चार दीवारी का सच  – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

शहर की गलियों में सिमटा ‘बसंत निवास’ का कमरा नंबर 4 नाममात्र का घर था। दस बाय दस का वह कमरा, जहाँ रामकिशोर, उनकी पत्नी सुशीला, बेटा अमित (16वर्ष) और बेटी छवि ( 12 वर्ष) साँस लेते थे। बाहर से दिखता तंग, टूटा-फूटा… पर अंदर? एक अजीब गर्माहट थी, जैसे प्यार से बुना हुआ कम्बल।   … Read more

सही फैसला – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सीता और गीता दो सगी बहनें थीं। उनके कोई भाई नहीं था, लेकिन बहनों में ऐसा प्रेम था कि पूरा मोहल्ला उनकी मिसाल देता था। तीन साल का अंतर था उम्र में, पर मन से दोनों एक-दूसरे की परछाई थीं। बचपन से लेकर बड़ी होने तक कभी झगड़ा नहीं हुआ। जब गीता की शादी हुई, … Read more

बदलाव – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

शाम ढल चुकी है। गांव के क्षितिज पर सूरज की आख़िरी किरणें जैसे अपनी पूरी ताक़त से अनामिका के भीतर उजाला भर रही हैं। वह चौदह बरस की एक दुबली-पतली पर गहरी आँखों वाली लड़की है। माथे पर बालों की लटें अक्सर उसकी दृष्टि को ढकती, लेकिन उसके सपनों की राह पर कोई परछाईं नहीं … Read more

सच्चा घर – प्रतिमा पाठक : Moral Stories in Hindi

गाँव के एक कोने में एक पुराना, टूटा-फूटा मकान खड़ा था, जिसकी दीवारें झड़ रही थीं और छत से पानी टपकता था। लोग उसे बुढ़िया का घर कहकर बुलाते थे। उस घर में रहने वाली बुजुर्ग महिला, सावित्री देवी, अकेली थीं। उनका बेटा और बहू शहर जाकर बस चुके थे, और अब साल में कभी-कभी … Read more

  कठोर कदम – अमित रत्ता :

Moral Stories in Hindi राजेश एक मध्यमवर्गीय परिवार का सरल, ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था। एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करता था। उसके इकलौता बेटा था आदित्य। बहुत ही जिसे बहुत ही लाड़ प्यार से पाला था। एक पल भी आंखों से ओझल हो जाए तो माँ बाप की जान निकलने को हो … Read more

तोहफा – डॉ० मनीषा भारद्वाज :

धूप की सुनहरी किरणें श्रीवास्तव जी के छोटे से ड्राइंग रूम में चाय की प्यालियों पर पड़ रही थीं। हवा में गुलाब जल और ताज़ा कटे हुए केक की मिठास मिली हुई थी। आज प्रिया का इक्कीसवाँ जन्मदिन था। उसकी माँ, सुधा जी, परदे को बार-बार समेटतीं, बाहर झाँकतीं। “अरे वाह! फूफी जी आ गईं! … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है -करुणा मालिक :

Moral Stories in Hindi सुरभि की दादी ! इस साल झूला नहीं डलवाया क्या ? हाय क्यूँ ना डलवाती भला ? तुमने ध्यान ना दिया ….रोज़ तो मोहल्ले के बच्चे शाम को झूलने आते हैं, मेला सा लग जाता है । हाँ…. हर साल सावन शुरू होने से दो-चार दिन पहले डलवा देती थी…. अबकि … Read more

जुग जुग जियो बेटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अब ये पुरानी आराम कुर्सी भी लेकर जाएंगे क्या आप!! यहीं पड़े रहने दीजिए इसे। इसका एक हत्था भी अलग हो गया है ।इसकी लकड़ी भी बैठते समय चुभने लगी है। नए मकान में नया फर्नीचर रहेगा इस कबाड़ का क्या काम वहां सुजाता जी अपनी पुरानी साड़ियों का गट्ठर बांधते हुए पति कैलाश जी … Read more

दोस्ती – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सीता और गीता बचपन की सख़्त जोड़ी थीं। एक ही गली में पली-बढ़ीं, एक ही स्कूल में पढ़ीं और फिर किस्मत ने दोनों की शादी भी एक ही शहर में कर दी। समय के साथ उनकी दोस्ती और भी गहरी होती चली गई। लोग उन्हें “राम-लखन” की तरह याद रखते, लेकिन महिला रूप में। सीता … Read more

आंसू पीकर रह जाना – खुशी : Moral Stories in Hindi

नलिनी एक अध्यापिका थीं उसके दो बच्चे थे।अदिति और आदित्य ।उसके पति निरजन गुस्सैल स्वभाव के थे।उन्हें हर चीज जगह पर बच्चों की हर बात पूरी होनी चाहिए।यदि नलिनी किसी काम में लगी हो और वो बच्चों की आवाज पर हाजिर ना हो तो उसकी रिमांड लग जाती।बाहर निरंजन दिखाता की मैं अपनी पत्नी को … Read more

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