“पति पत्नी रिश्ते में रिटर्न  कहां से आ गया?” –  सुधा  जैन

इन दिनों मेरा स्वास्थ्य गड़बड़ चल रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या हो गया है। कमजोरी आ गई है, जो दवाइयां ले रहा हूं, वह सूट नहीं हो रही है ।सोडियम लेवल कम हो रहा है ।अस्पताल भर्ती होना पड़ रहा है। मैं जल्दी से ठीक होना चाहता हूं, पर कमजोरी कम नहीं हो रही। इन दिनों मेरी हमसफर  सुधा मेरी बहुत सेवा कर रही है ।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक….. मेरा सुबह का नाश्ता… दूध… फल …सब्जी …भोजन .. मालिश… समय पर दवाई देना… साथ में मिलकर भगवान से प्रार्थना करना… जैन धर्म की स्तुति…. त्र्यंबकम यजामहे का पाठ…. कपूर से मेरी आरती ….सभी कुछ …….तन मन धन… से कर रही है… यह सब देख कर मेरा मन प्रसन्न हो जाता है…. एक दिन मैंने अपने हाथों में उनका हाथ लेकर कहा “मेरी इतनी सेवा मत किया करो” सुधा ने पूछा” क्यों”?

 मैंने बोला ” मैं रिटर्न कुछ भी नहीं दे पाता”

 यह बात सुनकर  सुधा कीआंखों में आंसू आ गए और उसने मुझे कहा

 “पति पत्नी के रिश्ते में रिटर्न कहां से आ गया?

 यह तो आपसी प्यार… सामंजस्य… अपनापन… और सहयोग का रिश्ता है… जिसमें कोई स्वार्थ भरा लेन-देन नहीं है… जब एक पत्नी के रूप में मेरी चाहत होती है कि आप मेरी भावनाओं को समझें… मेरा सहयोग करें …मुझे प्यार करें… अपनापन दे …तो आपने मुझे दिया…. अभी आपका समय है… अभी आप थोड़े कमजोर हो रहे हो तो मेरा कर्तव्य है कि मैं आपकी हर भावना को समझू… आपको खूब प्यार करूं …अपनापन दूं …आपकी सेवा करूं … आप का सहारा बनू….और यह सेवा मैं किसी रिटर्न के लिए नहीं…

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बल्कि मेरी स्वयं की संतुष्टि के लिए करती हूं… और पूरे दिल से करती हूं….  एक स्त्री के रूप में मैंने कई रिश्तो को संजोया है… अपने माता-पिता की बेटी हूं… भाई बहनों की बहन हूं… और अपने बच्चों की मां… और भी कई रिश्ते हैं ..  जिन से मैं  दिल से  जुड़ी हूं… पर मैं यह है बात अपने दिल से स्वीकार करती हूं कि इस समय आप से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है… आपकी जरा सी तकलीफ पर मुझे दिल में दर्द होता है… और मुझे हर पल यही लगता रहता है कि मैं ऐसा क्या करूं कि आप स्वस्थ हो जाएं….

मैं ईश्वर से हर घड़ी हर पल यही प्रार्थना करती हूं कि हम दोनों का जीवन सुखमय  बनकर बीतता रहे और जीवन के उत्तरार्ध में हम एक दूसरे का हाथ थामें एक कदम से दूसरे कदम मिलाकर चलते रहे ….जीवन के इस अनमोल रिश्ते को…. इस दर्द को मैं इन दिनों जितना महसूस कर रही हूं… उतना दर्द मैंने कभी  महसूस  नहीं किया… जीवन में सुख के क्षण भी आए ..और दुख के क्षण भी आए… पर अभी मेरा मन जिस मानसिक विचलन में है उसको मैं कह नहीं सकती… और मैं प्रभु को धन्यवाद देती हूं कि मेरे शरीर की…

मोटापे की …पैर की परेशानी के बावजूद ईश्वर ने मुझे शक्ति दी है कि मैं आपका पूरा ख्याल रख पा रही हूं…. अस्पताल की दौड़-धूप कर ली… इसके साथ ही मैं आप से जुड़े सभी रिश्तों का भी सम्मान करती हूं …आपका परिवार… मेरा परिवार… भाई.. भतीजे… भांजे भांजी… बेटा शुभम ..बेटी सृष्टि… अंशुल …अनुराग… लाभम… आपके मित्र… हमारी गृह सहायिका  शारदा भाभी… मेरा स्कूल परिवार ..आपका  ऑफिस…



सभी अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहे हैं… बराबर मदद दे रहे हैं… और हर कदम पर मुझे सबकी मदद मिल रही है… सभी का सहारा मिल रहा है… मैं ईश्वर का प्रतिपल धन्यवाद देती हूं और कृतज्ञता ज्ञापित करती हूं…. सुधा के इन प्यार भरे शब्दों में क्या पता?? कौन सा जादू था मेरी आंखों में भी आंसू आ गए….

 और हम दोनों ने प्रभु से मिलकर यह प्रार्थना की… की यह पवित्र रिश्ता जो अब” दिल का रिश्ता” है साथ बना रहे..

 एहसास बना रहे

 विश्वास बना रहे

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 चाहत बनी रहे 

अपनापन बना रहे

 प्यार बना रहे

 सहयोग बना रहे

 सम्मान बना रहे 

आभार बना रहे

 जन्मों जन्मों तक

 यह” दिल का रिश्ता” बना रहे ।

#सहारा 

 सुधा  जैन

रचना मौलिक

 

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