निर्णय – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  “अंजू चल ना, बड़ी अच्छी मूवी लगी है,” नेहा ने जिद करते कहा!

“नेहा, मम्मी जी मूवी जाएंगी नहीं और उनको अकेले छोड़ कर मैं भी नहीं जा पाऊँगी”, अंजू बोली

“क्या यार, तू भी दिन भर मम्मी जी, मम्मी जी करती रहती, कौन सी तेरी अपनी माँ या सगी सास है,” नेहा चिढ़ कर बोली!

  ” नेहा, माँ, माँ होती है, सगी या सौतेली नहीं, माना उन्होंने विकास को जन्म नहीं दिया, पर   पढ़ा – लिखा कर अपने पैरों पर  खड़े करने में,

ना जाने उन्होंने अपने कितने ख्वाबों को दफनाया होगा… ..! जब – जब विकास  डगमगाये, अपनी ममता की छांव में उन्होंने सम्भाला..,

आज उनको हमारी जरूरत है तो हम उन्हें छोड़ नहीं सकते, और तू मुझे गलत शिक्षा मत दें, मैं कोई ऐसा काम नहीं करना चाहती जिससे मैं दूसरों की ही नहीं,

बल्कि अपनी आँखों से  भी गिर जाऊँ …,  तू भी अपनी सासू माँ को माँ मान कर देख, तेरी परेशानियाँ दूर हो जाएंगी!!

नेहा उठ कर अपने घर चली गई, बैठक से लगे कमरे में बिस्तर पर लेटी मालती देवी समझ गई, उनके घर अच्छी परवरिश और सुंदर संस्कारों वाली बहू आई है,

वे निश्चिंत हो गई, उनका निर्णय गलत नहीं था, अंजू को विकास के लिए चुन कर…!!

– – – – संगीता त्रिपाठी

#आँखों से गिरना

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