आज फोन पर बात करते हुए आन्या ने कहा _ममा मेरी दोस्त जरीना बड़ी अच्छी है दिन में चार बार नवाज़ अदा करती है।शी इज वेरी रिलीज़यस ,मुझे कोई पूजा नहीं आती है सो आई फील वेरी इसमाल ममा “
बेटा आप सुबह देर से उठती थी मेरी पूजा की घंटी भी तुम्हें डिस्टर्ब करती थी फिर मैं तुम्हे क्या पूजा पाठ सिखाती , तुम्हें कोई इंट्रेस्ट नही था पूजा में ,भला हो उन स्कूल बालों का जो गायित्री मंत्र से बच्चो के दिन की शुरुआत करवाते है पर तुम्हें तो कॉन्वेंट के मिशनरी स्कूल में पढ़ना था ।
बट मम्मा आई एम वैरी इंप्रेस्ड बाई हर डेडीकेशन ,
अब तुम भी नवाज अदा न करने लगना तुम्हे जो दुर्गा चालीसा और हनुमान जी दिए थे क्या तुमने उनकी पूजा की तुम भी उसके नवाज के समय दुर्गा चालीसा पढ़ सकती हो ,पर मुझे मालूम है तुमने तो सूटकेस से बाहर ही नहीं निकाले होंगे ।
तुम्हें तो बस मम्मा आपने ये नही बताया वह नही बताया मम्मा को दोष देना है।
उसका धर्म मत देखो तुम भी अपने धर्म के लिए डेडिकेट
हो ।
ये लड़की पता नही क्या करेगी ?ट्वेल्थ के बाद ही होस्टल जाकर रहना है मास कम्युनिकेशन करना है अपनी जिद लगाकर मैंगलोर पहुंच गई ।
मां हे दुर्गा मां उसे सद्बुद्धि देना ,वह सही रास्ते पर जाए
फोन रखने के बाद मुझे बहुत पछतावा हो रहा था उसे बाहर भेज कर । परसों जब से केरला स्टोरी फिल्म देखकर आई मेरा दिल और दिमाग वैसे ही भारी था ऊपर से बेटी के रंग ढंग ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
सच्चा प्यार – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi
क्या बेटी को मैने संस्कार नही दिए ?
क्यों नही पूजा का समय शाम का रखकर उसे पूजा आरती सिखाई ।
अपने धर्म एवम देवी देवताओं के बारे में बच्चो को बताना चाहिए था ।
रात डाइनिंग टेबल पर बैठने के पहले परिवार ने कुछ मिनट की प्रार्थना और आरती जैसे रिचुअल नही किए ।
अगर रात में ही बच्चों के साथ एक प्रार्थना की जाती और भोग अर्पण करने के बाद ही भोजन किया होता तो आज आन्या ये सबाल नही करती ।
मुझे बहुत पछतावा हो रहा था अपने धर्म की शिक्षा देने के लिए मैने बच्चो को समय क्यों नही दिया ।
साइंस और मैथ के ट्यूशन तो दिए पर मां होकर मैने बच्चो को संस्कारों और धर्म के बारे में क्यों नहीं बताया जब भी समय होता बच्चों को जीवन जीने के सही ढंग और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना और शुक्रिया सिखाना चाहिए था ।
अब अफसोस करने से क्या फायदा ! अभी भी समय है घर में या मंदिर में जाकर दिन में एक बार प्रार्थना अवश्य करना चाहिए ।आन्या को भी मै जाकर सिखाऊंगी उसके हॉस्टल में ।
केरला स्टोरी का सच मन को हिला देता है ,हमे अपने धर्म की शिक्षा बच्चों को बचपन से देनी चाहिए ।
।। पूजा मिश्रा ।।
कानपुर