“बदलता स्वभाव – सीमा वर्मा”

पूरे पाँच भाई-बहनों एवं बाबा-दादी से भरा-पुरा संयुक्त परिवार था हमारा। पिताजी मुख्य सचिवालय में कलास टू एम्प्लाइ थे। मैंने जब से होश संभाला। हमेशा ही अपने पिता को यह कहते सुना , “जिसकी जैसी किस्मत उसके अनुरूप ही उसका स्वभाव भी ढ़ल जाता है”। जब कि मेरा मानना था, “स्वभाव व्यक्ति में निर्मित एक … Read more

भाग्य बड़ा या पुरुषार्थ …-सीमा वर्मा

बड़का गांव के ठाकुरों की बड़ी बहू  राजलक्ष्मी यद्यपि  निसन्तान  है  , फिर भी पूरे गांव में घूंघट में घिरी नहीं रहती है वरन् पुरुषार्थ से भरी हुयी पूरी हवेली की मजबूत आधार स्तम्भ है  । वह बेबाक और बेखौफ है ,  किसी की निजी जिन्दगी में ताक –  झांक  से उसे सख्त परहेज है  … Read more

अनोखा उपहार -सीमा वर्मा

रोज सुबह नियमानुसार सूर्य उदय होता  है और शाम में अस्त हो जाता है । इसी तरह निभा भी अपनी परिस्थितियों से समझौता कर जीवन में आगे बढ़ चुकी है । चार कमरे वाले अपने बड़े से घर में पलंग पर लेटी हुई वह अतीत में विचरण रही है… आज की तरह ही उस दिन … Read more

अनचाहा रिश्ता भाग 4 (अंतिम) – गरिमा जैन

अशोक पुरानी यादों में डूबता जा रहा था तभी अचानक उसके मोबाइल की घंटी बजी जिससे उसकी यह याद टूट गई । उसके पापा का फोन था। उससे फोन उठाकर कहा बस” मैं निकल रहा हूं” , लेकिन अशोक के पापा काफी गुस्से में थे। वह बोले कि” मैंने ही तुम्हारी शादी कराई थी और … Read more

अनचाहा रिश्ता भाग 3 – गरिमा जैन

अशोक ने जल्दी से कैब बुक की और अपने मुंबई के ऑफिस में चला गया। उसे मन ही मन रचना की याद एक पल  को आई पर उसने तुरंत अपना मन हटा लिया ।सच उस लाल शिफॉन की साड़ी में रचना किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी और उस पर उसकी वह मुस्कान … Read more

अनचाहा रिश्ता भाग 2- गरिमा जैन

अशोक पुरानी यादों में डूबता जा रहा था तभी अचानक उसके मोबाइल की घंटी बजी जिससे उसकी यह याद टूट गई । उसके पापा का फोन था। उससे फोन उठाकर कहा बस” मैं निकल रहा हूं” , लेकिन अशोक के पापा काफी गुस्से में थे। वह बोले कि” मैंने ही तुम्हारी शादी कराई थी और … Read more

अनचाहा रिश्ता भाग 1- गरिमा जैन 

आज रचना की शादी थी । उसने एक बार चारों तरफ नजर घुमा कर देखी। शानदार इंतजाम था । ऐसी शानो शौकत वाली शादी करना उसके मां-बाप सोच भी नहीं सकते थे । वह एक मध्यवर्गीय परिवार से थी। स्कूल में शिक्षिका थी और उसकी शादी जिस इंसान से हुई थी वह अमीर ही नहीं … Read more

बेटी- रूद्र प्रकाश मिश्रा

 ” इस बार भी बेटी ही हुई ” । ये तीसरी बेटी हुई थी इस घर में और उसके होते ही ये एक पंक्ति पता नहीं कितनों के मुँह से निकली होगी । क्या मर्द , और क्या औरत , सभी बस इसी एक वाक्य को दुहरा रहे थे । पता नहीं , पोते का … Read more

सावधानी – गीतांजलि गुप्ता

पिता जी आप सारा दिन बिस्तर पर ही बैठे रहते हो। यहीं खाते पीते हो और सारा सारा दिन ‘टी वी’ देखते हो इसीलिए आप की हड्डियों ने जबाव दे दिया है थोड़ा चला फिरा करो घूमा करो गली में।” राजेश अपने पिता कोसमझा रहा था या झुंझला रहा था पिता दीनानाथ जी को कुछ … Read more

स्वाभिमान – गीतांजलि गुप्ता

सीमा अधिकतर चुप रहती है कम बोलती है काम ज़्यादा करती है सभी लोग उससे उम्मीद रखते हैं कि समय से काम करे। क्या बाहर का, क्या घर का हरेक काम निपटा ही लेती है। घर में शांति बनी रहती है और सभी लोग अपने अपने काम में मस्त रहते हैं। खाने की टेबल पर … Read more

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