जाहिल आदमी – गीता वाधवानी :

 Moral Stories in Hindi  घर वाले तनीषा की बात सुनकर बहुत नाराज थे। वह एक लड़के को पसंद करती थी और उसी से शादी करने की जिद पर अड़ी हुई थी। तनीषा के घर वाले बनिया जाति के थे और लड़का पंजाबी था। वह तनीषा को समझा रहे थे कि रीति रिवाज और खानपान अलग … Read more

मैं जाहिल नहीं – ज्योति आहूजा :

 Moral Stories in Hindi अमित की शादी हो गई थी। लड़की एक सादगी भरी, घरेलू पृष्ठभूमि से आई थी। ज़्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी, न ही कोई नौकरी करती थी, और न ही कोई बड़े सपने लेकर इस शहर में उतरी थी। वो बस एक नई शुरुआत के भाव से, एक जीवनसाथी की उम्मीद में आई … Read more

एक खट्ठी-मीठी गुंजाइश – डॉ० मनीषा भारद्वाज :

 Moral Stories in Hindi सोफे पर अधलेटा अंशु स्मार्टफोन की स्क्रीन पर अंगुलियाँ चलाता हुआ, एक गहरी सुख-साँस ले रहा था। सप्ताहांत की वह सुनहरी दोपहर थी जब समय शहद की तरह गाढ़ा और मीठा बहता है। तभी मनू, हाथों में धूल झाड़ने का कपड़ा लिए, ड्राइंग रूम में प्रविष्ट हुई। उसकी नज़र अंशु के … Read more

किराएदार -प्रतिमा श्रीवास्तव :

 Moral Stories in Hindi रिटायरमेंट के बाद अशोक जी और सुनिता जी एक छोटे से टाऊन में आकर रहने लगे थे। वक्त के साथ-साथ बच्चे अपने परिवार में व्यस्त और मां – बाप अपनी जिंदगी जीने की जद्दोजहद में लगे थे। शाम के सात बज रहे थे की डोर बेल बजी।डोर बेल भी कभी कभार … Read more

मेरे बेटे का घर है – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“जितना बोला जाए उतना ही किया करो सुगंधा बहू। किसने तुम्हें हक दिया मनमानी करने का। मेरे बेटे का घर है ये मायके से नहीं लाई हो तुम। मेरे बेटे को फंसाया है तुमने प्रेम जाल में और मकसद में कामयाब भी हो गई इस घर की बहू बनने में।भला कहां औकात थी तुम्हारे घर … Read more

जाहिल -मधु वशिष्ठ, : Moral Stories in Hindi

जाहिल, मूर्ख,  गंवार, बेवकूफ, ऐसा कोई भी संबोधन आप उसके लिए इस्तेमाल कर सकते हैं ‌। इन संबोधनों में उसका नाम पाखी कहां खो गया, उसे खुद भी नहीं पता। वह अकेली भी नहीं थी स्कूल जाती तो उसके रास्ते में आने वाले सारे कुत्ते उसके पीछे चल रहे होते और पक्षी उसके आगे। घर … Read more

रेशम की डोर – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

       मम्मी जी ….आज मेरे साथ आप चलेंगी बाजार ….? मुझे राखी लेना है….हम लोग दो चार दुकान घूम-घूम के  पसंद कर के लेंगे… इनके साथ जाने से तो बस जल्दी करो , जल्दी करो ही रट लगाए रहते हैं अनन्या ने अपनी सासू मां किरण जी से कहा…। हां बहू …दोपहर में चलेंगे , उस … Read more

 “ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

“माँ, इस बार जब छुट्टी पर आया हूँ, तो सोच रहा हूँ कि रिया की शादी की बात आगे बढ़ाई जाए।” रितेश ने खाने की मेज़ पर बैठते हुए कहा। माँ ने रसोई से मुस्कुराकर जवाब दिया, “बहुत अच्छा सोच रहे हो बेटा, तेरे पापा की जगह तूने हमेशा निभाई है। रिया के लिए अच्छा … Read more

जाहिल – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 आज मैं थोड़ी जल्दी उठ गई थी क्योंकि सुबह-सुबह की सैर बड़ी अच्छी होती है इसीलिए मेरे कदम खुद ब खुद सैर के लिए निकल पड़े ! गली के नुक्कड़ पर पहुंचते ही मैंने देखा ! कचरे के ढेर में से एक बच्चा रोटी का एक टुकडा जो कि बाकी  जूठन से पूरी तरह लिपटा … Read more

 प्रश्न चिन्ह – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

    रघुवा ने अत्यंत चिंतित मन से धीरे-धीरे चलते हुए स्कूल के प्रांगण से बरामदे में प्रवेश किया। इससे पहले वह केवल एक बार अपने पुत्र को  दाखिल करवाने ही तो स्कूल के अंदर आया था।  कितनी रौनक थी उस दिन यहां ! साफ-सुथरा स्कूल देखकर उसका अपना मन भी कितना खुश हो गया था कि … Read more

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