Moral Stories in Hindi : ‘‘अरे अरे तुम ये क्या बोल रही हो?? ….क्या एहसान किया तुम पर ?….ये कोई एहसान नहीं है ….अपनों का एहसान कैसा यह तो मेरा फर्ज था….तुम्हारे लिए भी नहीं करूंगा तो किसके लिए करूंगा?‘‘ कहते हुए सोहम ने रोशनी को अपनी बाहों में समेट लिया।
रोशनी सोहम को एक नजर भर उठाकर देखी और उसके सीने पर सिर टिका दी।
रोशनी और सोहम की शादी को अभी दस दिन भी नहीं हुए थे….रोशनी की शादी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही करनी पड़ी क्योंकि उसके दादा जी की तबियत खराब हो गई थी…उसे कुछ ही दिनों की छुट्टी मिली थी…फिर दस दिन बाद उसकीपरीक्षा होने वाली थी और रोशनी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी …शादी के बाद सोहम उसे उसके हॉस्टल छोड़ने कार से जा रहा था।
रास्ते में अचानक रोशनी को बुखार आ गया। बुखार की वजह से कार में रोशनी से बैठा भी नहीं जा रहा था। तब उनलोगो ने पास ही एक होटल में आराम करने का सोचा।
सोहम जल्दी से कमरे में रोशनी को सुलाकर दवा लाने चला गया।अंजान जगह पर डाक्टर का भी पता नहीं चल रहा था…रोशनी का बुखार कम ही नहीं हो रहा था….उसका बदन पूरा तरह जल रहा था और उसपर बेहोशी छा रही थी….उसे पता भी नहीं चला वो कब बेहोश हो गई।
अचानक उसने महसूस किया उसके पैर कोई सहला रहा। कभी सर पर कभी पैरों पर उसे गीला गीला सा महसूस हो रहा था….वो बेहोशी की हालत में थी …आँख भी पूरी तरह खुल भी नहीं रहें थे….फिर भी वो देखने की कोशिश करने लगी।
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वो किसी तरह पूरी हिम्मत लगा कर उठने लगी। तभी मजबूत बाहों ने उसे सहारा देकर फिर से लिटा दिया।
‘‘ अरे अरे क्या हुआ? तुम लेटी रहो….पहले ये बिस्किट लो और दवा खा लो…मैं पता कर के आया हूँ अगर इस दवा से बुखार नहीं उतरा तो पास में ही एक डॉक्टर है उसको दिखा सकते हैं ।”सोहम ने कहा
दवा खिलाकर रोशनी को लिटा दिया और सिर पर पट्टी रखने लगा।कभी उसके पैरों को गीले कपड़े से रगड़ता।
‘‘ आप प्लीज़ ये सब मत कीजिए मुझे अच्छा नहीं लग रहा…आप मेरे पति हैं मेरे पैर क्यों छू रहे? “कहकर रोशनी अपने पैरों को खींचकर चादर से छुपाने लगी।
‘‘ तुम चुप चाप लेटी रहो….बोलने की भी ताकत नहीं है….ठीक होना है ना तो मुझे करने दो जो मैं कर रहा हूँ।”कहते हुए सोहम उसके सिर पर पट्टी रखने लगा
रोशनी की आँखो में आँसू आने लगे।
‘‘ अरे क्या हुआ रोशनी? रोने क्यों लगी? क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा?”कहकर सोहम रोशनी के आँसू पोंछते हुए सिप पर किस्स कर दिया
‘‘ नहीं सोहम वो बात नहीं है….आज तक किसी ने मेरे लिए इतना कभी किया ही नहीं…बस एक दवा दे कर काम खत्म….आप मेरे लिए जो कर रहे वो एहसान कैसे उतारूँगी….आपने बहुत किया मेरे लिए थैंक्यू।”कहकर रोशनी दूसरी तरफ चेहरा घुमा कर आँसू छिपाने की कोशिश करने लगी।
‘‘ तुम मेरी पत्नी हो रोशनी…तुम्हारे लिए तो ये मेरा फर्ज है….क्या मैं बीमार पड़ूँगा तो तुम मेरा ख्याल नहीं रखोगी? क्या तब तुम मुझपर एहसान करोगी?‘‘ सोहम नेकहा
‘‘ नहीं नहीं सोहम , आप के लिए एहसान क्यों ? वो तो मेरा फर्ज है ना।‘‘ कहकर रोशनी सोहम की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखने लगी
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‘‘फिर ये एहसान की बातें छोड़ो और जल्दी ठीक हो जाओ‘‘ कहते हुए सोहम ने रोशनी के सिर की गरम पट्टी हटाकर फिर से गीली पट्टी सिर पर रख दिया।
इस बार रोशनी ने पट्टी की जगह सोहम के प्यार भरे स्पर्श को महसूस किया…. उसने महसूस किया कि ये रिश्ता ही एक दूसरे के समर्पण के लिए हैं ना कि किसी पर कोई एहसान करने का।
सच ही तो है जब पति पत्नी एक-दूसरे के लिए जो कुछ भी करेंगे वो तो फर्ज ही है एहसान कैसा।
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#वाक्यकहानीप्रतियोगिता
# अपनों का एहसान कैसा? ये तो मेरा फ़र्ज़ था।
Nice story