मम्मी आज निकिता कह रही थी देखो तो दीदी जीजाजी हमारे साथ गाड़ी से निधी की शादी से वापस आ गए और ये भी न हुआ कि दीदी से कि गाड़ी में पेट्रोल ही डलवा दें। फिर हमने भी रास्ते में एक महंगे होटल में गाड़ी रोक दी खाना खाने को कि चलो यहां खाना खाएंगे कि चलो इसी बहाने दीदी का कुछ पैसा तो ख़र्च हो। हालांकि भाभी ने तो रास्ते के लिए खाना बना कर रख दिया था।और निकिता के बेटे को पूड़ी सब्जी और आम का
अचार बहुत पसंद है फिर भी इतने महंगे होटल में गाड़ी रोक दी।और मम्मी अब दीदी जीजाजी साथ है तो पेमेंट तो वहीं करेंगे न।ये तो बहुत ग़लत किया निकिता ने ,मैं बात करूंगी निकिता से । हां मम्मी आजकल निकिता के बहुत दिमाग खराब हो गया है जरा सा पैसा क्या आ गया है किसी को कुछ समझती नहीं है । इतना घमंड अच्छा नहीं है ।आप बात करना मम्मी, हां बेटा मैं बात करूंगी कहकर विभा जी ने फोन रख दिया।
निकिता चार बहनें थीं । निकिता , विनिता , अनिता और संगीता एक बड़ा भाई था । बहनों में निकिता तीसरे नंबर की थी । उसकी शादी एक बैंक मैनेजर से हुई थी पहले तो निकिता भी अन्य बहनोंकी तरह ही थी ठीक ठाक था घर में पैसा बहुत नहीं था । लेकिन निकिता के ससुराल में काफी जमीन जायदाद थी । अभी कुछ समय पहले निकिता के ससुर की गले के कैंसर से मृत्यु हो गई थी । निकिता के पति शशिकांत और
रविकांत दो भाई थे । धीरे धीरे घर की प्रापर्टी बेच दी गई और दोनों भाइयों में बंटवारा हो गया । शशिकांत के बड़े भाई गांव में ही रहते थे उनकी मां उनके साथ रहती थी । शशिकांत भोपाल में सर्विस करते थे । अचानक से इतना पैसा मिल जाने के कारण शशिकांत और निकिता का तो जैसे दिमाग़ ही खराब हो गया। निकिता की और बहनें ठीक ठाक थी ज्यादा तो नहीं था और बहुत कम भी नहीं था । निकिता की बड़ी बहन का बेटा हास्टल में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और दूसरा बेटा भी कम्पटीशन की तैयारी कर रहा था तो इस समय वो पैसा संभाल कर खर्च करते थे फालतू नहीं।
लेकिन निकिता अब सबको पैसे की धौंस दिखाने लगी थी। निकिता के बड़े भाई जब कभी निकिता के पास जाते तो शशिकांत के एक डाक्टर दोस्त थे जो यूरोलॉजी के डाक्टर थे तो शशिकांत उनसे भी साले साहब को मिलवाने ले जाया करते थे ।भाई को प्रोस्टेट और किडनी संबंधी थोड़ी परेशानी थी तो वो डाक्टर दोस्त से सलाह लें लेते थे ।तो निकिता को अच्छा नहीं लगता था।वो एक बार भाई से कहने लगी
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भाई जब डाक्टर दोस्त से इलाज संबंधी मशवरा लिया करो तो उनको पांच सौ रूपये कि फीस दिया करों ऐसे नहीं कि बस दिखा दिया ।भाई को ब बहुत खराब लगा कि छोटी बहन होकर ऐ कैसी बात कर रही हो ।अरे शशिकांत के दोस्त हैं हम पैसा देंगे तो कैसा लगेगा और फिर यदि देना ही है तो तुम्हीं दे देती इतना पैसा तो है भाई से कहने की क्या जरूरत थी ।भाई ने जब ये बात और बहनों की बताई तो बहनों ने भी कहा कि निकिता का दिमाग खराब हो गया है और कुछ नहीं।
हर समय गाड़ी का रौब दिखाती रहती थी ।हम लोग तो बिना गाड़ी के कहीं जाते नहीं है ,हम लोग तो महंगे होटल में जाते हैं ब्रांडेड कपड़े ही पहनते हैं वगैरह वगैरह। बड़े भाई के बेटी की शादी में शामिल होने के लिए निकिता , शशिकांत और उनका बीस साल का बेटा गया था। निकिता की बड़ी बहन अनिता ट्रेन से गई थी ।
सबसे छोटी बहन संगीता गई थी पर विनिता नहीं गई थी उसके बच्चों के पेपर थे इसलिए । शादी में जाकर भी निकिता ने खूब नाटक फैलाया था कि हम लोगों को यहां कोई पूछं नहीं रहा है । हमलोग तो सुबह-सुबह बेड टी लेते हैं,ये सब इतना भारी खाना तला हुआ तेल मसाले का खाना नहीं खाते ।एसी नहीं है कमरे में हम लोग तो ऐसी में ही रहते हैं । मार्च के महीने में शादी थी तो उस समय इतनी गर्मी होती नहीं है कि ऐसी के बिना न रहा जाए ।
शादी के दूसरे दिन शशिकांत को बैंक का कोई एग्जाम देना था तो उसकी तारीख आ गई उसका सेंटर लखनऊ में पड़ा था तो उनको अचानक से जाना पड़ा और वो सुबह सुबह फ्लाइट से निकल गए। शादी के दूसरे दिन बहनों की वापसी होनी थी। हालांकि अनिता और उनके पति की ट्रेन से रिजर्व रेशन था। लेकिन अनिता का घर भोपाल जाने से पहले ललितपुर में पड़ता था ।तो निकिता कहने लगी
चलों दीदी हमारे साथ चलो गाड़ी खाली जा रही है शशिकांत तो लखनऊ चले गए हैं रास्ते में आपको छोड़ देंगे। अनिता ने मना किया कि नहीं हमारा तो रिजर्वेशन है ट्रेन से । फिर भाई भी कहने लगे कि अब गाड़ी खाली जा रही है तो चलीं जाओ साथ में सिर्फ निकिता और उसका बेटा है गाड़ी तो उसका बेटा ही चलाएगा तो चली जाओ साथ में।तो अनिता और उनके पति बैठ गए गाड़ी में ।जब वहां से रवाना हुए तो निकिता के जीजा जी ने निकिता से पूछा भी कि गाड़ी भी पेट्रोल है तो तो निकिता ने कहा हां है अभी तो । फिर बाद में दूसरी बहन से कहने लगी कि जीजा जी ने पेट्रोल नहीं भरवाया।
रास्ते में जब खाना खाने के लिए रोका तो निकिता के बेटे ने कहा भी कि मम्मी मामी ने तो खाना बनाकर दिया है न और आपको तो पता है कि मुझे पूड़ी सब्जी पसंद है ।तो निकिता बोली नहीं सुबह का बना हुआ खाना पैक हो यहां ताज़ा खाना खाते हैं ।
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अनिता और उनके पति ने आंखों आंखों में बात की कि जबरदस्ती का खर्चा बढ़ रहा है । सोचने लगे कि जब अपने साथ खाना लिए थे तो क्या जरूरत है यहां होटल में खाने की । लेकिन इत्तेफाक ऐसा हुआ कि उस दिन होटल में सब्जी नहीं आ पाई थी तो होटल के मैनेजर ने आकर बोला कि साहब अभी खाना दो घंटे बाद मिल पाएगा अभी सब्जी नहीं आ पाई है सुबह के ग्यारह बज रहे थे।इतने में निकिता का बेटा बोला बहुत बढ़िया अब तो पूड़ी सब्जी और आम का अचार खाएंगे।
पैसे ने दोनों पति-पत्नी के दिमाग इस तरह से खराब कर रखे हैं कि क्या बताया जाए ।रोज पार्टियां होती है आठ दस लोगों की या तो सब घर आ जाते हैं या शशिकांत बाहर चले जाते हैं।खूब शराब और नानवेज चलता है कुछ भी कंट्रोल में नहीं है आधी आधी रात को पार्टी चलती रहती है । फिर क्या था एक दिन सुबह-सुबह जब कमरे में नौकरानी सफाई करने गई तो शशिकांत जी बेहोश पड़े थे उसने आकर निकिता को बताया । तुरन्त डाक्टर के पास ले गए तो टेस्ट हुए और पता लगा हार्ट से ब्लाकेज है और लीवर भी खराब हो रहा है और भी तमाम तरह की परेशानियां ।एक हफ्ते भर्ती रहे अस्पताल में ।
और अब तो रिटायर हो चुके हैं । डाक्टर ने सबकुछ मना कर दिया है पीना पिलाना नानवेज खाने को ।देर रात तक जागे नहीं । सिंपल खाना पीना ।और योग प्राणायाम करें टहलने जाएं इत्यादि इत्यादि। परन्तु वो अपनी आदतें नहीं छोड़ते चोरी छिपे करते रहते हैं । क्या होगा इससे अपना शरीर ही तो खराब होगा न। लेकिन पैसों की गर्मी से ंनहीं जाती। अभी भी बड़े से बड़े अस्पताल में हम इनका इलाज करवा रहे हैं पैसों की कोई कमी थोड़ी है निकिता बोलती। अनिता बोली पैसा तो अच्छे अच्छों का दिमाग खराब कर देता है ।ये किसी एक की बात नहीं है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
13 अप्रैल