राज – खुशी : Moral Stories in Hindi

नीला एक गृहिणी थीं उसके पति राघव की अच्छी नौकरी थी घर में हर सुख सुविधा थी।दो प्यारे प्यारे बच्चे थे।सब कुछ अच्छा था तभी उनके पड़ोस में एक परिवार शिफ्ट हुआ।परिवार में पति पत्नी मीरा और नमन थे और एक बेटी कियारा और नमन की माता जी सुनीता जी। राघव ज्यादातर टूर पर होते … Read more

विश्वास – खुशी : Moral Stories in Hindi

रोहित एक गरीब घर का लड़का था किसी तरह बारहवीं पास की और घर की जिम्मेदारी की वजह से उसने एक दुकान पर काम पकड़ लिया उसके पिताजी रतन सिक्योरिटी गार्ड थे।  उनकी आंखों में मोतियाबिंद हो गया था इसलिए अब वो काम पर नहीं जाते थे।मां रूपा भी घर संभालती।दो कमरों का छोटा सा … Read more

केक – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

बचपन से ही खाने-पीने के अति शौकीन दादा जी अपनी वृद्धावस्था में यद्यपि अब डायबिटीज और बीपी के शिकार हो चुके थे, किंतु आजकल अपनी बहू द्वारा समय-समय पर उनके मीठे, अति तीखे और चटपटे खाद्य पदार्थों पर लगाई जाने वाली रोक-टोक उन्हें सहन नहीं हो रही थी। वे दादी से भी अक्सर ही इस … Read more

“वक़्त से डरो” – सुबोध प्राण : Moral Stories in Hindi

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव ‘माधोपुर’ की सुबह कुछ अलग होती है — खेतों में ओस की बूँदें, मंदिर से आती घंटियों की आवाज़ और एक बूढ़ी औरत की खाँसी। वो औरत है रामदुलारी, जो हर सुबह अकेले ही आँगन में झाड़ू लगाती है, फिर चूल्हे पर चाय बनाती है और भगवान के … Read more

समय का फेर‌ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  ‘हैलो ! नमस्ते आंटी जी ! कैसी हैं आप ?  ‘हम सब तो ठीक हैं बेटा ! आप अपनी सुनाओ ! काम ठीक चल रहा है न आपका ? कुछ और ग्राहक बढ़े या नहीं ?’    ‘हां जी आंटी ! काम तो बढ़ा, लेकिन…खैर छोड़िए ! आपका सफर कैसा रहा ? यहां तो खूब बारिशें … Read more

“एक पन्ना, कई राज़”- ज्योति आहूजा

रविवार की सुबह थी। धूप अलमारी के काँच पर सरकती हुई जैसे बीते वक़्त को सहला रही थी। काव्या अपने पुराने सूट-कपड़े जमाने में लगी थी, और पास ही बैठी अन्वी कुछ सोच रही थी — वो अब 12वीं पास करके प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। लेकिन किताबों के बीच उसकी दुनिया बस … Read more

कर्ज – विमलभारतीय ‘शुक्ल’

कामिनी पूरे घर में निर्देश देती घूम रही थी, जैसे कोई आयोजन हो। पर यह आयोजन नहीं, विदाई की तैयारी थी—उस व्यक्ति की, जिसने कभी इस घर को अपने कंधों पर खड़ा किया था। “पिता जी से कह दो, अंदर वाले कमरे में चले जाएँ, कुछ लोग मिलने आने वाले हैं।”कामिनी ने नौकर को आदेश … Read more

आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे ।

उत्तर प्रदेश के गांव में रामचरण जी अपने परिवार के साथ रहते थे । उनके खेतों में काम अच्छा चलता था । बहुत अच्छी खेती थी । मानों जमीन खेत खलियान सोना चांदी उगल रही हो । उनके खेतों का अनाज घर के अलावा बाजारों में बिकता था । घर में किसी तरह की कमी … Read more

पच्चीस साल बाद कैसी उम्मीद ……

आज स्कूल में सजावट देख गिरधारी लाल जी के कदम चलते – चलते रुक गये। तब उन्हें लगा कि कोई त्योहार भी नहीं है, पता नहीं ना जाने काहे फूलों से गेट सज रहा है, तब वहाँ के चौकीदार से उत्सुकता वश पूछा -क्यों भैया ना पंद्रह अगस्त है, ना ही छब्बीस जनवरी आ रही … Read more

“एक हिसाब ऐसा भी माँ के आंसुओं का” –    सुनीता मौर्या “सुप्रिया”

आज शहर में एक घर दुल्हन की तरह सजा था…घर क्या कोठी कहिए। कोठी की हर दीवार दरवाजे खिड़की सब जगह फूल और लाईटें  लगी थी। घर का कोना कोना रोशन था। तभी गेटके सामने एक लम्बी सी कार आकर रुकी। गाड़ी से एक ख़ूबसूरत हैंडसम नौजवान बाहर आया , ये आयुष एक बडी कंपनी … Read more

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