Moral stories in hindi : सुरेश की हंसी ने आज मेरे दिल को तार-तार कर दिया था. पर अब मैंने सोच लिया था, जीवन ने मुझे अपने मनचाहे जीवनसाथी के साथ जीने का मौक़ा तो नहीं दिया, लेकिन अपने सम्मान और अपने अस्तित्व को बनाए रखने का अवसर मैं किसी हाल में हाथ से नहीं जाने दूंगी. जाने क्यों दिल न चाहते हुए भी तुम्हारे ही ख़्यालों से सराबोर है… आज पीछे मुड़कर देखती हूं, तो सब कुछ पाकर भी सब कुछ हार चुकी हूं मैं…
कहने को तो ज़िंदगी को सुखी बनानेवाले तमाम साधन हैं मेरे पास, लेकिन ज़िंदगी को ख़ुशी देनेवाले वो पल नहीं हैं, क्योंकि तुम जो नहीं हो मेरे पास… सुख स़िर्फ भौतिक साधनों में नहीं होता, सुख होता है अपनेपन में, एक-दूसरे की फ़िक्र करने में, एक-दूसरे के साथ घंटों बिन बोले यूं ही बैठे रहने में… उस रात भी तुमने मुझे यह समझाने की बहुत कोशिश की थी, जब तुमसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ने आई थी मैं. “…
कल्पना, तुम शायद अभी मेरी परिस्थितियों को नहीं समझ रही हो, लेकिन एक दिन आएगा, जब तुम्हें यह एहसास होगा कि तुमने क्या खोया है. माना आज मेरे पास तुम्हें देने के लिए अपने प्यार और सम्मान के सिवा कुछ भी नहीं है, लेकिन मैं इसी कोशिश में जुटा हूं कि जल्द ही वो सब कुछ हासिल कर लूं,
जो तुम चाहती हो. बस, थोड़ा इंतज़ार कर लो.” “अमित, तुम जानते हो कि मेरे बॉस मुझसे बेहद प्रभावित हैं और मुझसे शादी करने के इच्छुक भी हैं. तुम बताओ उन्हें मना करने का क्या आधार है मेरे पास? मेरे घरवाले भी इस रिश्ते से ख़ुश हैं, वो अब मुझे और समय नहीं देंगे.” “कल्पना, प्लीज़ जल्दी से तैयार हो जाओ, आज मिस्टर वर्मा के यहां पार्टी में जाना है.” सुरेश की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हुई और मैंने यादों के कारवां को वहीं रोक दिया.
बेमन से मैं तैयार होने लगी, तो सुरेश ने फिर टोका, “तुम्हारा मुंह क्यों लटका हुआ है. प्लीज़, ये मेलो ड्रामा शुरू मत करो. फेस पर स्माइल होनी चाहिए.” “सुरेश, मुझे कल रात से बुख़ार है. मन नहीं है कहीं भी जाने का.” “तुम मिडल क्लास लोगों की यही तो आदत होती है. हाई क्लास सोसायटी में रहने के सपने तो देखते हो, लेकिन यहां के मैनर्स-एटीकेट्स ज़रा भी नहीं आते.” ग़ुस्से में कहकर सुरेश पार्टी के लिए अकेले ही निकल गए. मैं फिर चुपचाप बालकनी में आकर बैठ गई.
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पहचान तो थी…( भाग 2) : Moral stories in hindi
गौरी भारद्वाज