Moral stories in hindi : ठिठुरती सर्दी में जहां रज़ाई से निकलने का मन नहीं करता । वहाँ माँ ही है जो सब सह कर बिना उफ़ किए सबके लिए जीती है । नील और तारा को स्कूल के लिए देरी ना हो जाए इस लिए जया रोज़ जल्दी उठ कर दोनों के लिए खाना बनाती और बस स्टॉप पर खड़े हो बच्चों के साथ बाते कर उन्हें प्यार और एहसास की डोर से बांधे रखती । उन्हें छोड़ घर आकर अपने दिनचर्या के कामों में लग अपना जीवन व्यतीत करती है । बस इतनी सी दुनिया थी जया की , जिसे पाकर वो बहुत खुश थी ।
एकदिन जब जया बच्चों को पढ़ा रही थी तो नील ने पूछा -“मम्मी आप कुछ काम क्यों नही करती है “।
ये सुन जया नील की तरफ देखते हुए बोली तुमसे किसने कहा कि मैं काम नहीं करती ??
अगर आप काम करती तो ऑफिस जाती लेकिन आप तो घर पर ही रहती है ।
लेकिन बेटा घर का काम भी तो एक काम है । जरूरी नहीं कि जो नारी बाहर जाकर काम करती है सिर्फ वही काम है । घर में रह कर घर को सम्भालना सबकी जरूरतों का ध्यान रखना भी बहुत बड़ा काम है ।
पर मम्मी मैं चाहता हूँ कि आप भी ऑफिस जाए अपनी एक पहचान बनाए ।
नील की बात सुन जया सोच में पड़ गई ! क्या अपनी पहचान बनाना जरूरी है ??
कुछ दिन बीत जाने के बाद तारा जो सिर्फ़ पाँच वर्ष की थी रोते रोते स्कूल से घर वापस आयी । उसे देख जया घबरा गई ।क्या हुआ तारा तुम रो क्यों रही हो ?? बहुत पूछने के बाद उसने बोला की मम्मी आज हमारे स्कूल में कोई गेस्ट आए थे । जो बच्चों से पूछ रहे थे कि तुम्हारी मम्मी क्या काम करती है ? सब ने कुछ ना कुछ बताया लेकिन जब मेरी बारी आई तो मैं चुप हो गयी । आप ऑफ़िस तो जाती ही नही है , तो मैं क्या बोलती मैंने भी बोल दिया कि मेरी मम्मी घर की देखभाल करती है । ये सुन सब बच्चे मुझ पर हंसने लगे । उसकी ये बातें सुन जया को उसकी मासूमियत पर हंसी भी आयी और बुरा भी लगा । क्या मैं अपने बच्चों के लिए कुछ नही कर सकती जिससे वो मुझ पर मान करे । यही सोचते हुए जया ने अपना कविता लेखन का काम शुरू किया ।जो किसी कारणवश छूट गया था । जब भी मन करता या समय होता तो भावनाओं को शब्दों में पिरो कविताएँ लिख देती । हर बार लेखन करने पर कुछ नया सीखने को मिलता । ना जाने कब एक एक कर कविताएं माला के रूप में बंध गई ।
धीरें-धीरें वक्त , बदला बच्चे भी बड़े हो गए । उन्होंने उसके बाद जया से वो सवाल कभी नही पूछा कि आप क्या काम करती है । लेकिन उनका वो सवाल आज भी शायद जया के ज़हन में क़ैद था । जो उसे बेचैन कर कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करता था । सब अपने अपने जीवन की आपा धापी में व्यस्त हो गए । इसी बीच जया को ऑनलाइन कविताओं का मंच मिला और वो उससे जुड़ गयी । इस मंच से जुड़ वो लोगों से ही नहीं बल्कि खुद से भी रूबरू हुई । आज वो एक लेखिका के रूप में जानी जाती है । दिवाली की रात थी सब जगह जग मग रोशनी ख़ुशियों का माहौल था । रात को जब तारा दिवाली मना घर आयी तो उसके चेहरे पर एक ख़ुशी थी ।
जया ने उससे पूछा क्या हुआ ??
मम्मी आज मैं अपनी सहेली की मम्मी से मिली थी । वो मुझसे पूछ रही थी कि तुम्हारे मम्मी-पापा क्या करते है ??
तो फिर तुमने क्या बताया ??
पापा का तो मैंने बता दिया की वो एक सॉफ़्टवेयर कंपनी में काम करते है ।पर जब उन्होंने मुझसे आपके बारे में पूछा तो मैंने फट से खुश होकर जवाब दिया कि मेरी मम्मी एक राइटर है । उन्हें ये सुन अच्छा लगा और आपके मंच के बारे में पूछने लगी । ये कहते कहते तारा जया के गले लग गयी और बोली मुझे माफ कर दो मम्मी ! क्या सब बच्चे बचपन में ऐसे ही बेतुके सवाल करते है या हम ही अनोखे थे । आप सच में महान है जो आपने हमारी नादानी भरी बातो को दिल से ना लगा कर , घर की , हम सब की जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई । जो सच में तारीफ के काबिल है । तभी तारा ने जया को दिवाली का उपहार दिया और जया ने जब उस उपहार को खोला तो वो दंग रह गई । अपनी कविताओं को एक पुस्तक के रूप में देख जया के आंसू बह चले । मम्मी मुझे आप पर गर्व है । बस यूँही लिखते रहना और अपना प्यार बनाए रखना ।
#गर्व
स्नेह ज्योति