NRI दामाद – के कामेश्वरी

सरिता अपनी स्कूटी अपने बुआ के घर के सामने रोकती है। उस पर से उतरकर स्कूटी को ताला लगा कर चाबी हाथ में लेकर घुमाते हुए गेट खोलकर अंदर आ जाती है और कहने लगती है कि वाह सुनंदा बुआ आपके हाथों में जादू है । क्या बना रही हैं ? उसकी खुशबू गेट तक आ रही है कहते हुए बैठक में क़दम रख कर ठिठक जाती है क्योंकि वहाँ बुआ की सास ,ननंद और फूफाजी बैठकर गप्पें मार रहे थे ।जल्दी से उन सबके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए फूफाजी से कहती है कि आज आप इस समय घर पर ही हैं कहते हुए अंदर की ओर बढ़ जाती है । बुआ सुनंदा रसोई में कुछ पकवान बना रही थी शायद !! वह जाकर उनके गले लग जाती है ।

बुआ ज़ोर से कहती है अरे! रुक जा तेल है चल दूर हट !!

बुआ आज कुछ है क्या ? आपकी ननंद और सासु माँ भी आई हुई हैं । कोई आने वाले हैं?

बुआ ने कहा—- सरिता इस वक़्त तुम यहाँ आई हो कॉलेज नहीं है क्या?

हैन !! बुआ देखो आपकी लाड़ली कविता कॉलेज आई नहीं थी तो मेरा भी मन नहीं लगा इसलिए सोचा उसका हाल-चाल पूछते हुए आपसे भी मिल लेती हूँ । कहाँ है महारानी कॉलेज क्यों नहीं आई है । अभी ख़बर लेती हूँ ।

सुनंदा ने कहा कि—  सरिता मैंने ही उसे आज कॉलेज जाने के लिए मना किया है क्योंकि उसे देखने के लिए आज लड़के वाले आ रहे हैं । उसकी बुआ ही यह रिश्ता लाई है । तुम्हें मालूम है लड़का अमेरिका में रहता है ।

अरे ! वाह तो मेरी सहेली अमेरिका चली जाएगी । उसने मुझे बताया भी नहीं है कि उसको देखने लड़के वाले आ रहे हैं ।



बुआ ने कहा— वह तुम्हें कैसे बताती सरिता । हमें भी आज सुबह ही पता चला है कि वे लोग आ रहे हैं । असल में वह लड़का जिसका नाम रोहित है अमेरिका से शादी करने के लिए ही आ या है ।उसके पास भी दो हफ़्तों का ही समय है । लड़की पसंद आते ही वह शादी करके पत्नी को लेकर वापस चला जाएगा । इसीलिए आज एक ही दिन में वह उन सब लड़कियों को देख लेगा जिनकी लिस्ट पहले से ही उन्होंने बना लिया है।  उनमें अपनी कविता का भी नाम है। सरिता मैं बहुत ही खुश हूँ । जो लड़की उसे पसंद आएगी उनके माता-पिता को शाम को ही बता दिया जाएगा और एक ही हफ़्ते में उससे शादी करके वह चला जाएगा ।

सरिता मुँह खोलकर बुआ को देख रही थी और आगे भी बुआ बोलती जा रही थी कि उन लोगों ने हमें भी सिर्फ़ बीस मिनट तक का समय दिया है।

।बीस मिनट ही क्यों बुआ— अरे पगली लड़के वाले सुबह से सबके घर लड़कियों को देखने जाएँगे सबके घर ज़्यादा समय बैठ नहीं सकते हैं न । इसलिए पहले से ही सबको बता दिया है कि किसके घर कितने समय तक रुकेंगे । उन्होंने हमारे यहाँ शाम के स्नेक्स के समय आने का निश्चय किया है ।अब जब वे लोग आएँगे तो खाली चाय तो ऑफर नहीं कर सकते हैं न तो सोचा कुछ नमकीन बना देती हूँ ।

सरिता ने कहा — मुझे समझ नहीं में आया बुआ आप क्या कह रही हैं ।

सुनंदा ने कहा कि— देख सरिता…वे लोग सुबह से ही अपने घर से निकलेंगे न तो किसी के यहाँ नाश्ता किसी के यहाँ लंच ऐसा करते हुए वे हमारे घर शाम को पहुँचेंगे और शाम की चाय हमारे घर पिएँगे । अब समझ गई है न ।

वैसे भी मैंने कविता की शादी के लिए सारी तैयारी पहले से ही कर ली थी । मैंने और तेरे फूफाजी ने सोचा था कि जैसे ही उसको मास्टर्स की डिग्री मिल जाएगी हम उसके लिए रिश्ते देखना शुरू कर देंगे । परंतु देखो उसकी  क़िस्मत कि उसकी बुआ की वजह से अमेरिका का रिश्ता ही आ गया है। मुझे जब से पता चला कि कविता को देखने के लिए वे लोग आ रहे हैं मैंने ईश्वर से मन्नतें माँगनी भी शुरू कर दिया है । तू भी ईश्वर से प्रार्थना कर कि कविता उन्हें पसंद आ जाए ।




हाँ तो चल तू भाग यहाँ से मैं तो तुझसे बातें करने में लग गई तो देरी हो जाएगी । मुझे थोड़ी सी और तैयारी करनी है ।हाँ तू जा कविता के कमरे में और यह भी देख लेना कि कविता तैयार हुई है कि नहीं उसकी तैयार होने में थोड़ी सी मदद भी कर दे ।

सरिता ने कहा— ठीक है बुआ मैं देख लेती हूँ । वैसे भी आप चिंता मत करो हमारी कविता उन्हें जरूर पसंद आ जाएगी । वह है ही इतनी प्यारी!!

सुनंदा ने कहा कि—  तेरे मुँह में घी शक्कर बस यह रिश्ता हो जाएगा न तो मैं तेरे लिए भी NRI लड़का ही ढूँढ लूँगी । सरिता हँसते हुए कविता के कमरे की तरफ़ जाती है । वहाँ जाकर उसने देखा कविता बहुत ही खुश नज़र आ रही थी ।मैंने कहा वाह मेरी छम्मकछल्लो तू तो छुपा रुस्तम निकली ।

कविता ने कहा— मुझे भी नहीं मालूम था !!  देखना सुबह ही माँ ने मुझे बताया था ।

सरिता ने कहा— कविता तू खुश है न !

कविता ने कहा— देख सरिता वे लोग बहुत सारी लड़कियों को देख रहे हैं ।उनमें से मैं ही पसंद आऊँ ऐसा नहीं है न । मैंने माँ से कहा भी था कि मुझे ऐसे रिश्ते देखना नहीं पसंद है कि ——शायद मैं पसंद आ जाऊँ । माँ की जिद के कारण मुझे हाँ कहना पड़ा । वैसे भी अमेरिका जाना किसे नहीं पसंद होता है बोल ।

अभी हम बातें कर रहे थे कि बुआ भागते हुए कमरे में आई और कहा— बच्चों वे लोग आ गए हैं । कविता की तरफ़ मुड़कर देखा कविता बहुत सुंदर लग रही थी उसकी बलैयाँ लेते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं बुलाऊँगी तब  आ जाना और सरिता की तरफ़ मुड़कर देखते हुए कहा कि तुम बाहर मत आना समझ गई न । सरिता ने हँसते हुए सर हिलाया नहीं आऊँगी ।

बैठक से लोगों के हँसने बोलने की आवाज़ें आ रही थी । यहाँ पर कमरे में दोनों थे पर ख़ामोश थे । अपने अपने विचारों में खोए हुए थे तभी सुनंदा बुआ की ननंद आई थी कविता को ले जाने के लिए मैं भी उठकर खड़ी हो गई थी । कविता के जाने के बाद मैं कमरे में अकेली ही रह गई थी और सोच रही थी कि अमेरिका जाने के मोह में लड़के के बारे में पूरी जानकारी भी ली कि नहीं इन लोगों ने । आजकल कई हादसे सुनने में आ रहे हैं कि बच्चियों को शादी करके ले जाते हैं और वहाँ उनके साथ ठीक से बर्ताव नहीं करते हैं । कहीं कहीं तो वहाँ पहले से ही शादी कर लेते हैं और माता-पिता का दिल न दुखे इसलिए यहाँ फिर शादी करके लड़की की ज़िंदगी ख़राब कर देते हैं ।फिर सरिता को लगा कि मैं यह सब क्यों सोच रही हूँ कविता की बुआ ने तो अच्छे से जाँच परख कर लिया ही होगा।  मैं ही बेकार की बातें सोच रही हूँ ।



सरिता ने देखा कि कविता और रोहित छत पर जा रहे हैं शायद बड़ों ने उन्हें अकेले में बातचीत करने के लिए कहा होगा ।

सरिता बैठक में से आने वाली बातों को सुनने के बाद समझ गई थी कि कविता उन्हें पसंद आ गई है तभी बुआ ने आकर बताया कि सरिता रोहित को कविता भा गई है बस दो तीन दिन में मुहूर्त निकलवा लेते हैं ।चल तू भी आजा सब से परिचय करा देती हूँ । अनमने मन से ही सरिता बुआ के पीछे पीछे गई थी ।उसे इतनी जल्दी लड़का पसंद करना वह भी अमेरिका का कुछ हजम नहीं हो रहा था ।ख़ैर बड़े लोगों ने तय किया है तो सोच समझ कर ही किया होगा ।

बुआ ने जब पापा को बताया था तो उन्होंने भी यही कहा कि सुनंदा इतनी जल्दी क्यों है बिटिया की शादी कराने की थोड़ा देख परख लेते हैं न अमेरिका जाना ज़रूरी नहीं है न ।

सुनंदा ने कहा कि— भैया मेरी ननंद यह रिश्ता लाई है ।हम सब उनसे मिले थे बहुत ही भले लोग हैं ।

जब सुनंदा ने सोच लिया है तो वह किसी की भी नहीं सुनती है और उसे तो अमेरिका से दामाद चाहिए था ।इसलिए चुप रहना ही बेहतर है सोच सुनंदा के भाई चुप हो गए ।

एक दिन कविता ने कॉलेज में सरिता को बताया था कि उसकी शादी की डेट तय हो गई है ।अगले महीने पंद्रह तारीख़ को ही है ।शापिंग के लिए तैयार रहना । मैं भी खुश हो गई थी और हम दोनों ने प्लान बनाया था कि शापिंग कहाँ से शुरू करेंगे । बुआ ने कार्ड छपने को भी दे दिया हॉल बुक करा लिया क्योंकि बाद में नहीं मिलते हैं ।

हम सब मिलकर शादी की तैयारियों में जुट गए थे । एक दिन हम शापिंग कर रहे थे कि रोहित का फ़ोन कविता के लिए आया कि मुझे ऑफिस में बुला रहे हैं कुछ ज़रूरी काम आ गया है तो मैं जाकर शादी के लिए छुट्टी ले कर आता हूँ । मैं तुम्हें इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मुझे मालूम है तुम शापिंग में व्यस्त रहोगी । आज रात को ही मेरी फ़्लाइट है मैं आने के बाद ही तुमसे मिल सकता हूँ ।

हम दोनों ही सोच रहे थे कि रोहित तो छुट्टी ले कर आया था फिर यह अचानक !! ख़ैर मल्टीनेशनल कंपनियों का कोई भरोसा नहीं है । कविता ने बाज़ार से वापस आकर बुआ को भी बता दिया था तो बुआ ने कहा — हाँ उनके माता-पिता ने हमें भी फ़ोन किया था ।



कविता की शादी की तैयारी हो गई थी । उनके माता-पिता ने सब लोगों को निमंत्रण पत्र भी बाँट दिया था । उस दिन उन्होंने बहुत काम किया था थक हार कर सो रहे थे कि रात के बारह बजे हाल में फ़ोन की घंटी बजी देखा तो समधी जी का फ़ोन था । इतनी रात गए क्या बात हो सकती है सोचते हुए फूफाजी ने फ़ोन उठाया तो रोहित के माता-पिता का फ़ोन था उन्होंने कहा कि हम आप से अभी मिलना चाहते हैं । आप आ सकते हैं या हम दोनों आ जाते हैं । बुआ ने फूफाजी से कहा चलिए हम ही चलते हैं । सोते हुए ड्राइवर को उठाया कविता को बिना बताए दोनों समधियों के घर पहुँचे रास्ते में दोनों ने आपस में बातें नहीं की दोनों का मन किसी अनहोनी की आशंका से डर रहा था ।

जैसे ही उनके घर के सामने कार रुकी समधी जी ने दरवाज़ा खोल दिया जैसे वे हमारा बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो । उन्होंने हमें अंदर ले जाकर बिठाया पानी के लिए पूछा हमें तो यह जानना था कि आख़िर आधी रात को हमें क्यों बुलाया है । समधियों ने हमारे हाथ पकड़ लिया और कहा कि हमें माफ कर दीजिए ।

हम चकित होकर देख रहे थे कि बात क्या है किस बात की माफी चाहिए ।

सुनंदा ने कहा कि— देखिए बहनजी हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा है प्लीज़ आप खुलकर सब बता दीजिए । इस तरह से पहेलियाँ मत बुझाइए मेरी तो जान निकली जा रही है ।

उन्होंने जो बात बताई उसे सुनकर सुनंदा के तो होश उड़ गए थे । उसने अपने पति को जोर से पकड़ लिया था कि कहीं गिर न जाऊँ ।

सुनंदा के पति राकेश जी के मुँह से बात नहीं निकली फिर अपने आप को सँभाल कर कहा कि यह क्या कह रहे हैं आप रोहित शादी शुदा है और आपको मालूम भी नहीं है । ऐसा कैसे हो सकता है समधी जी आप तो उसके माता-पिता हैं ।

समधी ने कहा— अभी थोड़ी देर पहले उसका फ़ोन आया था । मैंने पूछा कि कब आ रहे हो यहाँ पर शादी की सारी तैयारियाँ हो गई हैं । उसने कहा कि — आप दोनों के डर से मैंने नहीं बताया है कि मेरी शादी एक साल पहले ही हो गई है। वह लड़की दूसरी जाति की है । जिसे आप दोनों कभी स्वीकार नहीं करोगे इसलिए मैंने सोचा शादी के बाद बताऊँगा । मैं इंडिया आया था आप लोगों को यह बताने के लिए पर आप दोनों मेरी बात सुनी ही नहीं और लड़कियों की लिस्ट बनाकर मुझे उन्हें दिखाने के लिए ले गए । कविता के लिए भी मैंने मना किया था पर आप दोनों ने मेरी बात नहीं सुनी थी ।मैं कुछ ग़लत नहीं होने देना चाहता था ।इसीलिए ऑफिस का बहाना करके वापस आ गया था ।मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं दो दो लड़कियों की ज़िंदगी ख़राब नहीं कर सकता हूँ ।

सुनंदा के आँखों के आँसू थम नहीं रहे थे क्योंकि शादी की पूरी तैयारी हो गई थी । निमंत्रण पत्र भी बँट गए थे ।अब सबसे क्या कहेंगे ।बेटी को कैसे सँभालेंगे । उनके दिमाग़ ने काम बंद कर दिया था ।



बिना कुछ कहे उनकी माफ़ी पर भी ध्यान न देते हुए सुनंदा और राकेश उनके घर से बाहर आए ड्राइवर ने गाड़ी निकाली ।उसे घर के सामने वाले पार्क के पास रुकने को कहा । दोनों गाड़ी से नीचे उतरे  और ड्राइवर को घर भेज दिया । वे पार्क में एक बेंच पर बैठे ही थे कि सुनंदा ज़ोर ज़ोर से रोने लगी राकेश भी अपने आँसुओं को रोक नहीं सके थे । कविता उनकी एक अकेली संतान थी । उसके लिए उन्होंने कितने ही सपनों को सँजोए थे ।सुनंदा ने तो NRI दामाद की कल्पना की थी पर ऐसा लग रहा था जैसे उनके सारे सपने एक ही झटके में टूट कर बिखर गए हैं । सुबह के चार बज गए थे दोनों ने एक-दूसरे को सँभाल लिया था और पैदल घर पहुँच गए । कविता सुबह उठी और चहकते हुए दोनों को गुडमार्निंग कहा । दोनों ने एक-दूसरे को देखते हुए हँसने की कोशिश कर रहे थे परंतु आँखों से आँसू बहने लगे थे । कविता डर गई और उनसे पूछा माँ पापा बात क्या है कुछ कहिए न ।आप दोनों रो क्यों रहे हो । मेरी शादी के लिए अभी समय है । मेरी बिदाई के समय के लिए आँसू बचाकर रखिए ।

राकेश ने कविता को अपने पास बिठाया और अच्छे से पूरी बात समझाई । कविता पहले तो रो पड़ी थी फिर उसने अपने आप को सँभाल लिया था । सुनंदा डर रही थी कि कविता को कैसे सँभालेंगे पर उसने ही माता-पिता को सँभाल लिया था । सरिता और उसके माता-पिता भी बात सुनकर पहुँच गए ।सबने यही कहा कि अच्छा है कि शादी के पहले ही रोहित ने सब बता दिया था वरना हम क्या कर सकते थे ।

राकेश ने अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों को शादी केंसल होने की बात बता दी थी । राकेश भी अस्पताल पहुँच गए और कविता भी कॉलेज चली गई थी । सरिता तो कविता को एक पल भी नहीं छोड़ रही थी । राकेश के जिगरी दोस्त अजय ने लंच के समय कहा —राकेश जो भी होता है हमारे अच्छे के लिए ही होता है इसलिए फ़िक्र मत करना । राकेश ने कहा वह तो ठीक है यार अभी सारे बुकिंग को केंसल करना पड़ेगा । कितना कुछ किया था मैंने ।

अजय ने कहा — राकेश मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि अगर तुझे और उसे कोई एतराज़ नहीं है तो मैं कविता को अपने घर की बहू बनाना चाहता हूँ । मेरे बेटे पियूष को तुम जानते ही हो ना वह साफ्ट वेयर इंजनीयर है और अगले महीने अमेरिका जा रहा है । ऑफिस वाले उसे एक साल के लिए भेज रहे हैं ।

इसी महीने इसी मुहूर्त में उनकी शादी करा देते हैं ।

राकेश ने न हाँ कहा और ना नहीं कहा । सिर्फ़ सुन रहे थे । फिर उन्होंने अजय से कहा मैं घर में बात करके कल बताऊँगा ।

घर पहुँच कर राकेश ने सुनंदा और कविता को अजय के बेटे की बात बताई । सुनंदा तो खुश हो गई थी कि उसे NRI दामाद तो मिल रहा है ।

कविता ने कहा — आप जैसा चाहते हैं वैसा ही कीजिए पापा क्योंकि उसे मालूम था कि माता-पिता इस हादसे बहुत ही उदास हैं । वह उन्हें खुश देखना चाहती थी ।

दूसरे दिन अजय अपनी पत्नी और बेटे को लेकर राकेश के घर पहुँच गया । कविता और अजय दोनों एक-दूसरे को पहले से ही जानते थे । इसलिए दोनों को कोई एतराज़ नहीं था फिर क्या दोनों घरों में ख़ुशियों की शहनाई बजने लगी । पहले से ही निकाले गए मुहूर्त पर ही दोनों की शादी धूमधाम से हो गई थी । एक महीने बाद कविता पियूष के साथ अमेरिका चली गई थी । सुनंदा खुश हो गई थी कि वह NRI दामाद की सास बन गई है ।

दोस्तों कहानी का अंत सुखद है इसलिए अच्छा लगा पर अगर सुखद नहीं होता था को माता-पिता और बच्ची का क्या हाल होता सोचिए । इसलिए हम सबके लिए यह सबक है कि अपने जिगर के टुकड़े को जब किसी के हाथ में सौंपने जा रहे हैं तो एक बार जाँच पड़ताल ज़रूर कर लीजिएगा स्पेशली जब आप दूर देश में अपनी बिटिया को भेजना चाहते हैं । ऐसे हादसे हमें बहुत सुनने और पढ़ने के लिए मिलते हैं । इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए ।

के कामेश्वरी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!