पड़ोसन से लिया बदला – नेकराम : Moral Stories in Hindi

दिल्ली के पीतमपुरा में बड़े भाई की शादी को एक महीना बीत चुका था

भाभी को लेने के लिए मुझे ही भेजा गया अम्मा ने कहा अपने रिवाज में देवर ही भाभी को उसके मायके से ससुराल लेकर आता है

पहले तो मैं आनाकानी करने लगा यह कैसा रिवाज है बड़े भैया को जाना चाहिए और आप लोग मुझे भेज रहे हैं

तब अम्मा ने बताया अभी नई-नई रिश्तेदारी हुई है इसलिए दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने नहीं जा सकता  जब रिश्तेदारी पुरानी हो जाती है तब तो सारी जिंदगी तेरे बड़े भैया को ही जाना है अपनी ससुराल

बड़ी बहन मेरी तरफ ही देख रही थी मैं घर में सबसे छोटा था बहन को देखकर मैंने अम्मा से कहा मैं दीदी को भी साथ ले चलता हूं मेरा भी वहां समय कट जाएगा पहली बार भाभी को लेने के लिए हमारा पूरा परिवार गया था तब और बात थी मैं अकेला नहीं चलूंगा दीदी साथ चलेगी मेरे

अम्मा ने इजाजत दे दी ,, ठीक है तू अपनी बड़ी दीदी को साथ ले जा

अब तो खुश है अम्मा की बात सुनकर मेरे चेहरे पर प्रशंसा आ गई

अम्मा ने कुछ किराए के पैसे मेरी मुट्ठी में थमा दिए

हम दोनों भाई-बहन जमनापार से 971 अवंतिका नंबर की बस पकड़ कर पीतमपुरा के बस स्टैंड पर उतर गए

भाभी जी के घर पहुंचे तो सब लोगों ने हमें घेर लिया

खूब खातिरदारी हुई भाभी ने भी पूरे मोहल्ले को बताया देखो मेरा देवर आया है और साथ में मेरी छोटी ननंद भी

भाभी जी ने एक शक्स से हमारा परिचय करवाया उनकी उम्र लगभग

34 बर्ष थी  वह दूर गांव के भाभी जी के मामा जी लगते थे 13 साल से भाभी जी के घर पर ही रह रहे थे

पढ़े लिखे थे और एक प्राइवेट जॉब करते थे 13 साल पहले जब वह दिल्ली आए थे तब एक बिल्डर के पास काम कर रहे थे उस बिल्डर के पास बहुत से मकान थे उन्हें मकान की देखभाल के लिए वह 24 घंटे बिल्डर के दिए हुए मकान में ही रहते थे महीने दो महीने में एक आध चक्कर भाभी जी के घर पर लगा लेते थे लेकिन शादी के लिए कोई लड़की ना मिल सकी इसीलिए अभी तक कुंवारे थे

काफी लंबी बातचीत चली फिर हम भाभी जी को लेकर घर लौट आए

1 साल बाद अम्मा ने मेरी बड़ी बहन की शादी भी कर दी

शादी के एक महीने बाद अम्मा ने मुझसे कहा नेकराम जल्दी तैयार हो जा तेरी बड़ी दीदी का फोन आया था उसने तेरे लिए एक नौकरी ढूंढी है

अब मैं भी बड़ा हो चुका था दो पैसे कमाकर पिता का हाथ बंटाना चाहता था इसलिए बड़ी दीदी के घर चल पड़ा अम्मा ने यह भी बताया था जब तू नौकरी करेगा तो तेरे लिए भी शादी के लिए रिश्ते आने लगेंगे और हम तेरी भी शादी कर देंगे

अगले ही दिन दो जोड़ी कपड़े लेकर में बड़ी दीदी के घर पहुंच गया

बहन ने खिलाने पिलाने में कोई कसर न छोड़ी मैं भी सोचने लगा जब बहन कुंवारी थी तब मेरी बहन मुझे हमेशा डांटती थी गुस्सा करती थी मेरे लिए जली रोटियां बनाती थी लेकिन आज देसी घी लगी रोटियां दे रही है

रोटियां भी एकदम गोल-गोल है

तभी अचानक लाइट चली गई बहन बटुए से पैसे निकाल कर जाने लगी तो मैंने पूछा दीदी कहां जा रही हो तो बहन बताने लगी मैं मोमबत्ती लेने जा रही हूं यहां अक्सर लाइट चली जाती है

तब मैंने बहन से कहा जब तुम कुंवारी थी तब तो मुझ पर हुकुम चलाती थी जा नेकराम यह सामान लेकर आ आज हुकुम क्यों नहीं चला रही हो

तब बहन हंसते हुए बोली वह तो बचपन की बातें थी बचपन में तो अक्सर भाई बहन आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं

तब मैंने बहन से पैसे लेते हुए कहा मैं लेकर आता हूं मोमबत्ती

बहन को पता था नेकराम जिद्दी है मोमबत्ती लेकर ही आएगा

तब बहन बताने लगी घर से बाहर निकलते ही सामने जो किराने की दुकान है वहां से मोमबत्ती ना लेना उस दुकान में एक बूढ़ी आंटी बैठी रहती है उनसे हमारा झगड़ा चल रहा है

दुकान का सारा कूड़ा करकट हमारे घर के आगे ही फेंक देती हैं

और सफाई भी नहीं करती मेरी कई बार उससे तू तू मैं मैं हो चुकी है

लेकिन एक नंबर की ढीट  है एक कान से सुनती हैं दूसरे कान से निकाल देती हैं

उसकी बहू अंजली फिर भी ठीक है झगड़ा ना हो इसलिए हमारे आंगन के बाहर तक की सफाई कर देती है अंजली की दो लड़कियां हैं तीसरी क्लास में पढ़ने जाती हैं स्कूल में हमेशा फर्स्ट आती हैं

लेकिन अंजली विधवा है इतना कहकर बहन बताते बताते रुक गई

तब मैंने अपनी बहन से पूछा अंजली कैसे विधवा हो गई अभी तो उसकी लड़कियां छोटी हैं

तब बहन ने बताया अंजली के पति एक राजमिस्त्री थे जब मैं शादी होकर आई तब मैंने अंजली के पति को देखा था एकदम सुंदर था

सीधा-साधा था दूसरे दिन खबर आई तीसरी मंजिल से उसके सर पर एक ईंट आकर गिर पड़ी सर फटने की वजह से बहुत खून बह गया

डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की बचाने की लेकिन नाकामयाब रहे

मकान मालिक ने कोई मुआवजा नहीं दिया

मकान मालिक का कहना था बरसात की वजह से हमने काम रोक दिया था सब मजदूरों को घर जाने का आदेश दे दिया था सभी मजदूर अपने-अपने घर जा चुके थे अंजली का पति भी घर जा चुका था

लेकिन शाम को अंजली का पति न जाने उस बनती अधूरी बिल्डिंग के नीचे क्या करने आया तेज हवा के कारण ऊपर छत की दीवार से एक  ईंट तेजी से नीचे गिरी ईंट सर पर लगने की वजह से उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई

मैं एक महीने से देख रही हूं अंजली पर दिन पर दिन जुल्म बढ़ते जा रहे हैं सारा दिन घर का काम करती है कपड़े धोना खाना बनाना उसके चेहरे की हंसी एकदम गायब हो गई है और उसका जेठ सांड जैसा उसे हमेशा घूरता ही रहता है

अंजली के माता-पिता भी बहुत गरीब हैं अंजली एक छोटे से गांव की रहने वाली है वह अपने मां-बाप के घर जाकर उन्हें दुखी नहीं करना चाहती है इसलिए यहां पर अपने जेठ जेठानी और सास ससुर के सितम सहती है

अब अंजली बेचारी कहां जाए पढ़ी-लिखी भी नहीं है गांव में आज भी लड़कियों को कहां पढ़ाया जाता है जो माता-पिता जागरुक है वही माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल भेज रहे हैं  बाकी तो अपनी बेटियों को घर से बाहर ही नहीं निकलने देते बेचारी अंजली अनपढ़ रह गई

एक जवान शादीशुदा स्त्री का जब पति नहीं होता दुनिया वाले उसे जीने नहीं देते हैं

बातें करते-करते कब लाइट आ गई पता ही ना चला

तब मैंने बहन को बताया जब हम भाभी जी को लेने भाभी के मायके पहुंचे थे तब वहां पर अपनी मुलाकात भाभी जी के मामा जी से हुई थी उनकी अभी तक शादी नहीं हुई है क्या मामा जी की शादी आपकी पड़ोसन अंजली के साथ हो सकती है मामा जी का भी घर बस जाएगा और अंजली को पति मिल जाएगा और अंजली के बच्चों को एक पिता

तब बहन कहने लगी धीरे बोल दीवारों के भी कान होते हैं

ऐसे कैसे हो सकता है ,,

क्यों नहीं हो सकता तुम एक बार अंजली से अकेले में बात करके देखो उसके मन में क्या है शायद वह कुछ तो जवाब देगी मैंने मुट्ठी मैं रखें पैसे टेबल पर रखते हुए कहा

तब बहन ने बताया सुबह वह बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती है वही मुलाकात हो सकती है हमने अगले दिन का इंतजार किया और सुबह होते ही रास्ते में अंजली को रोक लिया

अंजली ने बहन को देखते ही कहा दीदी क्या बात है रास्ते में मुझे क्यों रोका अब तो आपका आंगन साफ रहता है मैं सफाई कर देती हूं

मैं बहन के साथ ही खड़ा था तब बहन बताने लगी सफाई को छोड़ो

देखो अंजली मैं तुम्हारी भलाई चाहती हूं जीवन बहुत लंबा है

तुम्हारा जेठ शराबी है घर में किराने की दुकान है इसलिए वह काम धाम तो करता नहीं अपनी बूढ़ी मां को दुकान पर बिठाए रहता है बेटे के नाम पर धब्बा है

बुढ़िया भी कुछ कम नहीं है किराने की दुकान में नकली सामान ज्यादा बेचती है छोटा बेटा मर गया मगर उसे कोई फर्क नहीं

पहले तुम्हारी लड़कियां प्राइवेट स्कूल जाती थी अब सरकारी में नाम लिखवा दिया है

पहले लड़कियों के लिए बैन लगी हुई थी अब तुम्हें खुद पैदल ही लड़कियों को स्कूल से लाना ले जाना होता है

मुझे तो लगता है तुम्हें घर पर खाना भी ठीक से नहीं मिलता होगा

इतना सुनते ही अंजली फूट-फूट कर रोने लगी कहने लगी एक दिन मैंने पेट भर के खाना खाने के लिए थाली में चार रोटी रख ली तो सासु मां ने मुझे कोसते हुए कहा बड़ी बेशर्म बहू है मेरे बेटे को मरे हुए अभी 15 दिन भी नहीं हुए और तू  ठूंस ठूंस कर खाना खा रही है और मेरे आगे से थाली छीन कर रसोई घर में रख दी उस दिन मैं भूखी ही बिस्तर पर अकेली अपनी लड़कियों के साथ लेटी रही लेकिन किसी ने भी एक रोटी के लिए भी न पूछा

अंजली की दुख भरी कहानी सुनकर एक बार तो मेरा भी कलेजा कांप उठा

बहन ने अंजली को सब समझा दिया अभी तुम घर जाओ

तुम्हें इस घर से निकालने की जिम्मेदारी मेरी है पूरे मोहल्ले के सामने सम्मान के साथ तुम्हारा दूसरा विवाह होगा और मैं देखती हूं कौन तुम्हारे दूसरे विवाह के बीच में आता है

अंजली अपने घर जा चुकी थी हम दोनों भाई बहन वापस घर लौट आए

मैंने बहन को सब समझा दिया कि जीजा जी को बिल्कुल भी इस बात का पता ना चले जीजा जी कमजोर दिल के हैं लड़ाई झगड़े से दूर रहते हैं

अंजली की दूसरी शादी तो हम करवा कर ही रहेंगे

उसी दिन हम भाई बहन भाभी जी के मायके पीतमपुरा पहुंच गए

फोन करके तुरंत भाभी जी ने मामा जी को भी बुलवा लिया और उन्हें बताया अब तुम्हें कुंवारा रहने की जरूरत नहीं है आपके लिए हमने

लड़की देख ली है  विधवा है उसकी दो लड़कियां है

अंजली की फोटो भी हम साथ में लाए थे

शायद मामा जी भी समझ चुके थे कि उनकी उम्र निकल चुकी है अब कुंवारी लड़की मिलना संभव नहीं है इसलिए वह चुप होकर हमारी बातें सुनते रहे

अंजली के गांव का हमने एड्रेस ले लिया था जहां अंजली के माता-पिता रहते थे उसी दिन मामा जी को लेकर हम दोनों भाई बहन ट्रेन में बैठकर अंजली के गांव पहुंच गए

पगडंडी से चलते हुए हम एक कच्ची बस्ती में पहुंचे

बहुत से मजदूर किसान खेती-बाड़ी करने में लगे हुए थे

हम अंजली का घर वहां के किसानों से पूछ रहे थे

अंजली के माता-पिता को किसी ने बताया शहर से कुछ लोग आए हैं आपसे मिलने के लिए

कुछ देर बाद हमें अंजली के घर का पता मिल गया

हमने अंजली के माता-पिता को पूरी बात समझा दी अंजली की शादी जिस लड़के से होगी वह आपके सामने मौजूद है आप एक बार देख लीजिए

उम्र 34 बर्ष है अभी तक शादी नहीं हुई है दिल्ली में एक बिल्डर के पास काम करता हैं बिल्डर ने रहने के लिए एक मकान दिया हुआ है

अंजली भी उसी में रहेगी कमरे का किराया नहीं देना पड़ेगा

अंजली की दोनों बेटियों को पढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी इनकी ही होगी

और शादी से पहले अंजली की दोनों बेटियों के नाम 40-40 हजार रुपए बैंक में जमा करवा दिए हैं यह रही बैंक की रसीद

फेरे मंदिर में होंगे कुछ भी खर्च करने की जरूरत नहीं है आपको

अंजली के माता-पिता को जब पूरी तरह तसल्ली हो गई

तब अंजली के माता-पिता ने अपनी बेटी अंजली को गांव बुला लिया

अंजली अपनी दोनों बेटियों को लेकर गांव आ चुकी थी

गांव के ही एक पुजारी ने मंदिर में अंजली और मामा जी के सात फेरे देकर विवाह संपन्न किया

मामा जी अंजली के माता-पिता के पैर छूने के बाद अंजली और अंजली की दोनों बेटियों को वहीं से अपने दिल्ली के बिल्डर वाले मकान पर ले गया

हम भाई बहन वापस घर लौट आए दिन भर में हमने सारा काम निपटा दिया था

शाम को जीजा जी घर लौटे उन्हें इस बात की कोई भनक नहीं थी

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जीजा जी रात का खाना खाकर बाहर टहलने के लिए गए कुछ देर बाद लोटे और हम दोनों भाई बहनों को बताने लगे

सामने जो अंजली रहती थी आज सुबह अपने गांव गई थी

गांव से खबर आई है उसकी शादी हो चुकी अब वह यहां कभी नहीं आएगी

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उसकी शादी किसके साथ हुई और शादी होकर कहां गई यह बात किसी को मालूम नहीं

अंजली के सास ससुर बड़े चिंतित हैं और उसके जेठ जेठानी भी परेशान है अब उनके घर का काम कौन करेगा ?

बहन मन ही मन खुश थी आखिर मैंने पड़ोसन से बदला ले लिया मेरे घर के आगे कूड़ा फेंकती थी

और मैं इसलिए खुश था दो लोगों के आपस के सहयोग से उनका परिवार बस गया आया तो था मैं बहन के घर नौकरी के लिए लेकिन मुझे यह काम ज्यादा जरूरी लगा

लेखक – नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से स्वरचित रचना

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