रमा ने अपने कमरे में जाकर जोर से दरवाज़ा बंद कर लिया और रोने लगी थी । माँ भगवती पीछे पीछे आई और कहा क्या बात है रमा ऐसा क्यों कर रही है?
रमा— “ आपको नहीं मालूम है क्या मैं ऐसा क्यों कर रही हूँ?”
भगवती— क्या हो गया है ? लडका अच्छा है ख़ानदानी लोग हैं । ननंद नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि उस लड़के ने और परिवार वालों ने हाँ कर दी है ।
रमा—(ताली बजाते हुए) बहुत बढ़िया मेरे हाँ की ज़रूरत नहीं है क्या?
आप तो बहुत खुश हो रही हैं । अपनी बेटी की शादी एक चपरासी से कर देने की बहुत जल्दी है ।
भगवती— चुप कर बेटा ऐसा नहीं कहते हैं । उसका प्रमोशन होगा वह क्लर्क बन जाएगा फ़िक्र क्यों करती है ।
रमा— आप ऐसा कहकर मुझे बहलाने की कोशिश मत कीजिए।मैंने तो अभी ही दसवीं पास की है । इतनी जल्दी क्यों है मेरी शादी कर देने की। बोलिए मैं बोझ बन गई हूँ क्या?
भगवती— देख रमा मेरा मुँह मत खुलवा तुझे भी पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा था पर तुमने पढ़ाई पर ध्यान न देकर मेरे आगे पीछे घूमते हुए पढ़ती नहीं थी ।तेरी चचेरी बहन अभी बी एस सी तीसरे साल में है तुम दोनों के बीच सिर्फ़ एक साल का ही अंतर है । उसकी भी तो शादी करा रहे हैं वह तो चुप है ।
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रमा— (माँ की बातों से चिढ़ते हुए ) हाँ मैंने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया है ठीक है इसका मतलब यह नहीं है कि एक चपरासी से मेरी शादी करा दी जाए । चचेरी बहन उसे तो अच्छा बैंक में नौकरी करने वाला पति मिल रहा है ना फिर वह क्यों नहीं करेगी ।
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उसी समय चाची भावना अंदर आती है । चाची को देख कर रमा के मुँह से आवाज़ नहीं निकलती है ।
चाची ने कहा— क्या चल रहा है माँ बेटी के बीच में । रमा बेटा उन्हें तुम पसंद आ गई हो तो हम सोच रहे थे कि दोनों बेटियों की शादी एक साथ कर देते हैं ।
रमा— चाची वह चपरासी है मुझे चपरासी से शादी नहीं करनी है ।
चाची बहुत तेज थी उनकी बेटी का विवाह तो बैंक में नौकरी करने वाले ननंद के बेटे से हो रही है । ( साउथ में बुआ के बेटे से और मामा से भी शादी कर दिया जाता है)
भावना सोच रही थी कि दोनों की शादी एक साथ कर देते हैं तो खर्चे में बँटवारा हो जाएगा और सस्ते में निपट जाएगा क्योंकि उनकी तीन लड़कियाँ थीं ।
भावना— क्या चपरासी लगा रखा है? भले घर का लड़का है कम पढ़ा लिखा होने के कारण यह नौकरी कर रहा है । तुमने भी तो नहीं पढ़ा है फिर पढ़ा लिखा लड़का कहाँ से मिलेगा?
रमा — चाची मैंने पढ़ाई नहीं की है तो क्या हुआ हमारे पास बहुत पैसा है फिर कोई क्यों नहीं मिलेगा ।
भावना उसकी बातों का जवाब नहीं दे सकी लेकिन किसी तरह से उसे चुप कराकर शादी के लिए राज़ी कर लिया था ।
रमा ने मनमारकर शादी के लिए हाँ की थी । शादी के बाद कुछ दिन यहाँ वहाँ चला फिर जब वह पूरी तरह से ससुराल में रहने लगी तब उसे पता चला कि उसका पति तो कहीं घुमाने नहीं ले जाता था और तो और बात तक ठीक से नहीं करता है। ऊपर से सास तो राक्षसों जैसा व्यवहार करती है ।
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रमा को अपनी ज़िंदगी और वीरान सी लगने लगी । बच्चे भी देर से हुए उसे जब पति ही नहीं पसंद तो उसके साथ पैदा हुए बच्चे भी पसंद नहीं थे । अपनी खुन्नस वह सास के साथ झगड़ा करके निकाल ही लेती थी। सास बहू कुत्ता बिल्ली के समान लड़ाई करते थे दोनों के रिश्ते में छत्तीस का आँकड़ा था ।
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इसलिए रमा आए दिन मायके चली जाती थी। जबसे शादी हुई थी तब से महीने में एक बार तो मायके जाती ही थी। सास बच्चों को नहीं ले जाने देती थी तो उसे और अच्छा लगता था ।
रमा के मायके में माता-पिता और बाक़ी सब भी रमा को इस तरह मायके में पड़ा हुआ देखते थे तो बुरा लगता था कि बच्ची ने मना किया था शादी नहीं करूँगी फिर भी हमने ही जबरदस्ती उसकी शादी करा दिया था और उसका मुआवज़ा बच्ची भर रही है ।
जब रमा की भाभियाँ उसे मायके आने पर ताने देती थी तो भगवती और भावना दोनों को पछतावा होता था रमा के इस हालत के ज़िम्मेदार हम ही तो नहीं हैं। लड़का चपरासी है यह बात नहीं है उसका व्यवहार रमा के साथ अच्छा भी नहीं था ।
दोस्तों कहते हैं कि” अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत “
इसलिए समय रहते बच्चों की बातों पर भी ध्यान देना चाहिए। बिना रज़ामंदी जबरदस्ती के बंधन में किसी को बाँध कर रखा नहीं जा सकता है। रमा बेमन से ससुराल में रहती है । मायके या अब तो वह बेटी के ससुराल में रहने के लिए भी तैयार है उसका घर उसके लिए पिंजरा लगता है ।
स्वरचित
के कामेश्वरी