पत्नी के विश्वास को टूटने नहीं दूंगा – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

ऑफिस से लौट कर विनय जैसे ही घर में घुसा कि मां की चिल्लाहट सुनकर वहीं ठिठक कर खड़ा हो गया। मां जोर-जोर से चिल्ला कर साक्षी को बेइंतहा लताड़े जा रहीं थीं और साक्षी चुपचाप सिर झुकाए खड़ी थी उसकी आंखों से आंसू निकल गालों पर बह रहे थे।अरी करमजली मेरी ही मति पर पत्थर पड़ गये थे जो तुझे अपने बेटे के लिए पंसद कर लिया। कहां तू ठूंठ जो तुझे कुछ भी नहीं आता कहां मेरा सुन्दर सलोना गुणी बेटा।मर भी तो नहीं जाती या कहीं चली जाए तो मैं अपने बेटे की दूसरी शादी कर अच्छी सुघड़ बहू ले आऊं। तेरे मां बाप ने अपनी निकम्मी बेटी को हमारे मत्थे मड दिया और स्वयं चैन से जी रहे हैं। बड़े  ही धोखेबाज निकले न तो ढंग से दहेज दिया और बेटी भी कुलच्छनी सौंप दी।

अब विनय से और सब्र नहीं हुआ बोलाअब बस भी करो मां साक्षी और उसके माता-पिता को कितना कोसोगी। उसकी आवाज सुन मां का स्वर एक दम बदल गया अरे विनय तू कब आ गया।

तभी मां जबआप साक्षी को जी भर कोस रहीं थीं साथ ही उसके मम्मी पापा को भी। क्या कह रहीं थीं आप कि साक्षी कुलच्छनी, निकम्मी है। कैसे मां आप उससे क्या चाहती हैं।सारा दिन तो वह आप लोगों की सेवा में जुटी रहती है।पूरे घर  का काम उसके ऊपर डाल आप और शालू आराम करतीं हैं और क्या चाहिए आपको दहेज में उन्होंने क्या नहीं दिया।आपके कहेनुसार सब कुछ तो दिया।चार साल हो गए अभी तक दहेज का रोना क्यों मां।

उन्होंने तो अपने दिल का टुकड़ा आपको इस विश्वास के साथ सौंपा था कि आप उसका पूरा ध्यान रखेंगी पर अपने उसके साथ कैसा व्यवहार किया जैसा कोई नौकरों के साथ भी नहीं करता। मां मैं आपसे इस तरह बोलना नहीं चाहता था किन्तु आज अपने कानों से सुन बोलने को विवश हो गया। मैं आपका बहुत सम्मान करता था

इसलिए इतने दिनों से चुप था, साक्षी को भी समझा देता था। पर मां आपने सारी मर्यादाएं ताक पर रख साक्षी के साथ अमानुषिक व्यवहार की सीमाएं पार कर दीं।आप कह रहीं थीं कि उसके मम्मी पापा ने धोखा दिया। धोखा उन्होंने नहीं आपने उन्हें दिया है। रिश्ते की बात आपने चलाई थी।

कितना मीठा बोल-बोल कर उसे अपनी बेटी की तरह रखने का वादा आपने उनसे किया था किन्तु बेटी तो क्या आप उसे बहू का दर्जा भी नहीं दे पाईं उसे बस नौकरानी बना कर रख दिया। उसकी शक्ल देखी है कैसी हंसती मुस्कुराती आई थी और अब हर समय काम में व्यस्त, डरी हुई,न हंसना न बोलना अस्त व्यस्त काम में लगी रहती है।

यहां तक कि वह अपनी बेटी की भी देखभाल सही से नहीं कर पाती आपकी और शालू की सेवा  से फुर्सत मिले तब न।आप उसके मरने की ,भाग जाने की दुआ कर रहीं हैं आपने यह भी नहीं सोचा कि वह मेरी बेटी की मां है। उसके बाद मेरी दुधमुंही बेटी का क्या होगा।उस बिन मां की बच्ची को कौन पालेगा।

आप मेरी दूसरी शादी का सपना संजो रहीं हैं क्या कभी आपने मेरे दिल में झांक कर देखने की कोशिश की कि आपका बेटा अपनी पत्नी से कितना प्यार करता है और दूसरी शादी के बारे में तो सोच भी नहीं सकता, उसकी दुर्दशा देखकर दुखी है किन्तु फिर भी चुप है क्योंकि वह अपनी मां का  सम्मान करता है उनके सामने मुंह नहीं खोलना चाहता था कि आपके दिल को ठेस न लगे पर अब मेरे सब्र की इन्तहा हो गई।

मां आज आपके कहे शब्दों ने मेरा कलेजा चीर कर रख दिया। एक बात बताइए मां आप भी एक औरत हैं एक बेटी की मां हैं फिर भी आप दूसरी औरत का दर्द क्यों नहीं समझ पाईं। आपको अपनी बेटी इतनी प्यारी है उसे एक गिलास पानी भी हाथ में चाहिए। तो क्या शादी से पहले साक्षी भी अपने मम्मी-पापा की ऐसी ही दुलारी बेटी नहीं थी। उसने भी इतना काम नहीं किया था जितना अब करती है क्या आपको जरा भी उस पर दया नहीं आती।

आप दोनों उसकी मदद नहीं करतीं और यदि मैं या  पापा कभी उसकी मदद करते हैं तो मैं तुरंत जोरू का गुलाम हो जाता हूं, पापा उसे सिर पर बैठा लेते हैं। आखिर आप उससे क्या चाहती हैं। पहले सफाई,    बर्तन साफ करने के लिए काम वाली आती थी आपने उसे भी छुड़ा दिया। कितना काम लोगी आप उससे , फिर ताने मारना, अपशब्द बोलना, उसके मम्मी पापा को कोसना कोई कितना सहन करेगा। यदि वह पलट कर बोलेगी तोआप कहेंगी जबान लडाती है ‌।

बस बहुत बोल लिया क्या ग़लत कहती हूं कि तू जोरु का गुलाम हो गया है नहीं तो अपनी मां से इस तरह बात नहीं करता। 

हां मां  मैं जोरु का गुलाम ही सही अब साक्षी का दुख मुझसे नहीं देखा जाता। कैसी बेजान सी उसकी उदास आंखें जिनमें हर समय आंसू तैरते रहते हैं यंत्रवत सी अपने काम को ढोए जाती है। हंसना बोलना तो जैसे भूल ही गई है।वह मेरा हाथ पकड़ कर मेरे ही भरोसे अपना सबकुछ छोड़कर इस घर में आई थी

अब मैं उसके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा और उसका पूरा ख्याल रखूंगा आपको जो सोचना है सोचें। मुझे विश्वास ही नहीं होता कि मेरी मां जो हमें इतना प्यार करती थी वह बहू के प्रति इतनी निष्ठुर कैसे हो गई। कहां खो गया आपका वह ममत्व। क्या सास बनते ही निष्ठुर होना अनिवार्य है। कैसे आपने, अपने आपको बदल लिया। मां एक बात बताओ यदि मेरी पत्नी की जगह आपकी बेटी होती तो क्या आप उसके लिए भी मरने की या भाग जाने की दुआ करतीं,

नहीं न तो साक्षी भी किसी की बेटी है उसकी मां से पूछो यह सब सुन उन्हें कैसा लगेगा। आपने तो उस पर मम्मी-पापा से मिलने पर भी रोक लगा दी है। मां मत भूलो अपने किए कर्म ही लौट कर आते हैं। कल को यदि आपकी बेटी के साथ ही ऐसा व्यवहार हो तो आपको कैसा लगेगा। क्या आप शालू से मिले बिना रह पाएंगी।

शालू इतनी बड़ी होकर भी अपने छोटे -छोटे कामों के लिए भाभी पर निर्भर है क्या ये ससुराल में दूसरों के काम कर पाएगी।आप उसे बिठा कर उसके भविष्य के लिए गड्ढा खोदने का काम कर रहीं हैं। उसके वैवाहिक जीवन को असुरक्षित कर रहीं हैं। लड़की है शादी तो करनी पड़ेगी फिर उसे भी आप जैसी सास मिल गई तो फिर क्या होगा।

चुपचाप बैठे यह पूरा वार्तालाप सुन रहे उसके पिता बोले वाह बेटा आज मुझे तुझ पर गर्व है कि तूने अपनी पत्नी की पीड़ा समझी और उसके पक्ष में कदम उठाया यह सब बोलकर। मैं तो तुझे कब से समझा रहा था कि अपनी पत्नी की हालत देख और पति होने का हक दिखा। उसकी खुशी की परवाह करते हुए उसके हित में निर्णय ले, पर तू मेरी सुनता ही कहां था।

पापा मैं सब समझ रहा था किन्तु मैं मां से बहुत प्यार करता हूं,उनका सम्मान करता हूं तो यह सब कह उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था, किन्तु जब पानी सिर से ऊपर निकलने लगा तब मुझे बोलना पड़ा। मां मुझे क्षमा कर देना आज में अपने आपको रोक नहीं पाया। मैं आपसे दूर नहीं जाना चाहता सो बस इतना ही चाहता हूं

कि आप साक्षी का जीवन दूभर न करें।उसे भी इंसान समझें और उसकी सुख सुविधा का भी ध्यान रखें। मेरी बेटी अपनी मां के सान्निध्य के लिए तरसती रहती है उसे समय दें कि वह अपनी बेटी को दुलार सके। काम वाली को बापस बुला लो, थोड़ी मदद आप और शालू करें, कुछ मैं और पापा करेंगे तो साक्षी को भी अपने लिए समय मिल जाएगा ।

छोटी सी जिंदगी है मां क्यों न हम सब मिलकर उसे हंसी खुशी बिता लें।

शिव कुमारी शुक्ला 

3-3-25

वाक्य***मां मेरी पत्नी की जगह*****आपकी बेटी होती तो।

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