ओल्ड एज होम – रोनिता : Moral Stories in Hindi

हेलो प्रकाश जी… आपके पापा काफी दिनों से बीमार है… आपको पहले भी बताया था… पर आप आए नहीं… पर अब उनकी हालत ज्यादा ही खराब है… बस अंकुश को बुलाने को कह रहे हैं और घर वापसी के लिए भी बोल रहे हैं… लगता नहीं अब वह ज्यादा दिनों तक जीवित रहेंगे… वह शायद अपनी अंतिम सांस अपने घर में ही लेना चाहते हैं… सेवालय वृद्धाश्रम के मैनेजर ने फोन पर प्रकाश से कहा 

प्रकाश:   ठीक है मैं आज ही आता हूं.. 

उसके बाद प्रकाश अपनी पत्नी मोनिका से कहता है… सोचा था पापा को ओल्ड एज होम भेज कर चैन से रहूंगा… पर पापा को तो वहां जाकर भी चैन नहीं… अब उन्हें घर वापस आना है, उसकी रट लगाए हुए बैठे हैं… जिससे वहां के लोगों को लग रहा है वह अपनी आखिरी सांस ले रहे हैं और यहीं आकर दम तोड़ेंगे… 

मोनिका:   हां अब उन्हें समझ तो आ गया है ना कि मिन्नते करके वह यहां नहीं आ सकते, तो अब यही नाटक कर रहे… आप सुनिए कोई जरूरत नहीं वहां जाने की… इतनी जल्दी उन्हें कुछ नहीं होने वाला.. 

प्रकाश:   पर ना गया तो ओल्ड एज होम वाले कॉल कर करके परेशान कर देंगे 

मोनिका:   ठीक है ऐसा करती हूं मैं चली जाती हूं.. आपसे जिद भी करने लगेंगे.. पर मुझसे हिम्मत नहीं होगी… मैं बहलाकर उन्हें वहीं रहने पर मजबूर कर दूंगी.. 

प्रकाश:   ठीक है फिर तुम ही चली जाना और हां अंकुश को भी साथ ले जाना… उसे भी देखना चाह रहे हैं 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

परंपरा – डॉ. जय प्रकाश प्रजापति : Moral Stories in Hindi

अगले दिन मोनिका वृद्ध आश्रम पहुंचती है और अपने ससुर जी राधेश्याम जी के पास जाती है… मोनिका देखती है, राधेश्याम जी एक बिस्तर पर पड़े एक टक कहीं देखे जा रहे हैं.. उन्होंने बिस्तर भी गीला कर रखा है और उनके कमरे में भी बदबू आ रही थी… मोनिका ने कहा… छी-छी कितनी गंदगी फैला रखी है..? अच्छा हुआ जो यह यहां है… नहीं तो अभी मेरे घर की ऐसी ही दुर्दशा होती 

नन्हा अंकुश दौड़कर अपने दादाजी के पास जाने ही वाला था कि तभी मोनिका ने उसे रोककर कहा… रुक जाओ अंकुश….! देख नहीं रहे दादू कितने गंदे हैं..? सु सु भी कर रखी है उन्होंने… ऊपर से यह बदबू… चलो यहां से वरना तुम्हें इंफेक्शन हो जाएगा 

अंकुश:   पर मम्मी मैं भी तो बिस्तर पर सूसू कर देता हूं… उससे आपने तो कभी ऐसा नहीं कहा, तब तो आप बेडशीट बदल देती हो और मेरे कपड़े भी… तो दादू के भी बेडशीट और कपड़े बदल दो ना… बेचारे दादू की यहां कोई भी नहीं देखभाल नहीं करता… आप इन्हें घर ले चलो… हम इनकी बेडशीट और कपड़े बदल दिया करेंगे 

मोनिका:   बेटा..! तुम छोटे हो और छोटे बच्चे तो बेड पर सुसु पॉटी करते ही है… पर तुम्हारे दादू तो बड़े हैं ना उनके सुसु से तुम्हें इंफेक्शन हो सकता है… इसलिए तो इन्हें यहां रखा है.. यह लोग भी अभी सब बदल देंगे 

मोनिका और अंकुश की बातें सुनकर राधेश्याम जी कुछ बोले तो नहीं, पर सिर्फ इशारे से मोनिका को पास बुलाया… मोनिका अंकुश को दूर ही खड़े रहने को कहकर, खुद भिनभिनाती हुई राधेश्याम जी के थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई  

राधेश्याम जी:   प्रकाश नहीं आया.. क्या इन्होंने नहीं बताया कि मेरे घर वापसी का समय हो गया है..? 

इससे पहले राधेश्याम जी अपनी बात खत्म कर पाते… मोनिका चिल्लाकर कहती है… क्या घर वापसी की रट लगाए हुए हैं..? हालत देखी है अपनी..? ऐसे में घर आकर क्यों हमारी परेशानी और बढ़ाना चाहते हैं..? हमारी नहीं तो कम से कम अपने पोते के बारे में तो सोचिए… कान खोलकर सुन लीजिए, यही आपका घर है आपको अब यही रहना है पूरी उम्र… चुपचाप यहां रहिए… जब उन्हें समय मिलेगा वह आ जाएंगे… यह कहकर मोनिका अंकुश को लिए चली गई 

उसी शाम प्रकाश को वृद्धाश्रम से फोन आया और उन्होंने बताया कि उनके पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे… आप आकर उन्हें ले जाइए और उनके दाह संस्कार करवाइए…

इस कहानी को भी पढ़ें: 

 शिवन्या – मीनाक्षी सिंह

प्रकाश ने यह बात मोनिका को बताई, जिस पर मोनिका ने कहा चलो मुसीबत टली… पर प्रकाश को थोड़ा दुख हुआ.. फिर वह अपने पिता के शव को लेने गया… राधे श्याम जी के शव के साथ उनके सामान को भी प्रकाश ले आया… सारे क्रिया कर्म के बाद मोनिका ने प्रकाश से कहा… आप पापा के सारे सामान को भी नदी में फेंक आइए… इनके बदबूदार कपड़ों का हम क्या करेंगे..? 

उसके बाद उनके बक्से को लेकर प्रकाश फेंकने चला गया… बक्सा फेंकते वक्त बक्सा खुल गया और उसमें से एक छोटी सी डायरी बाहर आ गई… प्रकाश ने वह डायरी उठाई और पढ़ने लगा… जिसको देखकर वह तुरंत समझ गया कि यह उसके पापा की ही लिखावट है… उसमें लिखा था 

मुझे यहां रहते काफी साल बीत गए.. पर मेरे बेटे को कभी मेरी याद नहीं आई… बचपन में तो एक पल भी मेरे बिना नहीं रह पाता था… उस वक्त उसके आंसू तो उसकी मां भी नहीं पोंछ पाती थी… पर आज मेरे आंखों के आंसू उसे क्यों नजर नहीं आते..? इच्छा तो थी जिस घर में उसका बचपन और मेरी

जवानी गुजरी वहीं पर अपनी आखिरी सांस लूं…. पर अब उस घर की वापसी की कोई गुंजाइश नहीं, क्योंकि असली घर वापसी का बुलावा आ गया है… सोचा था अंतिम समय में उसे गले लगा कर विदा लूंगा और अंकुश को ढेर सारा आशीर्वाद देकर जाऊंगा… पर शायद उसने मेरे घर वापसी का अलग अर्थ निकाल लिया और खुद ना मिलने आकर बहू को भेज दिया… चलो जाते-जाते अंकुश को देख लिया…

मेरी तरह घर वापसी किसी की ना हो… यही मेरी अंतिम इच्छा भी है… बेटा प्रकाश मैं नहीं जानता, तू कभी मेरे आखिरी शब्द पढ़ेगा भी या नहीं… पर यह सारी बातें लिखकर मैंने अपने दिल का बोझ हल्का किया, जो तू यह पढ़ेगा तो समझूंगा कम से काम मरने के बाद ही सही, तुझे मेरी भावनाओं का पता तो चला और जो नहीं पढ़ा तो पहले भी खामोश था और अब भी मेरे आखिरी शब्द मेरे साथ खामोश हो जाएंगे… 

प्रकाश यह पढ़कर फूट-फूट कर रोने लगा और फिर वह डायरी लेकर घर पहुंचा… उसके घर पहुंचते ही मोनिका कहती है… फेक आए सब… अब चैन मिला बड़ा सुकून मिल रहा है अब… आपको पता है उस दिन वह घर वापसी की ही बात कर रहे थे… ऐसा सुनाया की सीधे परलोक ही सिधार गए 

प्रकाश गुस्से में कहता है… घर वापसी की वह बात तो कर रहे थे, पर वह इस घर की नहीं, जहां से हम सभी आए हैं उस घर की बात कर रहे थे और याद रखना हमें भी वहां एक दिन जाना है और इसी स्थिति से होकर गुजरना है… जैसा हमने किया है वैसा ही होगा हमारे साथ भी… मैं तो तैयार हो चुका इसके लिए, तो तुम भी तैयार हो जाओ 

दोस्तों… बुजुर्ग हमारे घर में जब होते हैं तो वह भी छोटे बच्चों की भांति प्यार और सेवा के हकदार होते हैं… हम छोटे बच्चों की सेवा करने से तो नहीं कतराते, पर फिर उनकी सेवा से हमें चिढ़ क्यों मचती है..? यह वही है जिन्होंने आपकी सेवा कर आपको इस लायक बनाया और यह आपके साथ पूरी उम्र भी नहीं रहेंगे, तो जब तक यह है,

इस कहानी को भी पढ़ें: 

एक रिश्ता ऐसा भी  –  उमा वर्मा 

थोड़ा प्यार और सेवा करने से आपका जीवन भी संवर जाएगा और उनकी भी घर वापसी सुखदायक होगी… मरने के बाद ना तो यह आपसे प्यार मांगने आएंगे और ना ही आपकी आराम में खलल डालेंगे.. यहां चंद लाइन अपनी तरफ से जोड़ना चाहती हूं 

मरने के बाद इनके श्राद्ध में जितना चाहे छप्पन भोग परोस दो,

यह कुछ भी खाने नहीं आएंगे…

इनको तो बस इनके जीते जी, सुख की दाल रोटी ही खिला दो..,  

जीते जी ही इनको चार धाम मिल जाएंगे… 

धन्यवाद 

रोनिता 

#घर वापसी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!