सलोनी सांवली सी सीधी-सादी घरेलू लड़की थी। उसके माता-पिता चाहते थे,उसकी शादी हो जाए, पर कोई उसे पसंद ही नहीं करता था।
सलोनी एक प्राइवेट कंपनी में काम करने लगी। वहां सौरभ नाम का एक लड़का भी काम करता था, अच्छा इंसान था वह। उसकी दोस्ती सलोनी से हो गई। पर सलोनी उसे मन ही मन चाहने लगी थी। एक दिन उसने सोचा कि आज मैं सौरभ को अपने दिल की बात बता दूँ।
वो ये सोच कर एक व्रिस्ट वॉच लेकर सौरभ को गिफ्ट देने के लिए ऑफिस आई।
उसने सौरभ से कहा, ‘”चलो हम लोग चलकर कॉफी पीते हैं!”
सौरभ मान गया। वहां मौका पाकर सलोनी पर्स से गिफ्ट निकालकर सौरभ को देती है,और कहती है, “सौरभ अक्सर लड़के पहले प्रपोज करते हैं, पर तुम गलत मत समझना, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं!”
सौरभ पहले तो अवाक रह गया, फिर हंसने लगा। सलोनी आश्चर्य उसे देखने लगी।
फिर हंसी रोकते हुए सौरभ कहने लगा, “देखो सलोनी मैंने तुम्हें कभी इस नज़र से नहीं देखा, सॉरी मैं दोस्त हूं और हम साथ में काम करते हैं,परिचय है और इस से ज्यादा कुछ भी नहीं! “
कहकर वो कॉफी आधी छोड़कर वहां से चला गया।
सलोनी खुद को उपेक्षित समझ रही थी और आंखों में आंसू लिए वह व्रिस्ट वॉच लेकर रेस्टोरेंट के बाहर अकेली निकल गई।
एक दिन वह ऑफिस से घर जाते वक्त शाम को एक पार्क में चुपचाप बैठी ख्यालों में डूबी थी कि, उसकी नज़र सौरभ पर पड़ी उसने देखा, उसके साथ एक खूबसूरत लड़की थी, दोनों हाथों में हाथ लिए एक दूसरे से बातें कर रहे थे। सलोनी चुपचाप आंखों में आंसू लिए वहां से घर की ओर चली गई।
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कहते हैं न वक्त कब बदल जाए पता नहीं। सलोनी जहां काम करती थी, उस कंपनी के बॉस सलोनी के काम से बहुत ही प्रभावित थे और एक दिन उन्होंने सलोनी से विवाह का प्रस्ताव भी रख दिया। सलोनी के माता-पिता से बात कर सलोनी का हाथ मांग लिया। सलोनी की शादी हो गई धीरे-धीरे सौरभ उसके दिलो-दिमाग से हटने लगा था। उसके पति से उसे इतना प्यार और सम्मान मिला कि वह सब भूल चुकी थी। उसने भी घर बहुत अच्छे से संभाला था और उससे उसके ससुराल में सब बहुत ही खुश थे और वह ऑफिस में काम करना भी छोड़ चुकी थी।
एक दिन किसी काम से वो ऑफिस अपने पति से मिलने गई। वहां जब वो केबिन में गई तो देखा उसके पति सौरभ से कुछ कह रहे थे। फिर उसे अचानक वो दिन याद आया जब उसने सौरभ को प्रपोज किया था।
वो अंदर गई सौरभ बाहर चला गया। लौटते वक्त उसने देखा सौरभ कुछ परेशान बैठा हुआ था।
वो सौरभ के पास गई और बोली, हैलो, सौरभ कैसे हो? क्या हुआ?कुछ परेशान से लग रहे हो!”
सौरभ काफी दिनों के बाद सलोनी को देख रहा था, जो पहले जैसी बिल्कुल नहीं थी, काफी बदल चुकी थी।
सलोनी को सौरभ ने कहा, “कुछ नहीं सलोनी।”
सलोनी ने कहा,”कुछ तो है तुम्हारे चेहरे से पता चल रहा है तुम्हारी तो शादी हो गई होगी न!”
सौरभ फिर आंख में आंसू लिए कहने लगा, “सगाई हो गई थी ,पर उसे मुझसे प्यार नहीं था, वो चाहती थी मैं अपने माता-पिता परिवार से अलग रहूं,जो मुझे मंजूर नहीं था! मैंने उसे समझाया मना किया तो उसने शादी से इंकार कर दिया। उसने सलोनी को देख कर कहा, “आज मुझे पछतावा हो रहा है कि मैं तुम्हारे प्यार को समझ नहीं सका, अगर तुम तुम मेरे साथ होती तो शायद आज ये दिन देखने को नहीं मिलता! “
सलोनी ने समझाते हुए कहा, “कोई बात नहीं सौरभ हो सकता है वो मान जाए या फिर उसे तुमसे प्यार नहीं है तो, एक तरफा प्यार कभी प्यार नहीं होता सौरभ, उससे भी अच्छी तुम्हारा साथ देने वाली तुम्हें मिल जाएगी।
अच्छा मैं चलती हूं!”
सलोनी ने कहा ।
कहकर सलोनी ऑफिस से निकल कर अपने कार में बैठकर की आगे बढ़ गई।
#पछतावा
स्वरचित अनामिका मिश्रा
झारखंड जमशेदपुर