Moral stories in hindi:
रीना अपनी सहेली प्रिया के घर बच्चों को लेकर आयी हैँ….
दोनों सहेलियां बात कर रही हैँ… तभी प्रिया के पति घर आयें… आतें ही बोले प्रिया खाना तैयार हो तो खाना दे दो…. तभी उनकी निगाह रीना पर गयी .. उन्होने हाथ जोड़ रीना से बोला… नमस्ते भाभी जी…. आप कब आयी…. कितने सालों बाद देखा हैँ आपको… शायद हमारी शादी के बाद पहली बार आयी हैँ आप… अगर मैं सही समझ रहा हूँ तो…
जी सही कहा आपने….. कुनाल का ट्रांसफर इसी शहर में हो गया हैँ….. तो सोचा मिल आऊँ अपनी बचपन की सहेली प्रिया से… रीना बोली…
पति का नाम लेते हुए सुन थोड़ा अजीब लगा प्रिया के पति रवि को… लगना भी वाजिफ हैँ… प्रिया ने तो कभी नाम लिया ही नहीं रवि का…. जी ये तो ठीक किया आपने… आज यहीं रुकिये ….
जी नहीं… थोड़े देर बाद चली जाऊंगी… फिर कभी आऊंगी…. . रीना तू बैठ… मैं इन्हे और बच्चों को खाना लगा दूँ …. तुम लोग भी खा लो…. फिर बातें करेंगे….प्रिया आटा गूंथते हुए बोली….
खाने का नाम सुन प्रिया के बेटे ने झट से चटाई उठाकर कमरें में बिछा दी…. उसकी बेटी दादी का हाथ पकड़ उन्हे लेकर आयी… बैठाया…. सभी बच्चे और रवि हाथ मुंह धो चटाई पर बैठ गए….
पर रीना के बच्चे बेड पर ही बैठे रहे… रवि ने आवाज लगायी…. आओ बच्चों… आप लोग भी खाना खा लो…
नहीं अंकल… हम तो बेड पर ही खाते हैँ… जमीन पर तो गरीब लोग खाना खाते हैँ…. हम तो यहीं खायेंगे… मम्मा भूख लगी हैँ खाना दे दो….
रीना को अपने बच्चों का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगा… परवरिश तो रीना की ही थी…. उसने बच्चों को डांट लगाकर चटाई पर बैठा दिया…. रीना के बच्चे प्रिया की सास को दोनों हाथों को सानकर खाना खाते देख बोले…. कितनी गंदी हैँ तेरी दादी….इन्हे तो खाना खाना भी नहीं आता … याक….
तभी प्रिया की बेटी बोली…. तुम्हारी दादी दादू नहीं हैँ क्या … तुम्हे नहीं पता ओल्ड लोग ऐसे ही खाते हैँ….. उनके दांत नहीं होते तो ऐसे ही खाने को नर्म करते हैँ….
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रीना को बहुत बुरा लग रहा था अपने बच्चों का ऐसा व्यवहार…. उनके घर भी दादी हैँ पर उन्हे खाना खाते कभी बच्चों ने देखा ही नहीं… रीना उन्ही के कमरे में दे आती हैँ… कई बार दादी ने भी समझाया…. बेटा जमीन पर बैठकर खाना खाना चाहिए… बिस्तर पर खाने से बिस्तर गंदा होता हैँ और बुरे ख्याल आतें हैँ…. मजाल हैँ कभी रीना ने उनकी बात मानी हो…. उसी बेड पर सब्जी गिर गयी…. य़ा खाना गिर गया तो कई बार तो उसे झाड़े बिना ही बच्चे सो ज़ाते हैँ….. पढ़ाई भी उसी बेड पर होती हैँ बच्चों की…..नहला कर भी रीना उसी पर खड़ा कर देती हैँ बच्चों को…. बेड नहीं बच्चों का आधा घर हो गया हैँ वो… रात में जब बेटी य़ा बेटा चौंककर जागते हैँ तो हनुमान चालीसा का पाठ करती हैँ… भई हमारे शास्त्रों में ऐसे ही नहीं कहा गया कि जमीन पर बैठकर पालथी मारकर खाना खाये…..
रीना के बच्चों ने नाक मुंह सिकोड़कर किसी तरह खाना खाया…. प्रिया के बच्चों और घर वालों ने हाथ जोड़े खाना खाने से पहले .. ज़िसे देख रीना का बेटा हंस पड़ा ….
सभी भोजन कर उठे… रीना के बच्चों ने थाल में ही हाथ धो लिए.. ये बात रवि को अजीब लगी… वो अपनी थाल उठाकर सिंक में पानी डालकर बर्तन रखकर आयें….
यह सब देख रीना को बहुत ही ग्लानि हो रही थी… उसके बच्चों ने थाली वहीं चटाई पर छोड़ दी… और खाना भी काफी बर्बाद किया….. प्रिया की बेटी ने सारा खाना उनकी थाल का एक कटोरे में डाल बाहर कुत्तों को डाल दिया… फिर चटाई को झाड़कर कोने से खड़ा कर दिया….
रीना चल हम दोनों खाना खा लेते हैँ…. प्रिया ने कहा …
रीना किसी सोच में डूबी थी… एकदम से बोली……
नहीं प्रिया….ये इंतजार कर रहे होंगे खाने का … मैं चलती हूँ….. फिर आऊंगी…
खाना तो खा लेती … पर रीना तो किसी और ही दुनिया में थी…. वो दोनों बच्चों का हाथ पकड़ बाहर आयी…. फ़ोन पर ज़मैंटो वाले का फ़ोन आ रहा था… उसने फ़ोन उठाकर बोला…. हम घर पर नहीं हैँ… ओर्डर कैंसिल कर रही हूँ….
आज रीना के घर पर मेथी आलू की सब्जी और पूड़ी की महक आ रही थी…. आज रीना की सास ने भी जी भर ना जाने कितने महीनों बाद खाना खाया था… बेचारी उन पर ज़मैंटो की रबड़ जैसी टाईट रोटी चबाये ना चबती थी…. पतिदेव भी रीना का बदला हुआ रुप देख मजाक में बोल दिये …. दो चार बार और हो आओ प्रिया भाभी के घर ….
रीना भी मुस्कुरा दी….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा