परवाज  – नीरजा नामदेव

 शम्पा  के मन में आज बहुत उथल-पुथल मची हुई थी ।वह बहुत ही ज्यादा रोमांचित औऱ उत्साहित थी। वह अपनी छत पर बैठी  आसमान और चांद तारों को निहार रही थी। उसे अपने बचपन की बातें याद आ रही थीं।बचपन में वह अपने ज्यादा समय दादी के साथ ही रहती थी। गर्मियों में आंगन में या छत पर खुले आसमान के नीचे जब दोनों सोते थे तो दादी उसे चांद तारों और नक्षत्रों की बातें बताया करती थी। उसे टिम टिम करते तारे बहुत आकर्षित करते थे। प्रतिदिन चांद का घटता बढ़ता रूप उसके लिए आश्चर्य का विषय था ।दादी ने शम्पा को बताया कि अब  तो अंतरिक्ष पर भी पहुंचा जा सकता है। शम्पा  अपने मन में सोचती की काश मैं भी वहां जा पाती। उसके मन में बहुत सारे प्रश्न उठते थे ।वह दादी से पूछती और दादी अपनी समझ के अनुसार उसे उत्तर देकर संतुष्ट करती रहती।

       शम्पा बहुत मन लगाकर पढ़ाई  करती । उसके माता पिता हमेशा उसके साथ थे और उसे प्रोत्साहित करते थे।उसकी मेहनत रंग लायी।उसका चयन वैज्ञानिक के रूप में हो गया ।उसने अपना विषय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र को चुना था। वह बहुत ही  मेहनत और लगन से अपना काम करती थी ।उसने बचपन में जो सपना देखा था कि’ मैं एक दिन अंतरिक्ष में जरूर जाऊंगी’ वह कुछ ही दिनों में पूरा होने वाला था। शम्पा को अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले मिशन के लिए चुन लिया गया था ।इसलिए आज वह रोमांचित थी।आसमान और चांद को देखते हुए वह यही सोच रही थी कि ‘अब तुम मुझसे दूर नहीं हो ,मैं जल्दी ही तुम्हारे पास आने वाली हूं ,मेरा इंतजार करना। मैं आऊंगी और अपने नाम के जैसे ही अंतरिक्ष में चमकूंगी।’




       बचपन में एक दिन उसने दादी से अपने नाम का अर्थ पूछा था तो दादी ने बताया था “आकाशीय बिजली जो कुछ देर के लिए आसमान में चमकती है “।तुम भी ऐसे ही हो। देखना तुम्हारा नाम भी एक दिन ऐसे ही आसमान पर चमकेगा। दादी की कहा सच होने वाला ।उसने जो सपना देखा उसे पूरा करने के लिए उसने पूरी मेहनत की थी और आज उसका फल उसे मिलने वाला था। दादी तो आज साथ नहीं थी लेकिन उसके माता-पिता को उस पर बहुत ही ज्यादा गर्व था। साथ ही संपूर्ण देश की नजरें उस पर टिकी हुई थी। अंतरिक्ष में जाने का दिन भी आ गया और वह अपने मिशन पर अपने साथियों के साथ गयी। जो अनुसंधान कार्य मिला था उसे पूरा करके सब  सफलतापूर्वक आये।संपूर्ण विश्व आज उनका स्वागत कर रहा था। देशवासियों को उस पर बहुत ही ज्यादा गर्व हो रहा था।

स्वरचित

नीरजा नामदेव

छत्तीसगढ़

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