पापा,आ जाओ ना एक बार – सुषमा यादव

#पितृ दिवस #मन के भाव 

एक बेटी की आंतरिक वेदना,,

,,,, ,,,,**** कुछ दर्द आंसू बनकर बह जाते हैं,, कुछ दर्द चिता तक जातें हैं,*** 

पापा की मैं दूसरी बेटी थी,, पापा, ने भले ही दीदी को मारा, डांटा हो, पढ़ाई के बारे में,,पर मुझे कभी भी एक उंगली से भी नहीं छुआ,, पापा हम दोनों से बहुत प्यार करते थे, कहते,ये बेटियां मेरी जान हैं, मेरी राजकुमारियां हैं,,सब जानते थे कि पापा, हमें कितना प्यार करते हैं,, हमारे एक

इशारे पर सब कुछ हाज़िर हो जाता,,, पापा ने कभी भी अपने विचार हम पर नहीं थोपा,, दीदी को जो बनना था,बन गई,, मुझसे पूछा, तो मैंने कहा, कि, पापा,मैं तो डाक्टर बनूंगी,, पापा बहुत खुश हुए,, बोले,बेटा, ये तो मेरा बहुत बड़ा सपना था,, और पापा ने मुझे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुझे बहुत प्रोत्साहित किया

और मेरा मनोबल बढ़ाया,, मेरे पापा बहुत ही ईमानदार, मेहनती और अपने कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठावान एक सफ़ल अधिकारी थे,,वो सबकी मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे,,,

,,,जब मैं एम बी बी एस, के प्रथम वर्ष में थी, तभी पापा हम सबको अचानक छोड़कर चले गए,,सदा के लिए,, आसमां में एक चमकता हुआ सितारा बन गए,,

,,, मैं सैकड़ों मील की दूरी से अपने प्यारे पापा से भाग कर मिलने आई,पर मेरे देखते, देखते, एक झटके में उठा कर पापा को ले कर चले गए,, मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सी खड़ी रह गई,,समझ ही नहीं पाई कि क्या हुआ,,,

इस कहानी को भी पढ़ें: 

औकात मां-बाप से होती है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi



,,, पापा मैं तो अंतिम समय आपके गले से लग कर रो भी नहीं पाई,,,,लग के गले से अपने बाबुल के मैं ना रोई,, अर्थी उठी कि ऐसे, जी भरकर देख ना पाई,,

,,दिल में लगी ये फांस,,कि आज़ तक निकल ना पाई,,,

,,,,,,, पापा,, आज़ आपका सपना पूरा हो गया,,,आपकी बेटी बहुत बड़ी डाक्टर बन गई है, और आपके आशीर्वाद से और भगवान कृपा से अतिशीघ्र लंदन के सरकारी अस्पताल में ज्वाइन करने वाली है,,पर पता नहीं, क्यों,, एक पत्थर सा दिल पर रखा है,,सब उदास हैं,जो अतिरेक खुशियां है वो सबके चेहरों पर झलक नहीं रही है,,

हम सब अपने आंसू एक दूसरे से छुपा कर पोंछते है,,आप जो नहीं हो,, मां, दीदी कहती हैं,, आज़ पापा होते , तो उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहता,, उन्हें अपनी बेटी पर बहुत गर्व होता,,

,,, आज़ मेरा भी बहुत बड़ा सपना पूरा हो गया है, पापा,पर आप नहीं हो,,काश,,आप हमारे साथ होते,,,आप हमेशा हमारे साथ हैं ना, पापा,, हमें ऊपर से आशीर्वाद दे रहे हैं,, और बहुत खुश हैं, अहसास हैं हमें,,

,,,पर एक बार पापा आ जाओ ना,, मेरे सिर पर हाथ रख कर आशिर्वाद दे दो ना पापा,,,

,,,,,,,,,,आप ना जाने किस जहां में खो गए,,


,,इस भरी दुनिया में, तन्हां हम रह गए,,,

आप जहां भी रहें, खुश रहें,,आप हमेशा हमारे साथ हैं,,

,,,, किसी ने बिल्कुल सही कहा है,,

**** पिता के बिना जिंदगी वीरान होती है,,

इस कहानी को भी पढ़ें: 

ये कैसी सोच? – डॉ संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

तन्हां सफ़र में हर राह, सूनसान होती है,,

,,, जिंदगी में पिता का होना जरूरी है,,

,,, पिता के साथ से हर राह आसान होती है,,

,,, पितृ दिवस पर पापा, आपको मेरा शत् शत् नमन

सुषमा यादव,, प्रतापगढ़, उ प्र,

स्वरचित, मौलिक,,

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!