता हूं  !” मेहुल बोला।

मेहुल के साथ चलते में जब तपस्या को ठक ठक की आवाज़ सुनाई दी तो उसने हाथों से कुछ टटोला।

” ये मेरी बेसाखी की आवाज़ है तपस्या जी कुछ साल पहले एक्सिडेंट में मैं अपना एक पैर खो चुका हूं !” मेहुल तपस्या को यूं परेशान देख बोला।

” ओह .. मैं भी एक एक्सिडेंट में ही अपनी आंखे खोई थी !” तपस्या बस इतना ही बोल पाई तभी टैक्सी आ गई और तपस्या चली गई। मेहुल बहुत देर तक खड़ा तपस्या की टैक्सी को देखता रहा। अचानक उसके मुंह से निकला ” मेहुल बेटा दुनिया में कितना गम है तेरा गम कितना कम है !” 

अब अक्सर मेहुल और तपस्या टकरा ही जाते राह चलते कभी अचानक कभी मेहुल जान बूझ कर आता। धीरे धीरे दोनों में दोस्ती हो गई दोनों ने एक दूसरे को नंबर दे दिए अपने दोनो मे एक मन का रिश्ता सा बनने लगा था । आज दोनों कॉफी शॉप में मिले।

” मेहुल तुम्हारे पास सब कुछ है फिर तुमने शादी क्यों नहीं की अब तक!” अचानक तपस्या मेहुल से बोली।

” सब कुछ कहां है मैडम शरीर का हिस्सा तक तो पूरा है नहीं मेरा एक अपाहिज से भला कौन शादी करेगी !” मेहुल फीकी हंसी हंसते बोला।

” पर आप इतने अच्छे इंसान हो ये भी तो मायने रखता है !” तपस्या बोली।

” आज के वक़्त में खूबसूरती ज्यादा मायने रखती है तपस्या दिल किसने देखा है बहुत से रिश्ते आए पर जब उन्हें मेरे पैर के बारे में पता लगा सबने हाथ खींच लिए और सही भी ही तपस्या कोई क्यों मुझ जैसे अपाहिज को ढोएगी सारी जिंदगी….खेर मेरी छोड़ो तुम बताओ तुमने शादी क्यों नहीं की?” मेहुल बोला।

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“अपना भी तो यही किस्सा है मेहुल मैं भी अधूरी हूं तुम्हारा तो बस पैर नहीं है पर मेरी तो दुनिया अंधेरी है। कौन मुझ जैसी अधूरी से शादी करेगा !” तपस्या ठंडी आह भरते हुए बोली।

” तुम तो कितनी जिंदगियों में ज्ञान की रोशनी भर रही हो तुम्हारी दुनिया कैसे अंधेरी हो सकती है….वैसे तपस्या क्या हम दो अधूरे मिलकर पूरे नहीं हो सकते क्या ?” मेहुल अचानक से तपस्या से सवाल के बैठा।

” मैं….वो …कैसे ….नहीं मेहुल मैं किसी पर बोझ नहीं बन सकती !” तपस्या हड़बड़ा कर बोली।

” यहां बोझ की बात ही नहीं है मन के रिश्ते की बात है । वैसे भी तपस्या तुम मेरी बेसाखी बनना मैं तुम्हारी आंखें इस तरह जीवन का सफर कट जाएगा एक दूसरे के सहारे …. मैं तो तुम्हे पहली मुलाकात से ही पसंद करने लगा था बस मौके की तलाश में था !” मेहुल तपस्या का हाथ पकड़ कर बोला।

जवाब में तपस्या ने अपना दूसरा हाथ मेहुल और अपने हाथ पर रख एक मूक सहमति दे दी।

मेहुल ने अपने मां पापा को तपस्या के घर भेजा । तपस्या के मां बाप भी शादी को राजी हो गए एक सादे से समारोह में दोनों की शादी हो गई।

मेहुल और तपस्या की वो पहली मुलाकात दोनों की वीरान जिंदगी में बहार ले आईं । मेहुल ने सही कहा था दोनों सही मायने में एक दूसरे का सहारा बने हुए हैं। लोग उन्हें देख कर एक बार को तो उनसे सहानुभूति दिखाते हैं पर उनका प्यार देख सबके मुंह से यही निकलता है कि इसे कहते हैं परफेक्ट मैच।

बिना किसी संदेश के आज अपनी कहानी का अंत करती हूं इस उम्मीद के साथ की तपस्या और मेहुल का दोनो के मन से बना रिश्ता ऐसे ही परफेक्ट मैच रहेगा ताउम्र । और मेरी रचना को आपका प्यार मिलता रहेगा ताउम्र

#मन का रिश्ता 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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