प्रणव जी रिटायर्ड प्रिंसिपल एवं कावेरी जी भूगोल की प्रोफेसर थी। अपने इकलौते पुत्र रुद्र की नौकरी लगने के बाद रुद्र के विवाह के सपने सजाने लगी। उन्हें एक बेटी की बहुत चाहत थी लेकिन वह मंशा पूरी न हो सकी। सोचा बेटे के विवाह के उपरान्त बेटी की इच्छा भी पूरी हो जाएगी। बहू को ही बेटी बनाकर रखेंगे….!!
कुछ दिन के पश्चात बेटे का विवाह तानिया के साथ धूमधाम से कर दिया। बहुत हसरत से उन्होंने तानिया को बेटी के रूप में स्वीकार किया। लेकिन उनकी यह इच्छा पूर्ण न हो सकी। तानिया बहुत तुनक मिजाज, नकचढ़ी लड़की थी। उसकी असलियत विवाह होने के पश्चात ही पता चल पायी।
तानिया ने आते ही अपने ससुराल वालों को अपने इशारों पर नचाना शुरू कर दिया। सबसे पहले उसने अपने पति रुद्र को पूरी तरह से अपने जाल में फांस लिया। बात- बात पर रुद्र अपने माता-पिता से भिड़ जाता और अपनी पत्नी की तरफदारी करने लगता।
कुछ दिन के बाद रूद्र को बहुत जल्दी अपनी गलती का एहसास हुआ कि- तानिया के खुराफाती दिमाग में एक के बाद एक साजिशें चल रही है और उसमें उसके निर्दोष माता-पिता फंस रहे हैं। उसने तानिया को बहुत समझाने की कोशिश की पर…. उसके ऊपर जूँ नहीं रेंगी।
अब उसने अपनी बात मनवाने के लिए दूसरा हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया। अक्सर धमकी देती…..कि अमुक काम करो….. वरना मैं थाने में जाकर दहेज का आरोप लगाकर आप लोगों को फंसा दूंगी…!! असहाय सास, ससुर उसकी मनमानी पर चुप्पी लगा लेते।
रुद्र और उसके घर वाले तानिया से बहुत परेशान थे।
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एक दिन किसी बात पर रुद्र के साथ कहा सुनी हुई, उसने तुरंत 100 नंबर पर कॉल करके पुलिस बुला ली, और रोते हुए बोली “यह सब लोग मुझे परेशान कर रहे हैं।”
उस दिन तो बहुत मुश्किल से जैसे तैसे मामले को रफा दफा किया गया…..! तब से सभी लोग उससे कुछ कहने से बचते थे।
एक दिन रुद्र का सिर चकराने लगा और सांस लेने में भी बहुत दिक्कत हो रही थी, वह जमीन पर बैठ गया। माता-पिता ने बेटे को ऐसी हालत देखी तो तुरंत डॉक्टर के पास ले गए…. डॉक्टर ने पूरा चेकअप किया, लेकिन रिपोर्ट आना अभी बाकी था।
रिपोर्ट आने पर पता चला…
” कि रूद्र को कैंसर है और यह उसका आखिरी चरण है” डॉक्टर ने रूद्र एवं उनके माता-पिता को बुलाकर रिपोर्ट की जानकारी दी। रुद्र के माता पिता के सामने पूरी दुनिया घूम गई और वह दहाड़े मार- मार कर रोने लगे….!
डॉक्टर ने आश्वासन देते हुए कहा घबड़ाने की जरूरत नहीं है अति शीघ्र इलाज शुरू करेंगे बाकी भगवान की मर्जी…!!
तानिया ने जब सुना तो रुद्र के ऊपर गुस्सा करने लगी, कि तुम्हें अपनी बीमारी के बारे में पता था, तो मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद की…?
रूद्र ने कहा अगर मुझे अपनी बीमारी के बारे में जरा भी पता होता… तो मैं विवाह ही क्यों करता…!! तुमसे विवाह करके कौन सा सुखी हूंँ…??
तुम्हें मेरी बीमारी से बिल्कुल दुःख नहीं हुआ..!! बल्कि उल्टा मुझ पर बरस रही हो।
तानिया चार महीने की गर्भवती थी, बोली मैं इस बच्चे को नहीं रखूंगी क्योंकि मेरी जिंदगी खराब हो गई है। मैं अभी इस बच्चे से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर के पास जा रही हूंँ।
कावेरी जी तानिया के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई कि ऐसा न करो बेटा..!
तानिया ने कहा मैं दूसरा विवाह करके अपना खुशहाल जीवन जीना चाहूंगी, तब इस बच्चे का क्या करेंगे, कौन मुझे इस बच्चे के साथ अपनाएगा..??
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ठीक है बेटा!! तुम दूसरा विवाह कर लेना लेकिन रुद्र के बच्चे को मुझे दे देना मैं पालन पोषण कर लूंँगी..!!
बच्चे से निजात पाने के लिए उसने एक और पैतरा चला ..बोली इसके लिए आपको कीमत चुकानी पड़ेगी…!!
कितनी…??
पांच लाख रुपए…!!
कावेरी जी कुछ देर शांत रही और फिर बोली ठीक है..! बच्चा होने के बाद तुम्हें तुम्हारी कीमत मिल जाएगी…! लेकिन मेरी भी एक शर्त है..??
इस सम्बन्ध में मेरे बेटे रूद्र को कुछ पता नहीं चलना चाहिए…!!
तानिया: ठीक है।
कावेरी जी अपने बेटे का पूरा ध्यान रख रही थी। फिर भी…रुद्र की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी।
समय-समय पर कीमोथेरेपी हो रही थी…. लेकिन इस बीमारी से बेटे को निजात नहीं मिल पा रहीं थी…!!
तानिया रूद्र को देखने एक दिन भी अस्पताल नहीं गई, कहती वहांँ की गंध मुझे सहन नहीं होती है।
रुद्र, तानिया की बेरुखी देखकर अंदर ही अंदर टूट सा गया था। उसे तानिया से ऐसी आशा नहीं थी, लेकिन मांँ के सामने कुछ नहीं बोलता था।
लगभग पांच मास हो गये थे रुद्र की हालत कभी ठीक होती, कभी बिगड़ती ऐसी स्थिति में रुद्र जी रहा था….। उसकी मांँ उसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करती कि उसके बेटे को उसकी भी उम्र लग जाए…..!
तानिया को लेबर पेन शुरू हो गए, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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इधर रुद्र की हालत नाजुक हो रही थी। रूद्र लड़खड़ाती जुबान से माँ को एकटक देखते हुए बोला… “माँ, मैं हर जन्म में तुम्हारा बेटा बनकर तुम्हारे पास रहना चाहूंगा…..!
कावेरी जी पनियाई नजर से बस बेटे को देखती रही।
मांँ कभी रूद्र को देखती, तो कभी दौड़कर तानिया की हालत का जायजा लेती….
कुछ समय पश्चात डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कावेरी जी को बधाई देते हुए कहा – “आप रुद्र के बेटे की दादी बन गई है”….!!
कावेरी जी खुशी से उछल पड़ी, और दौड़कर यह खुशखबरी रूद्र को सुनाने जा रही थी। आज मेरा बेटा खुशी की यह खबर सुनकर बहुत खुश होगा। जब तक कावेरी जी रुद्र के पास पहुंची तब तक बहुत देरी हो चुकी थी। रूद्र चिर निद्रा में सो चुका था।
कावेरी जी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। चार दिनों के बाद तानिया भी अस्पताल से डिस्चार्ज होकर आ गई।आते ही कावेरी जी से बोली, आपको अपना वादा याद है न….! कावेरी जी ने हांँ मैं सिर हिलाया।
पन्द्रह दिनों के बाद तानिया ने पांच लाख का चेक लिया और वह अपना सामान पैक करके मायके चली गई।
नन्ही सी जान को प्रणव और कावेरी दोनों मिलकर संभालने लगे। “उस नन्ही सी जान में उन्हें अपना बेटा रुद्र दिखाई पड़ता।”
तानिया ने दूसरा विवाह रंजन से कर लिया। दूसरी जगह उसके ससुराल वाले बहुत ही कड़क स्वभाव के थे जहां तानिया की दाल नहीं गलती थी।
कई बार तानिया रंजन से घर वालों की शिकायत करती, तो उसका पति तानिया से ही कहता कि तुम्हें दिनभर घर वालों के साथ ही रहना है… ! उनके साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश करो, वो मेरे अपने हैं कोई दुश्मन नहीं।मैं दिन भर का थका-हारा घर आता हूंँ, मुझे किसी प्रकार की कोई चिक- चिक नहीं चाहिए।
विवाह के कई वर्ष बीत गए लेकिन तानिया माँ नहीं बन
पाई । जब सब जगह हार गई तब आईवीएफ के माध्यम से बच्चा लेने की सोची, डॉक्टर ने संपूर्ण चेकअप के बाद बोला कि वह माँ नहीं बन सकेगी….! और अति शीघ्र ही उसका युट्रस रिमूव करना पड़ेगा क्योंकि यूट्रस में इंफेक्शन हो गया है।
कुछ दिनों के बाद यूट्रस रिमूव कर दिया गया। तानिया हर समय मातृत्व के लिए तरसते लगी। लोगों ने बच्चा गोद लेने की सलाह दी, लेकिन सास ने कड़क शब्दों में कहा… “इस घर को मेरे रंजन का ही बच्चा चाहिए”….। अब तानिया डरने लगी… कहीं रंजन की मांँ रंजन का दूसरा विवाह न कर दे।
तानिया अपने बेटे के बारे में सोच- सोच कर रोने लगी, कि मैंने अपने बच्चे का सौदा करके उसे छोड़ दिया। उस नन्ही सी जान को अपना दूध तक नहीं पिलाया था।शायद ईश्वर ने मुझे इसीलिए सजा दी है।
तानिया ने आज तक किसी के सामने अपने बच्चे का जिक्र नहीं किया था। सभी यही जानते थे कि शादी होते ही पति गुजर गया था।
कुछ दिन के बाद तानिया के अन्दर ममता हिलकोरे मारने लगी वह अपने बेटे से मिलने के लिए छटपटाने लगी।
“तानिया एक दिन रंजन से बोली कि मुझे अपनी माँ से मिलने जाना है।”
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“रंजन बोला मुझे तो छुट्टी नहीं है तुम अकेले ही चली जाओ।” वैसे भी तानिया अकेले ही जाना चाहती थी।
दूसरे दिन ही तानिया अपने बच्चे से मिलने के लिए अपनी पहली ससुराल जाने के लिए निकल पड़ी। बच्चे से मिलने के लिए तरह-तरह के मन में ख्वाब सजा रखे थे। अब बच्चा सात साल का हो गया होगा..!! मुझे देखकर उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी… देखने में कैसा लगता होगा….!!उसकी अकुलाहट चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही थी।
स्टेशन से उतर ऑटो लेकर सीधे रुद्र की कोठी के लिए रवाना हुई।
आठ साल पहले की बातें चलचित्र के समान उसके दिमाग में चल रही थी…. मैंने सभी को कितना परेशान किया था!! मैं रुद्र के माता-पिता के पैर पकड़ कर माफी मांग लूंगी। सचमुच रुद्र का परिवार बहुत ही भला है, यह एहसास तो उसे दूसरी ससुराल में जाते ही हो गया था..!! रुद्र के माता-पिता बहुत ही अच्छे इंसान हैं। मैंने उन लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है।
अगर कावेरी जी ने बच्चे से नहीं मिलवाया तो?? तब वह क्या करेगी?? ऑटो वाले ने रुद्र के घर के सामने ऑटो रोका और बोला मैडम!….. उसकी आवाज से उसकी तंद्रा टूटी…।
उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। कंपकंपाते हाथों से उसने कॉलिंग बेल बजाई। अंदर से एक बुजुर्ग व्यक्ति आए तानिया ने उनसे रुद्र की फैमिली के बारे में जानना चाहा…. तो उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि पांच साल पहले प्रणव और कावेरी जी यह मकान हमें बेचकर चले गए।
कहांँ गए हैं वो लोग!!
हम लोगों को कुछ नहीं मालूम? बुजुर्ग व्यक्ति बोला।
तानिया सिर पकड़कर वहीं जमीन पर धम्म से बैठ गई, अनवरत उसकी आंखें बरसने लगी!!
– सुनीता मुखर्जी “श्रुति”
कवयित्री एवं लेखिका
हल्दिया पूर्व मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल)