लालच के अंधे – विभा गुप्ता :  Moral Stories in Hindi

        हमेशा की तरह शाम के ठीक चार बजे मोहल्ले के ‘शांति पार्क’ में श्रीधर बाबू और श्यामलाल जी मिले।श्यामलाल जी का उदास चेहरा देखकर श्रीधर बाबू पूछने लगे,” क्या हुआ भाई..चेहरा क्यों उतरा हुआ है..भाभी जी से कुछ कहा-सुनी..।”     ” नहीं भाई..इस उमर अब वो क्या कहेंगी..।बेटे ने ही कल…।” कहकर वो चुप हो गए। … Read more

राखी का रिश्ता – रेनू अग्रवाल :  Moral Stories in Hindi

आज राखी का त्यौहार है। सब जगह भाई-बहन के गाने ही बज रहे थे — “फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हज़ारों में मेरी बहना है, सारी उमर हमें संग रहना है।” रीता यह गाना गुनगुनाते हुए अपनी ननद का इंतजार कर रही थी, जो थोड़ी देर में ही पहुंचने वाली थी। वह … Read more

परफेक्शन – संध्या त्रिपाठी

 मिताली….. तू आधे घंटे में बहू को लेकर मेरे घर आ सकती है क्या…..?? सूची ने फोन करते ही मिताली से पूछा ….!      पर बात क्या है…?? सब ठीक तो है ना…. मिताली ने भी प्रश्न के ऊपर प्रश्न ही कर डाला…. ! हां यार , सब ठीक है… वो अचानक प्रोग्राम बन गया कि… … Read more

कठोर कदम – प्रतिमा श्रीवास्तव

सुबोध ने आज कठोर कदम उठाए थे अपनी मां के खिलाफ। ऐसा जो की करने से पहले एक बेटे को बार-बार सोचना पड़ता है। उसने घर छोड़ने का फैसला ले लिया था क्योंकि उसकी मां सरला जी का व्यवहार अपनी बहूओं के प्रति बहुत ही खराब था। सुबोध ने बहुत बार अनदेखा कर दिया था … Read more

कठोर कदम – मधु वशिष्ठ

अगर तुम चाहते हो तुम्हारा तलाक तो हो ही जाएगा परंतु उसके बाद में तुम लोगों के लिए केवल एक भटकाव का ही रास्ता बचेगा। हमारे पूरे खानदान में कभी ऐसा नहीं हुआ बाबूजी जोरों से चिल्ला रहे थे। गुस्साते हुए उन्होंने अम्मा को मान्यता को कमरे में ले जाने के लिए बोला।    आइए आपको … Read more

कठोर कदम – रितिका सोनाली

घर से कोई आता नहीं है शुभी के यहाँ. अमेरिका में रहती है, कौन जाये, माँ-बाप ही आजतक नहीं गए. न शुभी के और न ही अजय के. दोनों पति पत्नी ने अपनी दोनों बेटियों के साथ मिलकर अपनी दुनिया बनाई थी जहां बस उनकी अपनी मर्ज़ी चलती थी. अजय की कोई इच्छा भी नहीं … Read more

कठोर कदम – अर्चना झा

 लगभग आठ साल की लता खाने की थाली को गौर से देखी हुई बोली अरे मां इसमें दही कहां है ,मां ने कहा बेटा आज मौसम ठंडा है ना ,इसलिए शायद दही नहीं जमी, तुम अभी खा लो शाम को फिर से दही खा लेना, लता पाव पटकते हुए दालान की तरफ चली गई जहां … Read more

एक कठोर कदम – गीता वाधवानी

 यहां सुमित्रा जी का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। वह पूरी तरह कोशिश कर रही थी कि मन लग जाए पर नई जगह पर मन लगने में कुछ समय तो लगता ही है, वह पुरानी यादों से जितना दूर होने की कोशिश करती थी,उतना ही उनमें उलझती जाती थीं।          पलंग पर लेटे हुए आज … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

मानसी मैं तो परेशान हो गया हूं । जब देखो तुम्हारे पापा आए दिन बीमारी का या अकेलेपन का रोना रोते रहते है और तुम भी उनका ख्याल रखने या फिर उनका अकेलेपन बांटने के लिए चली जाती हो। जबकि तुम्हें पता होना चाहिए, एक बेटी का शादी के बाद उसका ससुराल ही सब कुछ … Read more

कठोर कदम – निभा राजीव”निर्वी” :

Moral Stories in Hindi ज्योति सब को चाय देकर शीघ्रता से हाथ चलाते हुए सुबह के नाश्ते के प्रबंध में लगी हुई थी। दोनों बच्चे 4 साल का विपिन और 6 महीने का नितिन। दोनों अभी सो ही रहे थे तो उसने सोचा शीघ्रता से काम निपटा ले। तभी अजीत की आवाज आई, “-ज्योति एक … Read more

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