नया पन्ना —डा. मधु आंधीवाल

मां आज मेरा फाइनल इन्टरव्यू है आज तो कुछ बोलो मां केवल तुम्हारे बोल सुनने को मैं तरस गयी । मां पापा और सब परिवार वालों की सजा मुझे क्यों दी मां ? ये एक विनती उस यौवना की थी जिसका नाम युविका था । वह मौन साधिका अपूर्व सुन्दरी कभी यौवनावस्था में चांद भी शर्मा जाये उस मां का नाम था अपूर्वा ।

       अपूर्वा मध्यम परिवार की लाडली दो बड़ी बहन, एक बड़े भाई ,मां पापा दादी दादू के साथ चिड़ियों की तरह उड़ते हुये एक सुन्दर सपनेके साथ जी रही थी । बस वह चाहती कैसे भी उसका सलैक्शन प्रशासन सेवा में हो जाये पर शायद भाग्य को मंजूर नहीं था । पापा और बड़ा भाई आफिस से घर आरहे थे ।

भाई स्कूटर चला रहा था अचानक सामने से ट्रक आया और दोनों को रौंदता चल गया । घर में हाहाकार मच गया । दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी । अपूर्वा की पढ़ाई पर तो संकट आई ही गया इसके साथ ही मां दादा दादी और घर का खर्च कैसे चले इसकी भी समस्या आगयी । जो ख्वाब संजोये थे वह तो सब टूट गये । अपूर्वा ने कुछ जगह सर्विस के लिये आवेदन किया एक बहुत बड़ी कम्पनी में पर्सनल सेकेट्री के लिये जगह निकली वह इन्टरव्यू देने गयी और वहाँ उसकी नियुक्ति हो गयी । कम्पनी के मालिक मि. दास की शहर में एक अलग ही पहचान थी । कम्पनी की एक पार्टी में मि. दास के बिगड़ैल बेटे तुषार की नजर अपूर्वा पर गयी वह तो सब कुछ भूल गया बस जिद कि शादी करनी है तो इसी लड़की से दादी दादू की मजबूरी थी और आनन फानन शादी करदी । तुषार की मां और बहन अपूर्वा के आने खुश नहीं थी वह सोचती कि ये हमारे स्तर की नहीं है पर तुषार की पसंद थी । पढ़ाई के ख्वाब तो सब दफन हो गये ।



एक दिन उसे अहसास हुआ कि शायद उसके अन्दर नया जीव पल रहा है। उसको लगा मै ना सही शायद मेरा होने वाला अंश मेरे इस सपने को पूरा करेगा । वह तुषार का इन्तजार कर रही थी कि उसे जल्दी से खुश खबरी सुनाये । जब तुषार से उसने कहा वह बोला मां के साथ जाकर एबोर्शन करा लो मै फिलहाल कोई बच्चा नहीं चाहता । जब सास से अपूर्वा ने कहा वह बोली अपनी औकात में रहो इस घर का वारिस तुमसे नहीं होगा । कुछ दिन से अपूर्वा तुषार को रोमिला के साथ अधिक देख रही थी ।रोमिला अपूर्वा की सास की मित्र की अमेरिका रिटर्न बेटी थी । आज जब उसने सुना कि उसे तलाक दिलवा कर रोमिला से शादी कराना चाह रही हैं। उसे बहुत धक्का लगा और वह बिलकुल चुप होगयी । अपूर्वा की बहनों को जब पता लगा वह उसे अपने साथ ले आई क्योंकि मि. दास से किसी लड़ाई में वह जीत नहीं सकती थी ।

दादी दादू भी ये दुनिया छोड़ चुके थे । मां बेटी साथ साथ रहने लगी दोनों बहने ही उनकी देखभाल करती । प्रसव का समय नजदीक आरहा था । अपूर्वा बस चुप रह कर सब सहन कर रही थी । अचानक अपूर्वा एक रात जोर जोर से चीखने लगी वह जैसे ही कमरे से भागी लडखड़ा कर गिरी और बेहोश हो गयी । बहुत मुश्किल से उसे होश में लाया गया पर शायद सर में चोट लगी थी उसकी आवाज चली गयी । इधर प्रसव वेदना शुरु होगयी और एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया जिसका नाम नानी और मौसियों ने युविका रखा । युविका बहुत होशियार और समझदार थी । नानी से मां की सारी बात पता चल गयी थी । जैसे जैसे बड़ी हो रही थी बस एक ही धुन थी मां का सपना पूरा करने का । आज उसका फाइनल इन्टरव्यू था । नानी से आशीर्वाद लेकर मां का हाथ सर पर रखवा कर चली अपने सपने को पूरा करने के लिये ।

            आज वह अपने प्रयास में सफल होगयी । वह आई और मां से लिपट गयी मां देखो तुम्हारी बेटी आज बहुत बड़ी अधिकारी बन गयी ।अपूर्वा उसे देखती रही और अचानक उसे लिपटा कर रोने लगी । वह बोल नहीं सकती थी पर चेहरे पर एक गर्व था अपनी बेटी पर । दूर कहीं एक गाना चल रहा था ” कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता ” आज जिन्दगी का नया पन्ना अपूर्वा का शुरू हो गया ।

स्व रचित

अप्रकाशित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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