पति हो परमेश्वर नहीं – डॉ. पारुल अग्रवाल: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

आज अवनी जब सुबह सोकर उठी तो शिवम ने उसको चाय का प्याला देते हुए बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में शादी की तीसरी वर्षगांठ की बधाई दी। चाय पीते हुए अवनी की आंखों के सामने पिछले तीन सालों का सफर तैरने लगा।असल में अवनी और शिवम की मुलाकात अवनी के चाचा की बेटी की शादी में हुई थी। शिवम लड़के वालों की तरफ से था। कुछ तो शादी-ब्याह का माहौल,उस पर उम्र का सुरूर ऐसे में दोनों की आंखें चार होना लाज़िमी था।जहां शिवम आईटी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर था वहीं अवनी एचआर टीम का पूरा काम देखती थी। फिर भी दोनों मिलने का थोड़ा समय निकाल ही लेते थे।खैर प्यार कितना भी छुपा लो पर सबको पता चल ही जाता है।दोनों के घर वालो को भी उनकी प्रेम कहानी पता चल ही गई और फिर ज्यादा देरी ना करते हुए दोनों के परिवार वालों ने उनका गठबंधन करवा दिया।

शादी के बाद के दो-तीन महीने तो प्यार की खुमारी में कब बीत गए पता ही नहीं चला पर अब धीरे-धीरे अवनी को शिवम का दूसरा रूप देखने को मिल रहा था। जरा-जरा सी बात पर उसका चिल्लाना,उसके नाश्ते,खाने में थोड़ी सी देर होने पर खाने की प्लेट को पटक देना आए दिन की बात हो गई थी। अवनी भी नौकरी करती थी इतने नखरे उठाना उसके लिए भी मुश्किल था। उसने इस विषय पर कई बार सास- ससुर से भी बात की पर उनके लिए शिवम का यह व्यवहार सामान्य था। अवनी अंदर ही अंदर घुट रही थी। प्रेम विवाह होने की वजह से वो अपने माता-पिता को भी यह सब बताकर परेशान नहीं करना चाहती थी।

एक दिन खाने में थोड़ा नमक कम होने पर शिवम ने खाने की भरी प्लेट ही उठाकर फेंक दी थी और अवनी पर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया था। पूरे घर के सामने शिवम को अपने ऊपर चिल्लाता देख आज अवनी का भी धैर्य जवाब दे गया था। उसने भी उसके गुस्से का प्रतिकार करते हुए बोला कि पति हो परमेश्वर नहीं।ऐसे तो हमारा साथ रहना बहुत मुश्किल होगा। इससे पहले इकलौता चिराग होने की वजह से शिवम के गुस्से पर घर में किसी ने पलटवार नहीं किया था।अवनी का ये रूप देखकर शिवम भी कुछ असमंजस में था। अवनी जब शाम को ऑफिस से घर आई तो शिवम ने उससे माफी भी मांगी पर अब कहीं ना कहीं अवनी ने सोच लिया था कि वो शिवम की पूरी काउंसलिंग करवाएगी जिससे कुछ थेरेपी और मेडिटेशन से उसके गुस्से पर नियंत्रण हो सके। हालांकि अवनी का ये निर्णय शिवम के माता-पिता को नागवार लगा था क्योंकि उनकी नज़र में काउंसलिंग और मनोचिकित्सक को दिखाना कहीं ना कहीं उनके बेटे को पागल करने के समान था। पर अवनी भी धुन की पक्की थी,उसको लगा कि जिसके साथ आंखें चार हुई हैं उसको एक मौका देना तो बनता है। बस वो दिन था और आज का दिन है जहां अवनी के दृढ़ इरादों ने शिवम को भी अपने गुस्से को नियंत्रित करना सीखा दिया था,वहीं उनके प्यार को भी नई ऑक्सीजन प्रदान की थी।

#आंखें चार होना

डॉ. पारुल अग्रवाल

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