नया रिश्ता – नीरजा नामदेव

तृप्ति और श्रेय की जोड़ी बहुत ही सुंदर थी। विवाह के बाद दोनों बहुत ही खुश थे। श्रेय की बहुत बड़ी कंपनी थी। वह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था ।तृप्ति को यह सब देख कर बहुत अच्छा लगता था। वह श्रेय की सफलता का राज नहीं जानती थी। शादी के कुछ सालों बाद धीरे-धीरे वह सारी बातें समझने लगी।उसे यह बात मालूम हुई थी सामानों के आयात निर्यात में श्रेय कस्टम ड्यूटी नहीं देता है।

अपने स्त्रोतों की मदद से वह यह सारे कार्य अनैतिक तरीके से करवा लेता है।तृप्ति को यह सुन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा क्योंकि वह ईमानदारी को महत्व देती थी।

    उसने मन में सोचा इस तरह से तरक्की करने से क्या लाभ । उसने इस बारे में जब श्रेय से बात की तो उसे तृप्ति की बातें बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। उसने कह दिया कि मेरे काम के बारे में तुम दखलअंदाजी मत करो। फिर भी तृप्ति ने श्रेय को समझाना नहीं छोड़ा ।तृप्ति हमेशा श्रेय को समझाते हुए कहती कि कम पैसों में भी हम खुश रह सकते हैं ।अभी तुम्हें हर समय अपनी सच्चाई का पता चल जाने का डर रहता होगा। लेकिन अगर तुम नियम से कार्य करोगे तो यह डर भी नहीं होगा और ईमानदारी से कार्य करके जो तुम्हारी तरक्की होगी उससे तुम दिल से खुश हो सकोगे।

तृप्ति के लगातार प्रयासों से श्रेय को भी धीरे धीरे यह बातें सही लगने लगी और उसने अपने कार्य में सुधार किया। अब वह ईमानदारी से अपना व्यवसाय करने लगा। उसे अच्छा लाभ देने वाले कॉन्ट्रैक्ट अभी भी मिल रहे थे। अब उसकी जो तरक्की हो रही थी वह उनके जीवन में नई खुशियां लेकर आई। श्रेय ने प्रीति को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया कि तुमने मुझे सही रास्ता दिखाया और आज हमारा जीवन सच्ची खुशियों से भर गया है ।आज हमारे रिश्ते ने भी एक नई तरक्की पाई है विश्वास की।विश्वास की नींव पर बना हमारा नया रिश्ता सबसे अनमोल है।

स्वरचित

नीरजा नामदेव

छत्तीसगढ़

 

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