पानी – स्नेहज्योति

पानी
बूँद-बूँद से बनता हूँ
रिश्तों सा निखरता हूँ
खुले आसमाँ से जब
ख्वाहिश बन बरसता हूँ
तो बंजर पड़े अरमानो को
पलभर में गुलजार कर देता हूँ
सबके चेहरे पर एक उत्साह
भीनी सी मुस्कुराहट छोड़ देता हूँ
मैं पानी हूँ सबसे जुड़ी कहानी हूँ
जो कल था आज हूँ
पर कल किसके पास हूँ
ना तेरा हूँ ना उसका हूँ
सबका कतरा-कतरा हूँ
आम सही पर ख़ास हूँ
मैं हर किसी की दरकार हूँ
मेरी भी तो अब बात सुनो !
मेरा भी तो मोल करो !
ओझल ना हो जाऊँ अँखियो से
यूँ बूँद-बूँद ना बर्बाद करो।।

                  स्नेहज्योति

                   

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