लालच के अंधे – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi
हमेशा की तरह शाम के ठीक चार बजे मोहल्ले के ‘शांति पार्क’ में श्रीधर बाबू और श्यामलाल जी मिले।श्यामलाल जी का उदास चेहरा देखकर श्रीधर बाबू पूछने लगे,” क्या हुआ भाई..चेहरा क्यों उतरा हुआ है..भाभी जी से कुछ कहा-सुनी..।” ” नहीं भाई..इस उमर अब वो क्या कहेंगी..।बेटे ने ही कल…।” कहकर वो चुप हो गए। … Read more