“एक हिसाब ऐसा भी माँ के आंसुओं का” – सुनीता मौर्या “सुप्रिया”
आज शहर में एक घर दुल्हन की तरह सजा था…घर क्या कोठी कहिए। कोठी की हर दीवार दरवाजे खिड़की सब जगह फूल और लाईटें लगी थी। घर का कोना कोना रोशन था। तभी गेटके सामने एक लम्बी सी कार आकर रुकी। गाड़ी से एक ख़ूबसूरत हैंडसम नौजवान बाहर आया , ये आयुष एक बडी कंपनी … Read more