सासू मां आजकल जमाना बदल गया है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “रागिनी, तेरा भाई आया है, बाहर कमरे में मैंने बैठा दिया है, जाकर मिल लें, मै सोने जा रही हूं और मुझे आवाज मत लगाना।” मुंह बनाते हुए विनीता जी अपने कमरे में चली गई।

“अच्छा!! भैया आ गये, रागिनी ते सुनकर बहुत खुश हुई, अभी दो दिन पहले ही भैया ने बताया था कि वो बिजनस के काम से उसके शहर आयेंगे तो मिलने आयेंगे, रागिनी ने खाने की भी तैयारी कर ली थी, वो दौड़कर कमरे में चली गई।

रागिनी को देखकर अजय बहुत खुश हुआ, उसके हाल-चाल लिएं, फिर रागिनी ने खाना लगा दिया, तभी अजय बोला,” कुंवर साहब आते तो हम साथ में खा लेते।”

“अजय भैया, वो तो रात को देर से आयेंगे, और आपकी ट्रेन जल्दी की है, आप खा लीजिए, मै उनसे आपकी बात फोन पर करा दूंगी।”

अजय ने जब खाना खाया और वो जाने लगा, तब तक भी रागिनी की सास कमरे से बाहर नहीं आई, रागिनी समझ गई थी कि , भैया का आना उन्हें अच्छा नहीं लगता है, अभी उनके अपने भाई आये होते तो वो खातिरदारी में ही व्यस्त रहती, विनीता जी शाम की दीया बाती के लिए कमरे से निकली, तब अजय रवाना हो ही रहा था।

“समधन जी, इस बार तो कुंवर साहब से मिलना नहीं हुआ, अगले महीने आऊंगा तो जरूर मिलूंगा, आप उनसे मेरी ओर से नमस्ते कह दीजिएगा।”

“अजय जी, आप अगले महीने फिर से आयेंगे? क्या इस  शहर में होटल नहीं है? जो आप हर बार बहन के यहां पर रूक जाते हैं, बहन दान में देकर बहन के घर का खाते हुए आपको शर्म नहीं आती है?

विनीता जी के मुंह से ये सुनकर अजय हक्का- बक्का रह गया, वही रागिनी को भी बहुत ही बुरा लगा, उसने तुरंत कहा, “मम्मी जी, पता नहीं किस जमाने में जी रही है आप ?” मै कोई दान देने वाली चीज नहीं हूं, जो मुझे दान दे दिया और फिर मायके वाले मेरे घर का पानी नहीं पी सकते हैं, सासू मां आजकल जमाना बदल गया है।”

“ये पहले के जमाने की सोच थी कि जब बहन-बेटी के घर का पानी भी नहीं पीते थे, तब लड़कियों को इंसान ही कहां समझा जाता था! उनकी कोई मर्जी भी नहीं पूछी जाती थी, मायके वालों ने दान में दिया, ससुराल वालों ने रख लिया, और फिर अपनी ही बेटी से मिलने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना होता था, आजकल जमाना बदल गया है, मै दान में नहीं आई हूं।”

“वो जमाना ओर था जब लडकी वाले आंखें नीची करके, गर्दन झुकाए कुछ भी सुन लेते थे, पर अब जमाना बदल गया है, अब तो सब बराबर हैं, लड़की भी लड़कों से कम नहीं है तो लड़की वाले भी बराबर का सम्मान पाने के हकदार हैं।”

“मम्मी जी, आप पता नहीं कौनसी दुनिया में जी रही है,  पहले बहू अपने मायके वालों का अपमान भी सहन कर लेती थी, और फिर उन्हीं ससुराल वालों की सेवा भी करती थी, पर अब जमाना बदल गया है, मै अपने भैया का अपमान सहन नहीं करूंगी, आपको इनसे माफी मांगनी होगी।”

ये सुनकर विनीता जी और भी गुस्सा हो जाती है, “मेरे घर में खड़ी हुई है, और मुझसे ही माफी मंगवाएगी?

तुझे अपनी सास की इज्जत की जरा भी परवाह नहीं है।”

“मम्मी जी, मै आपकी बहुत इज्जत करती हूं, लेकिन आपने मेरे भैया की इज्जत नहीं की, उन्हें मान-सम्मान नहीं दिया, ये तो गलत बात है, बेटी के घर से आये मेहमान को सर आंखों पर बैठाते हो, आपके मायके से कोई आये तो भी खातिरदारी की जाती है,और बहू के मायके से आये भाई को ताना देते हो?”इज्जत दोगे तभी तो इज्जत मिलेगी।”

“आप एक बात ये भी मत भुलिए, ये घर सिर्फ रोहित की कमाई से नहीं चलता है, मै भी बराबर कमाती हूं, 

ये बात मै घमंड से नहीं बोल रही हूं, बल्कि आपको सच्चाई बता रही हूं, जब ससुराल से कोई आता है तो मै पूरा मान-सम्मान देती हूं, तो मेरे मायके से कोई आ जायें तो वो बोझ क्यूं लगता है?”

अपनी बहू की बात सुनकर विनीता जी शर्मिंदा हो गई, ” आगे से ऐसा नहीं होगा।” ये कहकर अपने कमरे में चली गई, अजय ये सब देख रहा था, उसने कहा कि “वो फिर कभी इस घर में नहीं आयेगा।’

“भैया, आप जरूर आयेंगे, ये आपकी बहन का ससुराल  ही नहीं है, उसका अपना भी घर है, भाई कभी भी बहन के घर आ सकता है, आप नहीं आओगे तो मै समझूंगी, आप भी उन्हीं पुरानी दकियानूसी बातों को मानते हैं, आपने आना छोड़ दिया तो आपकी बहन की बातों का तो कोई मोल ही नहीं रह जायेगा।”

“मेरी सास ने आपसे माफी तो नहीं मांगी, पर उन्होंने ये भी तो कहा है कि आगे से ऐसा नहीं होगा।”

ये कहते-कहते रागिनी की आंखें भर आई।

“ठीक है, तू अपने आंसू पौंछ ले, मै अगले महीने जरूर आऊंगा, तेरे हाथ की बिरयानी खाकर जाऊंगा।”

ये सुनकर रागिनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना सर्वाधिकार सुरक्षित

1 thought on “सासू मां आजकल जमाना बदल गया है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!