” कृति बड़ी जल्दी ऑफिस ज्वाइन कर लिया तुमने। तुमने तो एक महीने की छुट्टी ली थी ना ?” अपनी सहकर्मी कृति को ऑफिस में देखकर रूपाली ने पूछा।
” बस यार घर में बोर हो रही थी सोचा वापिस ऑफिस ही ज्वाइन कर लूं !” कृति बोली।
” बोर और वो भी इकीस दिन पहले की दुल्हन …ससुराल में इतने लोग होते उन्हे समझने , उनसे रिश्ते बनाने , उनकी पसंद ना पसंद जानने अपनी बताने के बाद भी बोर होने का समय बचता है तुम्हारे पास ?” रूपाली हंस कर बोली।
” यार मुझे सिर्फ पति से मतलब है अपने और उसने ऑफिस ज्वाइन कर लिया तो अब घर में बोर ही होती ना । मैं उलझन में रहती हूं क्या करूं कैसे समय काटूँ !” कृति ने सच्चाई बताई।
” क्यों कैसी उलझन? तेरे घर में तो सास और ननद भी है और मैने सुना है तेरे ससुराल के सब रिश्तेदार भी आस पास रहते हैं तो आना जाना लगा रहता होगा ना और ये क्या बस पति से मतलब है अरे तू किसी की पत्नी बनी है तो किसी की बहूरानी और भाभी भी ?” रूपाली ने पूछा।
” बस यार पूछ मत तू मेरी सास सारा दिन बेटा बेटा करके दिमाग खराब किए रहती है और वो ननद…. भाभी मैं आपकी ननद नही दोस्त हूं मुझसे अपनी हर बात शेयर कर सकती है आप । यार पहले ही बहुत दोस्त है बातें शेयर करने को और मेरी खुद की मां है बेटा बेटा करने को और उनकी खुद की भी बेटी है उसे करें मुझे क्यों। इसलिए तो उनसे दूर भाग कर ऑफिस आ गई !” कृति मुंह बना कर बोली।
” यार सास भी तो मां ही है तेरी नही तो तेरे पति की सही। तू उस घर में नई है वो तुझे अपनाना चाहती हैं सास को अपनी बहूरानी का बहुत चाव होता है तू तो खुशकिस्मत है तेरी सास तुझे बेटी की तरह अपना रही है वरना कितनी लड़कियां ये सोच दुखी होती कि उनकी सास उन्हे दिल से अपना नही पा रही। और ननद के रूप में दोस्त मिल जाए ससुराल में तो बात ही क्या पता ही नही कब दिन बीत जाता है!” रूपाली बोली।
” हां तेरे है नही न सास ननद इसलिए ऐसा बोल रही है होती तब तू भी मेरी तरह भागती उनसे!” कृति बोली।
” काश होती यार तुझे तो पता है रितेश ( रूपाली के पति) अनाथ है तो परिवार के नाम पर हमारी झोली खाली है । रितेश जब काम के सिलसिले में बाहर चले जाते है या देर से घर लौटते है तो मुझे खाली घर खाने को दौड़ता है तब मैं यही सोचती हूं काश रितेश का परिवार होता मेरी एक सास होती जो मुझे लाड़ लड़ाती कभी गलती पर डांटती पर हां सब सिखाती भी। एक ननद या देवर होता जो मुझे भाभी कम दोस्त ज्यादा समझता।” रूपाली दुखी होती हुई बोली।
” अरे यार तू इतना सेंटी क्यों हो रही है मैने तो ऐसे ही बोल दिया था चल अब ज्यादा दुखी मत हो मैं हूं ना तेरी दोस्त !” कृति रूपाली को दुखी देख बोली।
” देख कृति सबकी अपनी अपनी सोच होती है पर तू मेरी दोस्त है इसलिए तुझे समझा रही हूं ये जो रिश्ते होते है ना नसीब से मिलते और सच्चे रिश्ते तो बहुत ही कम होते तो तू उन्हे मत खो आज तू उनसे भागेगी कल वो तुझसे दूर हो जायेंगे फिर तेरी झोली भी खाली रह जायेगी। आज तू अपने पति के साथ खुश है पर ये मत भूल तेरी सास और ननद भी पति की जिंदगी का हिस्सा है उन्हे नही अपनाएगी तो क्या पति खुश रहेगा और पति खुश नहीं रहेगा तो क्या तू खुश रहेगी …जब पति को अपना रही तो उनसे जुड़े रिश्तों को भी अपना कर देख यकीन मान तुझे वो भी अपने लगने लगेंगे !” रूपाली ने समझाया।
” मतलब …यार मैं कौन सा अपने पति से उन्हें दूर कर रही हूं !” कृति बोली।
” पति से दूर नहीं कर रही पर खुद के तो करीब नही आने दे रही कल को मुकुल देखेगा तू उसकी मां बहन से कटी रहती है तब !! और सोच कल को जब मुकुल ( कृति का पति) घर में नही होगा तब तू कहां भागेगी अभी तो ऑफिस भाग आई पर रात को या छुट्टी वाले दिन !! …तेरा तो मायका भी दूर है !” रूपाली ने कहा।
” रूपाली मैने ऐसे तो सोचा ही नहीं यार सास ननद का साथ मुझे उलझन लग रहा था जबकि वो तो मेरी उलझन का हल है मुकुल के दिन में ना रहने पर तो मैं उस घर में अभी बोर हो गई अगर वो कुछ दिन को चला गया तो मैं क्या करूंगी सच में यार तूने सही कहा मुकुल अपनी मां बहन से बहुत अटैच है पिता जो बचपन में चल बसे। अगर मुकुल को ये एहसास हो गया तो शायद उसे बुरा लगे!” कृति बोली।
” शायद नही बिल्कुल बुरा लगेगा ये जो मर्द होते है ना ये कितने सख्त हो पर इमोशनल बहुत होते खासकर अपने परिवार को लेकर। अगर तुम सास ननद को दिल से अपनाएगी अच्छी भाभी और बहुरानी बन तभी मुकुल के दिल की रानी बनी रहेगी समझी!” रूपाली उसे बड़ी बहन की तरह समझाती हुई बोली।
” समझ गई बॉस !” कृति हंसते हुए बोली और रूपाली के गले लग गई। फिर दोनो काम में लग गई अपने।
लंच ब्रेक में जब रूपाली कृति के केबिन में आई तो उसने देखा वो फोन पर अपनी ननद से ही बात कर रही थी कि वो शाम को जल्दी घर आ जायेगी तब सब शॉपिंग पर चलेंगे और खाना बाहर खायेंगे इसलिए आज मम्मीजी से बोलना डिनर न बनाएं। उसको चहकते हुए बात करते देख रूपाली खुश हो गई। क्योंकि उसने जो कृति और उसके ससुराल वालो के बीच रिश्ते की नीव रखी थी कृति उसे मजबूत करने की कोशिश कर रही थी ।
दोस्तो ये सच है कि हर किसी के लिए ससुराल फूलों की सेज नही होता पर फिर भी ससुराल में सबको अपनाने की कोशिश तो करनी ही चाहिए क्या पता आपकी कोशिश रंग लाए। अच्छी पत्नी के साथ बहूरानी और प्यारी भाभी बनकर देखो घर रूपी बगिया मुस्कुरा उठेगी और आप उसकी खुशबू से खिल उठेंगी। वैसे भी जब पति अपना तो उससे जुड़े रिश्ते अपने क्यों नही। ये मेरी सोच है और आपकी ??
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
VM