वक्त से डरो – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

हिमाँशु ….. पवन का दोस्त है… दोनों साथ-साथ पढ़ते थे । पढ़ाई खत्म होते ही हिमांशु को बैंक में नौकरी मिल गई थी । उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे …. उसकी एक छोटी बहन सुमन है …जो डिग्री कॉलेज में पढ़ रही थी …… वे दोनों मामा के घर में रहते थे … Read more

बेटे की मां हूं, दहेज तो लूंगी – अर्चना खण्डेलवाल 

मुझे लड़की तो पसंद है, लेकिन लड़की वाले कितना दहेज देंगे, और सोने के जेवर में क्या चढ़ायेंगे? एक ही बेटा है मेरा, जब तक मनचाहा दहेज नहीं मिलेगा, मैं यश की शादी नहीं करूंगी, अहंकार से वनिता जी ने फोन पर कहा तो उधर से किरण दीदी ने फोन रख दिया। अरे!! किसका फोन … Read more

अपनी बेटी का दुख -गीतू महाजन : Moral Stories in Hindi  

रसोई घर में झूठे बर्तनों के ढेर के आगे शुभांगी को आज मां की बहुत याद आ रही थी।आज अगर उसकी मां होती तो क्या उसकी तबीयत खराब होने पर भी उससे घर के काम करवाती।सास और मां में फर्क तो होता है ना..अगर सास भी मां बन जाए तो मां को कौन याद करे..यही … Read more

वक्त से डरो – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

हिमाँशु ….. पवन का दोस्त है… दोनों साथ-साथ पढ़ते थे । पढ़ाई खत्म होते ही हिमांशु को बैंक में नौकरी मिल गई थी । उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे …. उसकी एक छोटी बहन सुमन है …जो डिग्री कॉलेज में पढ़ रही थी …… वे दोनों मामा के घर में रहते थे … Read more

आती रहना – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi 

“…बाप रे, इतना घमंड भी अच्छा नहीं छोटी…!” ” इसमें घमंड कैसा दीदी… मैं तो बस अपने मन की बात कह रही थी… तुम्हारे है ही कौन… बेटियां तो ब्याह कर अपने घर जाएंगी… तुम्हारा जो कुछ है, कल को सुरेश और अनूप का ही होगा ना… अब दोनों बहने ब्याह के बाद यहां क्या … Read more

सुखदायक झूठ  -गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 अनु रोज दोपहर में 2:15 पर बस स्टॉप पर पहुंच जाती थी। स्कूल बस वही पर उसकी बेटी वेदिका को ड्रॉप करती थी। अप्रैल का महीना चल रहा था और इतनी गर्मी। वेदिका भी पसीने से तरबतर होती थी इतनी चिलचिलाती धूप में अनु ब्लॉक में घर के पास बने छोटे बगीचे में बेंच पर … Read more

“विश्वास टूटते देर नहीं लगती” – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

गर्मी की दोपहर थी, पर सरिता जीका मन कुछ और ही तप रहा था। वह आँगन के कोने में बैठी नीम के नीचे रखी कुरसी पर अधलेटी सी थी। पंखा चल रहा था, लेकिन उसके भीतर जो उफान था, वह किसी हवा से नहीं थमता। उसके सामने टेबल पर वही पुराना खत रखा था जो … Read more

वक्त से डरो – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

लोग कहते हैं कि उस मादा सूयर का श्राप उसके पूरे परिवार को निगल गया था उसके पापों की जो सजा उसे मिली वो कुदरत का न्याय तो था मगर उन निर्दोषों को भी सजा मिली जिन्होंने कोई पाप किया नही था मगर उसके पापों ने उन्हें भी अपना नीबाला बना लिया था। लंबा छोड़ा … Read more

 वक्त का फैर – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

विश्वनाथ के घर आज बड़ी खुशियां मनाई जा रही थीं विश्वनाथ की पत्नी शेफाली बहुत खुश थी आखिर खुश भी क्यों ना हो—- उसके पति का मैनेजर की पोस्ट पर प्रमोशन हो गया था।  उनके दोनों बच्चे मीनल और मिहिर बहुत खुश थे अपने स्कूल के दोस्तों को भी पार्टी में बुलाया था विश्वनाथ के … Read more

आज मेरी तो कल तेरी बारी – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    आज मजदूरों की पगार का दिन था। लगभग साल भर हो गया, शहर में इस होटल को बनते । अनगिनत मजदूर , मिस्तरी, बिजली वाले , पंलबर मतलब कि हर तरह के लोग यहां काम कर रहे है। माना कि इतनी सुंदर, गगन चुंबी, आलीशान अट्टालिकाएं बड़े बड़े ईजिनिंयर , आर्कीटेक्ट, सलाहाकार और न जाने … Read more

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