पैसों की खनक (भाग 2 )- डॉ.पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

उसका दिल तो बहुत दुखा था पर फिर भी उसने ये सोचा कि पापा ने उसकी पढ़ाई और शादी में बहुत खर्च किया है। पापा ने अच्छी शिक्षा देने के लिए कभी भी उस पर कोताही नहीं की। शायद अब उनकी कोई मजबूरी रही होगी,ऐसा सोचते हुए इस बात को दिल से निकालने की कोशिश की। वैसे भी काम तो किसी के नहीं रुकते।

उसको मकान के लिए बैंक से लोन तो मिल ही गया था,ये बात और थी कि अब किस्तें ज्यादा समय के लिए थी। फिर उसने ये भी सोचा कि चलो बैंक की किस्तें और ब्याज ही तो देना पड़ेगा पर अब किसी का एहसान तो नहीं रहेगा। इस तरह की घटना ने उसे एक सबक और भी दिया था कि अब ज़िंदगी में किसी से चाहे वो अपने माता-पिता ही क्यों ना हो कोई उम्मीद नहीं करनी है। इसके बाद वो तीज त्यौहार पर मायके जाती और थोड़ी देर रुककर लौट आती।

समय के बाद पापा का रिटायरमेंट भी हो गया अब तो तीज त्यौहार पर भी भाभी का व्यवहार उसके साथ पराया होने लगा। उनकी व्यंगायमक बातें उसको एक अनचाहे मेहमान की अनुभूति देती। भाभी का अपने प्रति खराब व्यवहार तो वो महसूस करती ही थी पर माता पिता का कुछ भी ना कहना उसको अंदर तक चोट पहुंचाता।

ये सब देखने के बाद अब वो त्यौहार पर भी मायके जाने से बचने लगी। बच्चों की छुट्टी में उनको कोई ना कोई उनके मनपसंद क्रियाकलाप में लगा देती। इस तरह अब उसने मायके से अपने आपको पूरी तरह काट लिया था। कभी कोई रिश्तेदार मिलते तो उनके सामने भी व्यस्तता का बहाना बनाकर अपने मायके ना आ पाने में समर्थता दिखा देती।

वो अभी ये सोच ही रही थी कि फिर से भाई का फोन आ गया। अब भाई ने उसको साफ-साफ बता ही दिया था कि उसका आना बहुत जरूरी है क्योंकि संपत्ति का बंटवारा होना है और उसके हस्ताक्षर बहुत आवश्यक हैं। 

ये सब सुनकर अब उसको मायके से बुलावे का कारण समझ आ गया। अपने पति से बात करके वो मायके पहुंची तब वहां उनके परिवार के वकील साब भी थे। उसके पिताजी ने बेटों के नाम सारी सम्पत्ति कर दी थी और उसके लिए कुछ धन राशि लिखी थी।

तब वकील साब के पूछने पर कि उसे इस निर्णय पर कोई आपत्ति तो नहीं है उसने बड़े धैर्य और सधी हुई आवाज़ में कहा में अपने पिताजी और भाईयों की तरफ देखते हुए कहा कि “ना मुझे आपके पैसे चाहिए ना संपत्ति” भगवान की दिया मेरे पास सब कुछ है। फिर उसने कहा जो भी धनराशि मेरे नाम लिखी गई है मैं इसे अपनी मां के खाते में डालना चाहूंगी।

ऐसा कहते हुए उसने अपने हस्ताक्षर कर दिए। उसकी ऐसी प्रतिक्रिया पर उसके भाई और भाभी उसको देखते रह गए। फिर उसने अपने पिताजी की तरफ देखते हुए और अतीत में मकान खरीदते समय उनके द्वारा मदद के लिए पैसा ना देने का याद दिलाते हुए कहा कि पापा आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो उस दिन आपने मुझे ज़िंदगी का इतना बड़ा सबक दिया था।

उस दिन भले ही मेरा दिल दुखा था पर ज़िंदगी में अपने बलबूते का पाठ सीखने का मौका भी मिला था। आज के दिन मेरे पति और मैं इतने सक्षम हैं कि आपसे ही नहीं,मुझे अपने सास-ससुर की जायदाद में से कुछ लेने की इच्छा नहीं है। उसकी बातों ने आज वहां बैठे सभी लोगों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया था।

मैं अपने परिवार और बच्चों में पूरी तरह खुश हूं। ये कहते हुए वो आत्मसम्मान की चमक लेकर अपने घर चलने के लिए उठ खड़ी हुई।पैसा और संपत्ति तो उसको वैसे भी नहीं चाहिए था पर आज अपने मन की बात कहकर उसका बरसों से दिल में छुपा गुबार निकल गया था। उसे ये भी लग रहा था कि काश हमारे समाज में बेटा-बेटी में इतना फ़र्क ना किया जाता और इंसान पैसों की खनक में इतना ना डूबता तो कम से कम रिश्तें तो सुरक्षित रहते। 

नोट: पाठकों से अनुरोध है कि कृपा कहानी को कहानी की तरह पढ़ें। कई बार ज़िंदगी बहुत कुछ सीखा देती है इसलिए हर कहानी का अंत बहुत सुखद नहीं हो सकता। आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।

पैसों की खनक (भाग 1)

पैसों की खनक (भाग 1)- डॉ.पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

डॉ.पारुल अग्रवाल,

नोएडा

#वाक्य आधारित कहानी प्रतियोगिता

#ना मुझे आपके पैसे चाहिए ना संपत्ति

6 thoughts on “पैसों की खनक (भाग 2 )- डॉ.पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi”

  1. Very nice inspiring इसके लिए एक कहावत है बल में बल अपना बल हमें किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए जितना हो सके स्वयं के बूते ही करना चाहिए🙏

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  2. माँ बाप को बेटी के पालन पोषण, पढ़ाई लिखाई और शादी का खर्चा तो खूब याद रहता है पर बेटे का कुछ भी याद नहीं रहता। हाँ और साइन करवाने है बेटी से इसका बेसब्री से इंतज़ार रहता । हाँ याद !नहीं रहता तो बेटी जब तक है सारे घर का काम करवाया था। यह सब सिर्फ संस्कारी बेटियों के साथ होता है। कड़वा पर सच्चाई यही है । जिस में दुआएं ना हो वो सम्पत्ति भी किस काम की । फिर भी *अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो*

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  3. मदद किसी से भी नहीं लेनी चाहिए भविष्य मे इसका ताना मिलता है और कई बार तो सम्बन्ध तक ख़तम हो जाते है चाहे अपना सगा भाई ही क्यू ना हो

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  4. Beti ko bhi sochna jaroori hein ki ussane apne Ma-Baap ka shadi ke baad kya kiya? Ma-Baap koi aisi Bank nahi jab bhi chaha withdraw karo.

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