Moral stories in hindi : आज फिर वही हुआ अन्वी कुंठित हो उठी थी खुद पर खुद के अस्तित्व पर….कॉलेज में टॉप किया है उसने रिजल्ट देख कर उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे बधाई और प्रशंसा में पगे वाक्य सुनने की प्रत्याशा में उसके कान अधीर हो रहे थे और कॉलेज जल्दी पहुंचने को पैर उतावले हो उठे थे।
कॉलेज के मुख्य गेट पर ही उसके सहपाठी मिल गए थे जिनसे बधाई सुनने की भरपूर आकांक्षा के साथ अन्वी ने देखा मगर उन्होंने तो देखते ही कटाक्ष सा किया था आ गई टॉपर..!! हमें तो पहले से ही पता था कि इस बार भी कॉलेज में टॉप तुम्हीं करोगी।
उनके लहजे का व्यंग्य एक झटके में अन्वी को जमीन पर ले आया था।ऐसे क्यों कह रही हो तुम लोग उसके पूछते ही मुदिता ने तुरंत ही आंखें और भौंह चढ़ाकर कहा था “ठीक ही तो कह रही हूं अब महामहिम प्रोफेसर निशांत की बेटी अन्वी के अलावा भला और कौन टॉप कर सकता है इस कॉलेज में!!
क्यों सुधा क्या मैने कुछ गलत कह दिया है” ताना मारते हुए उसने कहा तो सुधा ने भी उसकी हां में हां ही मिलाई थी हां भई यह रिजल्ट तो हम सबको पहले से ही पता था हंसती हुई दोनों सहेलियों के आगे बढ़ते हुए कदमों के साथ अन्वी कदम नहीं बढ़ा सकी थी जैसे उसके पैरों में किसी ने बेड़ियां डाल दीं हों सारी खुशी और खुद की इतनी बड़ी उपलब्धि पर हो रहा गर्व पूरी तरह से चकनाचूर हो चुका था।
बचपन से लेकर आज तक उसकी हर उपलब्धि हर सफलता को उसके लब्धप्रतिष्ठित पिता प्रोफेसर निशांत के दबदबे का नतीजा ही समझा जाता रहा है पिता का रुतबा पिता का प्रभाव लोगों को बेटी की मौलिक प्रतिभाओं को देखने ही नही देता था या फिर जानबूझ कर वे अन्वी की प्रतिभा को उपेक्षित करने के बहाने गढ़ लेते थे…! आज भी उसकी सहपाठियों की जलन ने अन्वी की प्रतिभा को राख के ढेर में तब्दील करने की सफल कोशिश कर दी थी।
बेटा देख आज तेरे रिजल्ट की खुशी में तेरी फेवरेट मावा खीर बनाई है मां ने उसे देखते ही उत्साह से कहा लेकिन कॉलेज से वापिस आई तन और मन दोनो से बोझिल हो चुकी अन्वी का उत्साह शून्य हो चुका था ।
नही मुझे नही खानी…. पापा को खिला दो ये मेरा नही पापा का रिजल्ट आया है पापा ने टॉप किया है मैने नहीं!कह उसने पापा की ओर आक्रोशित दृष्टिपात किया।
बेटा फिर तू लोगों की लगाईबुझाई में आ गई ..मैं जानता हूं सब तेरी मेहनत का है मेरा कोई रोल नहीं है मेरी बेटी इतनी गुणी है उसे किसी पर मोहताज होने की जरूरत ही नही है ये देख लोगों की जलन का एक और कारण …तुम्हारा नियुक्ति पत्र इसी कॉलेज में तुझे अभी अस्थाई तौर पर नियुक्ति मिल गई फिर एक एग्जाम क्लियर करना होगा बस ।
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पापा का लैपटॉप (भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi
लतिका श्रीवास्तव