पैरों की धूल समझना – हेमलता श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

राहुल पिछले काफी टाइम से उदास और परेशान रहने लगा था मां ने एक दिन पूछा भी की क्या बात है बेटा तबीयत नहीं ठीक है? ऑफिस में कोई परेशानी है? नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं है,  राहुल हर बार मना कर देता था कि नहीं कोई परेशानी नहीं है वह कैसे किसी को कुछ भी बताता जिसको उसने अपने “पैरों की धूल” समझ कर घर से निकलने पर मजबूर कर दिया था आज वह आसमान के सितारों सी चमक रही है।

जिस दिन से राहुल ने अपनी पहली पत्नी सुरुचि के सोशल मीडिया पर उसके कामों की चर्चा उसके पुरस्कारों को देखा है उस दिन से वह अपने मन में बहुत परेशान था मैंने उसको कुछ भी नहीं समझा आज वह बहुत परेशान हो चुका था।

उस रोज बालकनी में बैठकर अपने अतीत में खो गया सुरुचि को उसकी मां पसंद करके लाई थी और पहली रात में ही उसने सुरुचि को यह बता दिया था कि मैं तुम्हें सिर्फ मां की वजह से शादी करके लाया हूं मैं तो किसी और से प्यार करता हूं और आज भी उसके साथ रिश्ते में हूं, हम दोनों के संबंध आज भी बने हुए हैं और शायद कभी भी खत्म नहीं होंगें।

 मां ने कहा इसलिए मैं तुमसे शादी करने को तैयार हो गया था शायद सुरुचि को इस बात से बहुत झटका लगा होगा पर मर्द को एक स्त्री के दर्द का कभी भी आभास नहीं हो पता है धीरे-धीरे सुरुचि घर के कामों में अपने को लगाने लगी,‌ उसने‌ सबका  दिल जीत लिया था पर राहुल की तीनों बहनों ने उसे कभी दिल से नहीं अपनाया था

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हर वक्त ताने देती थी राहुल बहुत बड़े जायदाद का मालिक था इसलिए भी उसकी बहनें सुरुचि से बहुत नफरत करती थी उन्हें लगता था कि सारे जायदाद  की मालकिन अकेली ही बन जाएगी। सुरुचि को इन सब से कुछ फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि वह खुद एक बहुत संपन्न परिवार से आई थी उसे पैसे रुपए जमीन जायदाद से कोई लेना-देना नहीं था।

 घर भी वापस नहीं जा सकती थी क्योंकि मां बीमार रहती थी और वह उनकी बीमारी और  नहीं बढ़ाना चाहती थी, वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से मां और बीमार हो जाए या मन बहुत परेशान रहने लगें।

धीरे-धीरे साल बीतने लगा राहुल को भी वह ठीक-ठाक ही लगने लगी थी, सुरुचि खूबसूरत थी सुशील थी सब कामों में माहिर थी पढ़ी-लिखी थी पर बहनों के मन में तो कुछ और ही चल रहा था

और उन्होंने जोड़-तोड़ करके उसे एक दिन घर से बाहर करने का ढाना, सुरुचि को यह बात उसकी घर में कामवाली ने बताया की बहू जी अगर हो सके तो आप यहां से चली जाइए शायद आज रात में या कल आपको यह लोग मार देंगे सुरुचि के पैरों तारे जमीन खिसक गई थी, और उसने वहीं पर रहने वाले अपने एक रिश्तेदार को फोन करके बुलवाया और उनके साथ वह घर चली आई।

 यह बात भी राहुल को उसके जाने के बहुत दिनों बाद इस कामवाली ने ही बताया था की भैया भाभी के जाने का कारण यह था तब राहुल को भी झटका लगा था क्योंकि रहते रहते उसकी आदत हो गई थी कहते हैं ना एक छोटा सा तोता भी पाल लो तो उससे मोह हो जाता है, फिर श्रुति तो जीती जागती इंसान थी।

 बात आई गई हुई नहीं बात तलाक तक हुई और तलाक हो गया।

तलाक के बाद राहुल ने अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली लेकिन शादी के बाद इसकी दूसरी पत्नी के रंग उसको अच्छे नहीं लगते थे बात-बात पर झगड़ा होने लगा राहुल परेशान सा रहने लगा था पर अब कर ही क्या सकता था और फिर वह उसे छोड़कर चली गई।

शीतल झोंका – गीतांजलि गुप्ता।

उसको रह रहकर सुरुचि की याद आया करती थी कि वह कितनी शांत थी,‌उसकी अच्छाई याद आने लगी थी।‌पर‌ “अब पछताये का होत जब चिड़िया चुग गई खेत “

एक दिन राहुल को सोशल मीडिया में स्क्रॉल करते हुए सुरुचि की फोटो देखी उसका मन तो किया कि उसको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें लेकिन दिल ने गवाही नहीं दिया पता नहीं वह क्या सोचेगी पर उसकी हर पोस्ट पर अब उसका ध्यान जाने लगा था हर दूसरे दिन उसकी पोस्ट खोल कर देखता था,‌ कभी उसको कोई अवार्ड मिल रहा है कभी उसके कामों की चर्चा हो रही है सुरुचि जो खुद तो काबिल बनी ही दूसरों को भी काबिल बनने के लिए उसने ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी।

 खुद अपने पैरों पर खड़ी हुई और बहुत सी महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करने लगी थी आज सुरुचि जिस मुकाम पर है यह देखकर राहुल को थोड़ा सुकून भी मिलता है पर मन में बहुत अफसोस भी होता है।

 उसके मन में था कि मैं एक बार सुरुचि से जाकर आमने-सामने माफी मांग लूं पर हिम्मत नहीं पड़ रही थी।

उसकी तंद्रा भंग हुई जब  मां आई और बोली बेटा शाम हो गई है चाय पियोगे? हां मां चाय पी लूंगा मां चाय लेकर आई फिर  पूछा बेटा कोई बात हो मन में तो बता दो मन हल्का हो जाएगा तब राहुल ने सुरुचि वाली बात मां को बताई और बोला मां मैं उससे एक बार माफी मांगना चाहता हूं क्या वह मुझे माफ करेगी?

मां को उसने सारी तस्वीर भी दिखाईं ,काफी टाइम से वह जो पेपर में भी खबर निकलती थी उसकी कटिंग भी रख रहा था भूल ही नहीं पा रहा था कि मैं कितना दर्द दिया उसे। मां बोली अगर उसके घर का पता हो तो हम दोनों साथ में चलेंगे और अपने कर्मों की माफी मांग लेंगे शायद भगवान हम पर कुछ दया कर दे मां पता मालूम है

मुझे तो ठीक है कल चलते हैं राहुल और उसकी मां सुरुचि के घर पहुंचे दरवाजा सुरुचि ने ही खोला था उसको देखकर सुरुचि की आंखों में एक क्रोध सा आया था जो राहुल साफ-साफ देख पा रहा था उसने बोला आप लोग अंदर आ जायें बाहर तमाशा नहीं करना चाहती हूं मैं, और उन्हें अंदर बिठाया राहुल उसे बोला सुरुचि मुझे माफ कर दो मैं बहुत ग्लानि से जी रहा हूं  मुझे बहुत अफसोस है कि मैं तुम्हें अपने “पैरों की धूल समझता‌‌ था” नहीं मालूम था

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कि तुम्हारे अंदर इतने सारे गुण छुपे हुए हैं मां भी बोली कि बेटा मुझे माफ कर दो तुमको घर से निकलने के बाद हमारी जो दुर्गति हुई है वह शायद भगवान ने हमसे बदला लिया है। सुरुचि बोली “मुझसे माफी मत मांगिए  मैंने कब का ही आप लोग को माफ कर दिया शायद आप लोग इस तरह हमें घर से तिरस्कार करके ना निकालते तो मैं आज यहां नहीं होती आज मैं जहां हूं मैं बहुत खुश हूं।

आप लोग बहुत दूर से आए हैं कुछ खा करके ही जाइयेगा। 

मेरे दिल में आप लोगों के लिए कुछ भी नहीं बचा है राहुल उठकर चला गया राहुल जाते-जाते बोला कि मैं तुमसे सिर्फ माफी मांगने आया था सुरुचि मुझे तुमसे और कुछ नहीं चाहिए मैं अपने जीवन में बहुत कुछ देख चुका हूं. यह शायद मेरी गलतियों का नतीजा है जो आज हम और मां और बेटे दोनों ही परेशान सी जिंदगी जी रहे हैं मां भी बीमार रहने लगी है उनकी देखरेख करने वाला भी कोई नहीं रह गया है।

 क्यों? आपने तो शादी कर ली थी सुरुचि बोली”

” हां कर तो ली थी वह भी अपनी पसंद की लड़की से की थी पर वह मुझे छोड़ कर चली गई पता नहीं उसे क्या ही चाहिए था सब कुछ तो था पर शायद वह संतुष्ट नहीं थी, खैर! कोई नहीं मैं तुमसे माफी मांगने आया था राहुल के मन से आज बहुत बड़ा बोझ उतर गया था।

हेमलता श्रीवास्तव 

#पैरों की धूल समझना

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