शिवम् के पिता बचपन में ही एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे ।शिवम् की मां सुजाता जी ने स्कूल में टीचर की नौकरी करके शिवम् को अकेले ही पाला था।और पढ़ा लिखा कर लायक बनाया था ।आज शिवम् किसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था।शिवम् अट्ठाइस का हो चुका था ।
सुजाता अब शिवम् की शादी करने की सोच रही थी और वो एक अच्छी लड़की की तलाश में थी जो शिवम् और सुजाता का भी अच्छे से ख्याल रख सकें। क्यों कि अकेले परवरिस करने की वजह से शिवम् थोड़ा जिद्दी था जिस बात की जिद पकड़ लेता था वो करके ही रहता था।
इधर शिवम् अपने आफिस की ही एक सहकर्मी को पसंद करता था उसका नाम रिचा था।और शायद रिचा भी शिवम् को पसंद करती थी लेकिन दोनों एक दूसरे से इस बात से अनभिज्ञ थे।
सुजाता आज कुछ घरेलू सामान लेने बाजार गई थी तो रास्ते में शिवम् के पिता के दोस्त वीरेंद्र जी की पत्नी और बेटी मिल गए थोड़ी बात चीत हुईं और सुजाता ने बेटी सुकन्या से पूछा और बेटी क्या कर रही हो ,बस आंटी ग्रेजुएशन पूरा किया है अब आगे सोचती हूं क्या करना है अच्छा अच्छा बहुत बढ़िया। थोड़ी औपचारिक बातचीत के बाद दोनों अपने अपने गंतव्य को चले गए ।
सुकन्या की छवि सुजाता जी के मन में बस गई । सुजाता जी ने शिवम् से बात करने के पहले सुकन्या के घर फोन पर बात की । क्या सुकन्या के शादी के लिए कुछ सोचा है क्या तो सुकन्या की मम्मी ने कहा हां तलाश में हूं कोई लड़का अच्छा मिल जाए आपकी नजर में कोई हो तो बताएं , हां हां मैं बताऊंगी कहकर फोन कट हो गया ।
सुजाता जी ने आज शिवम् से बात की बेटा मैं सोच रही हूं तुम्हारी शादी कर दी जाए और मैंने एक लड़की भी देख ली है । नहीं मां अभी नहीं और वो ना-नुकुर करने लगा । सुजाता ने समझाया कि देखो शिवम् आज तुम्हारे पापा के दोस्त हैं न उनकी पत्नी और बेटी से मुलाकात हुई मुझे तो सुकन्या बहुत अच्छी लगी । खुबसूरत भी है और समझदार भी है ।
लेकिन मां , लेकिन वेकिन कुछ नहीं मैं तो तेरा रिश्ता तय कर रही हूं आजकल बेटा समय बड़ा खराब है लड़की यदि थोड़ी जानी पहचानी हो तो बहुत अच्छा रहता है । लेकिन मां मैं वो आफिस की एक लड़की को,,,,,,,, बिल्कुल चुप रहो सुकन्या ही ठीक रहेगी तुम्हारे लिए ।शिवम् के बार बार मना करने के बाद भी सुजाता ने शिवम् की शादी तय कर दी और दो महीने बाद शादी हो गई।
सुहाग सेज पर बैठी सुकन्या को देखकर शिवम् के सारे गिले-शिकवे दूर हो गए क्योंकि सुकन्या बहुत सुंदर लग रही थी ।दूसरे दिन सुबह-सुबह वो रसोई में गई और सुजाता से बोली आज से मैं चाय बनाउंगी आंटी आप आराम करें , आंटी नहीं बेटा मम्मी , हां मम्मी बोलों । सुजाता पहले दिन ही सुकन्या के व्यवहार से खुश हो गई।जब चाय का प्याला लेकर सुकन्या शिवम् के कमरे
में आई तो उसकी चाल थोड़ी अटपटी लगी उसने पूछा सुकन्या तुम ठीक तो हो ना कैसे चल रही हो , सुकन्या एकदम से सकपका गई वो मेरे दोनों पैरों में थोड़ा सा अंतर है इसलिए हल्की सी लचक आतीं हैं चलने में ।तो मुझे क्यों नहीं पता और शादी के दौरान भी नहीं पता चला वो इसलिए कि जब चप्पल पहनते हैं तो चप्पल के एडी में थोड़ी सी पैकिंग लगा देने से बराबर हो जाता है और आपने चप्पल के साथ ही मुझे देखा है ।
लेकिन तुम्हारी मम्मी को तो सब पता है क्या मेरी मम्मी को पता है शिवम् बोला , हां । मां मां क्या है बेटा मैं ये क्या सुन रहा हूं सुकन्या के दोनों पैरों में अंतर है वो कुछ नहीं बेटा बहुत हल्का सा है ऐसी कोई भी नहीं है चप्पल पहनकर ठीक से चल पाती है बहुत मामूली है । लेकिन जब आपको पता था तो मुझे क्यों नहीं बताया । बेटा तुम तो बेकार का बतंगड़ बना रहे हो ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन शिवम् चिढ़ गया और र उसने सुकन्या से बात करना बंद कर दिया। सुकन्या ने कई बार स्थितियों को सामान्य करने की कोशिश की लेकिन शिवम् जब भी सुकन्या को देखता चिढ़ जाता ।
ऐसे ही समय बीतता रहा और सुकन्या और शिवम् के बीच तनातनी जारी रही वो सुकन्या से बात भी न करता ।शिवम् रिचा के नजदीक आता गया रिचा को जब पता लगी कि शिवम् सुकन्या को पसंद नहीं करता तो वो सुकन्या को तलाक़ देने के लिए जोर देने लगी ।इधर शादी के महीने भर बाद ही एक दिन सुकन्या को उल्टियां लगने लगी तो सुजाता ने शिवम् से कहा कि इसे डाक्टर को दिखा दो तो शिवम् ने मना कर दिया ।
सुजाता उसे खुद डाक्टर के पास ले गई तो पता लगा कि सुकन्या प्रेगनेंट हैं । सुजाता ने ऐ खुशखबरी घर आकर सुनाई शिवम् को तो वो नाराज़ हो गया क्या मां मैं तो इसको तलाक देना चाहता हूं और रिचा से शादी करना चाहता हूं ये क्या बच्चा। मुझे नहीं मालूम। सुजाता ने बहुत समझाया पर वो नहीं माना ।
आज सुकन्या ने तय कर लिया कि अब वो इस घर में नहीं रहेगी चली जाएगी यहां से जब शिवम् उसको पसंद नहीं करता तो रहने से क्या फायदा और सुकन्या अपने माता-पिता के घर चली गई वहां उसने नौ महीने बाद एक बेटे को जन्म दिया सुजाता बराबर उससे मिलने जाती थी ।शिवम् ने तलाक के कागज सुकन्या के पास भेज दिए थे लेकिन उसने साइन नहीं किए थे । सुजाता जी ने मना किया था उनको विश्वास था कि एक दिन शिवम् को जरूर पछतावा होगा ।
शिवम् ने रिचा से कोर्ट मैरिज कर ली । रिचा बस अपने में ही मस्त रहती थी उसको घर की या शिवम् की कोई चिंता नहीं रहती थी और ना ही सुजाता के किसी काम में हाथ बंटाती थी । छुट्टी के दिन सारा सारा दिन घर से बाहर रहती दोस्तों में शापिंग में बस यही दिनचर्या थी उसकी । सुजाता कुछ बोलती तो जवाब दे देती आप अपने काम से काम रखिए हम पति-पत्नी के बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है।इस बीच रिचा भी प्रेगनेंट हो गई पांच महीने हो रहे थे
आज रिचा की सहेली का बर्थडे था सुजाता और शिवम् के मना करने पर भी रिचा चली गई । पार्टी किसी होटल में थी वहां पूल के किनारे सब मस्ती में थे उसी समय रिचा का पैर फिसला और वो गिर पड़ी शिवम् के पास खबर आई कि रिचा गिर पड़ी है ।शिवम् उसे तुरंत अस्पताल ले गया जहां डाक्टर ने बताया कि बच्चा गिर गया है ।
रिचा के ठीक होने पर घर ले आए रिचा से गुस्से में बोला मैंने मना किया था कि नहीं जाओ तुम और नहीं मानी तुम तुम्हारी वजह से मेरा बच्चा नहीं रहा । सुजाता जी भी बोली मैंने भी मना किया था लेकिन तुम नहीं मानी , सुजाता की बात सुनते ही रिचा चिल्ला पड़ी चुप रह बुढ़िया तुम्हें क्या जरूरत है हम पति-पत्नी के बीच में बोलने की । मां का इस तरह से अपमान होते देख शिवम् ने रिचा पर हाथ उठा दिया फिर क्या था रिचा ने आव देखा न ताव अपना सामान समेटा और घर चली गई।शिवम् और सुजाता देखते ही रह गए ।
रिचा के जाने के बाद सुजाता ने शिवम् को समझाया बेटा देख लिया अपनी मनमानी करने का नतीजा । सुकन्या को छोड़कर तुमने अच्छा नहीं किया । हां मां गलती हो गई । चलों बेटा एक बार सुकन्या से मिल लें , क्या वो मुझसे मिलेगी मैंने तो तलाक के पेपर ,,,,,।वो कुछ नहीं चल मेरे साथ अपने बेटे को देखने ।
शिवम् हाथ जोड़कर माफी मांग रहा था सुकन्या से माफ कर दो सुकन्या मुझे , मुझसे गलती हो गई और अपने बेटे अभि को गले से लगा लिया । लेकिन तुमने तो तलाक के पेपर भिजवाए थे शिवम् ,वो तो मांजी ने साइन करने से मना कर दिया था ।फ़ाड़ दो पेपर सुकन्या मैं तुम्हें लेने आया हूं घर चलो । मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम्हारे साथ बड़ी ज्यादती की है ।चलो अपने घर । तभी सुजाता और सुकन्या के मम्मी पापा भी सामने आ गए जो पीछे से सब नजारा देख रहे थे ।बोले बेटा माफ़ कर दे शिवम् को बेटे के सिर से बाप का साया न हटा जा अपने घर जा । पछतावे के आंसू बहा रहा है शिवम् ।
पोते को गले से लगाकर सुजाता प्यार कर रही थी देख बेटा मैंने कहा था न एक दिन शिवम् बहुत पछताएगा मांस कर दें और चल घर चल ।
सुकन्या सबकुछ भूलकर घर आ गई थी ।घर की खुशियां फिर लौट आई थी ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
28 दिसंबर