अंतिमदर्शन.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”
चारों ओर विषैली गंध फैली थी..भीड़ मुँह ढके सारा मंजर चुप चाप देख और सुन रही थी..परंतु कह कोई कुछ नहीं रहा था..बस एक दूसरे को शांत नज़रों से देखे जा रहा था… नगर पालिका की मुर्दा गाड़ी वर्मा जी के दरवाजे पे आकर लगी थी.. किसी ने वर्मा जी की पत्नी के मरने की … Read more