.. तुमने कुछ कहा ही नहीं इतनी सुंदर ड्रेस मैने पहनी है …तुम्हारा ध्यान कीधर रहता है सुमेर…. रिया कुछ नाराज हो गई थीऔर आखिरी के शब्दो को कहने की तीव्रता इतनी अधिक थी कि रेस्तरां में कई लोग पलट कर उसकी ओर देखने लगे थे।
यह सुंदर ड्रेस उसने कल ही खरीदी थी कल्पना करके ही आनंदित हो रही थी कि सुमेर जब देखेगा मुझे तो देखता ही रह जायेगा.. यह एक मिनी फ्रॉक थी रेड गोल्डन रंग की..!!
अब भी सुमेर को खामोश देख वह नाराज होकर खड़ी हो गई। मैं जानती हूं तुम्हें पसंद नही आई होगी पर क्यों?? ज्यादा ही खीज कर रिया ने सुमेर की तरफ देख कर जवाब मांगा।
सुमेर ने मुस्कुरा कर उसका हाथ पकड़ लिया मेरी रिया तो जो भी पहन लेती है हमेशा सुंदर ही दिखती है मुझे..!
देखो बातें मत बनाओ सुमेर तुम्हें बताना पड़ेगा सही सही कि इस ड्रेस में मैं कैसी लग रही हूं …अभी यहीं तुम्हें मेरी तारीफ करनी पड़ेगी कायदे से ठुनक उठी रिया कित्ते कंजूस हो सुमेर तुम..!!
अबकी सुमेर थोड़ा गंभीर हो गया।
रिया सही बात ये है कि ये ड्रेस मुझे कायदे की नहीं लग रही है इसका गला कितना गहरा है और पैर बिलकुल खुले हैं… वो देखो सारे लड़के तुम्हें ही देख रहे हैं..असहज हो गया था सुमेर।
वे मुझे देख रहे हैं बस यही देख रहे हो तुम मैं कैसी दिख रही हूं यह तुम्हे कब दिखाई देगा सुमेर ….रिया का आक्रोश बढ़ गया था।
मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है रिया उन लड़कों के देखने का ढंग शालीन नही है सुमेर अभी भी चिंता में था।
फिर वही घिसी पिटी बातें….एकदम गंवार हो तुम सुमेर कौन कहेगा कि तुमने विदेश में रह कर पढ़ाई की है ….गांव के हो ना शहर का रहन सहन सीखने में समय लगेगा.. यह आज की लेटेस्ट ड्रेस है तुमको ड्रेस सेंस ही नही है वे सारे लड़के प्रशंसा की दृष्टि से मुझे देख रहे हैं कोई गलत नहीं सोच रहे हैं समझे तुम अपने इन दकियानूसी विचारों से कब बाहर निकलोगे सुमेर… वितृष्णा से कह रिया सुमेर का हाथ झटक कर रेस्त्रां से उठ कर बाहर आ गई थी।
उसके दिल की कड़वाहट आज कई गुना बढ़ गई थी।
रिया प्लीज सुनो तो रुको मैं भी आ रहा हूं कहता सुमेर उसकी कड़वी बातो की कोई परवाह किए बिना लपक कर उसके पीछे पीछे आने लगा था..!!
ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा था।सुमेर और रिया की शादी होने वाली थी ….लेकिन शादी के पहले एक दूसरे को समझना आदतों को जानना पसंद नापसंद जानना भी तो जरूरी था इसीलिए आधुनिक माहौल के अनुरूप ही दोनों अक्सर ही साथ साथ घूमते थे बाते करते थे… माता पिता ने भी दोनों को आपस में घुलने मिलने समझने का पूरा अवसर दे दिया था।
रिया जब भी सुमेर से मिलती हमेशा नए पहनावे में रहती थी पहनावे के अनुरूप ही उसका सजना संवरना भी रहता था…स्वाभाविक रूप से वह अपेक्षा करती थी कि सुमेर उसे देखते ही प्रभावित हो जाए उसे एकटक देखता रह जाए और उसकी सुंदरता की जम कर तारीफ करे उसके पहनावे की प्रशंसा करे…!
सुमेर वास्तव में रिया को बहुत पसंद करता था बहुत तारीफ करता था ।लेकिन स्वभाव से थोडे गंभीर और सादगी पसंद सुमेर को रिया का यूं रोज रोज कीमती ड्रेसेस पहन कर आना और उस पर भी ऐसे अत्याधुनिक परिधान जिनमे रिया की शारीरिक बनावट की खुलेआम नुमाइश होती थी उसे बिलकुल पसंद नहीं आते थे ।संकोच में पड़ जाता था वह।तारीफ कैसे करूं… जब उसे परिधान जंच ही नही रहा..!!
रिया की नाराजगी के डर से झूठ मूठ तारीफ कर भी देता तो रिया और ज्यादा उत्साह में आकर दूसरे दिन एक और वैसा ही या उससे भी ज्यादा आधुनिक परिधान पहन आती।तारीफ नहीं करने पर रिया को बुरा लगता था कि शायद सुमेर को मैं पसंद ही नहीं हूं या क्या मैं इतनी बुरी हूं कि तारीफ के काबिल भी नहीं हूं।
जिंदगी मस्त रह कर जीना चाहिए अपने हिसाब से।जो मुझे पसंद है मैं वही पहनूंगी जो मुझे पसंद है मैं वही करूंगी ये मेरी जिंदगी है दूसरो के हिसाब से क्यों जीयूं मैं..!!अभी ही तो ये सब मजे करने के शौक पूरे करने के दिन हैं अभी से खुद को दुनिया भर के ये ना करो वो ना करो या ना पहनो वो ना पहनो के चक्रव्यूह में फंसा लूंगी तो मेरा भविष्य तो मर ही जाएगा!!रिया के भीतर विचारों का भूचाल आया हुआ था।
एक दिन जब रिया पारंपरिक परिधान में आई तो जैसे सुमेर को अपनी बात कहने का मौका मिल गया।खूब तारीफ की उसने रिया की भी और उसकी ड्रेस की भी वाह रिया आज तुम सबसे सुंदर लग रही हो ऐसी ड्रेसेज तुम पर कमाल लगती हैं… दबे शब्दों में उसने रिया की उटपटांग ड्रेस जिनमें शरीर की नुमाइश होती थी उनके प्रतिअपनी नापसंदगी जाहिर कर दी थी।
परंतु रिया ने सुमेर को गंभीरता से नहीं लिया था बल्कि उसकी इस सोच को दकियानूसी और स्त्री स्वतंत्रता के लिए घातक बता कर खूब खिल्ली उड़ाई थी।हद है सुमेर आज के इस युग में तुम इन सब बातों पर ध्यान देते हो इतना खुलापन है आज की हवा में जी भर के सांस तो लेने दो ।अगर मैं सुंदर हूं और इन कपड़ों में और सुंदर दिखती हूं तो दुनिया को भी देखने दो प्रशंसा करने दो … इस ड्रेस में बुराई नही है सुमेर बुराई है तुम्हारी नजरो में तुम्हारे देखने के ढंग में अपना नजरिया बदलो ।
सुमेर कुछ कह नहीं पाता था वह रिया की इज्जत भी करता था उसकी भावनाओं का निरादर नहीं करना चाहता था।लेकिन वह उसे यह नहीं समझा पाता था कि आज के जमाने में हमे अपने आपको सुरक्षित भी रखने की जरूरत है।विकृत मानसिकता के लोग बहुधा लड़कियों के अत्याधुनिक पहनावे से गलत इरादे कर लेते हैं पीछे पड़ जाते हैं और फिर मुसीबत में पड़ जाती हैं मासूम लड़कियां इसीलिए जहां तक हो सके सार्वजनिक जगहों में सभी को अपना पहनावा शालीन ही रखना चाहिए ताकि देखने वालो की नजरों में भी सम्मान ही रहे।
आज भी वही हुआ… रिया की ड्रेस कुछ ज्यादा ही छोटी और भड़काऊ थी कई लड़के बहुत गलत ढंग से रिया को घूर रहे थे उन्हीं की तरफ सुमेर का ध्यान बंटा हुआ था उसे पसंद नही आ रहा था।लेकिन आज तो रिया ने उसे सबके सामने गंवार और दकियानूसी बताते हुए संबंध ही खत्म कर देने का फैसला ले लिया था।जब अभी शादी के पहले इतनी बंदिश हैं तो शादी के बाद तो मेरा पहनना ओढ़ना उठना बैठना चलना घूमना मुहाल हो जायेगा.. मुझे नही करनी ऐसी संकीर्ण सोच वाले व्यक्ति के साथ शादी… मन ही मन संकल्पित होते हुए वह घर जाने के लिए तेजी से टैक्सी स्टैंड की तरफ बढ़ रही थी।
आस पास बहुतेरी धूर्त नजरें उसे बहुत बारीकी से परख रहीं थीं…! पीछे से आती सुमेर की आवाजों को वह अनसुनी कर रही थी।
“…अरे भाईसाब काहे पीछे पड़े हो देवी जी के जब तुमको घास नहीं डाल रही हैं जाओ जाओ अपना काम देखो हम लोग हैं इनका ख्याल रखने को … रिया के पीछे आते हुए सुमेर को चार शोहदों ने पकड़ लिया था…
और उसी समय एक टैक्सी रिया के सामने रुकी आइए मैडम कहां जाना है आपको कहते हुए ड्राइवर ने दरवाजा खोला और गुस्से में भरी रिया बिना कुछ सोचे तत्काल उसमे बैठ गई।
अंदर बैठते ही वह सिहर उठी ।दो लड़के जो बाहर सड़क पर उसे घूर रहे थे वही उसके अगल बगल बैठ चुके थे”.. क्या कमाल लग रही हो इस ड्रेस में तुम कहते हुए वे उसकी ड्रेस छूने की कोशिश करने लगे थे ।उनकी विकृत हंसी उनके विद्रूप इरादों को खुल कर बता रही थी।
रिया की तो सांस अटक गई।अपनी ड्रेस उसे आज सबसे वाहियात लगने लगी थी सुमेर ठीक कहता है पहनावा भी सुरक्षा या असुरक्षा कवच बन सकता है यह उसे आज महसूस हो रहा था।वास्तव में उसकी ड्रेस के कारण ही ये शोहदे उसके पीछे पड़ गए हैं।
हम करेंगे आपकी तारीफ मोहतरमा आप बिल्कुल परेशान ना होइए उस गंवार को क्या अक्कल आपकी तारीफ करने की… कहते हुए वे दोनों विकृत हंसी हंसने लग गए थे।
सुमेर और उसका शालीन व्यवहार और बातें याद कर रिया की आंखों में आंसू उमड़ आए।
…सुमेर कहां हो तुम काश मैंने तुम्हारा कहा मान लिया होता असुरक्षा से विकल हो वह चीख उठी।
यकायक एक पुलिस गाड़ी टैक्सी के सामने आ गई ।
रिया की तो जैसे जान वापिस आ गई।
टैक्सी को रोकना पड़ा।
सुमेर तुम.!! पुलिस वैन से सुमेर को उतरते देख रिया खुशी के मारे दौड़ पड़ी और सुमेर से लिपट गई।
रिया तुम ठीक तो हो ना .. सुमेर की आवाज में बेइंतिहा चिंता थी और ख्याल था।
हां सुमेर अब मैं एकदम ठीक हूं मुझे माफ कर दो सुमेर….रिया रोती जा रही थी .. उसके दिल की सारी कड़वाहट ग्लानि के रूप में आंसुओं में बही जा रही थी..!! और सुमेर उसके आंसुओं को रोकने की कोशिश किए जा रहा था।
लतिका श्रीवास्तव
#कड़वाहट#